जीका वायरस : यूपी में केस बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी परेशानी, डॉ. बोले लोग सावधानी बरतें
अभी देश में कोरोना का कहर खत्मर नहीं हुआ है कि जीका वायरस ने दस्तक दे दी है. जीका वायरस का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ रहा है.
केरल के बाद यूपी में भी इससे संक्रमित लोगों की संख्याप बढ़ रही है. एडीज मच्छर से फैलने वाले इस वायरस का पहला मामला कानपुर में दर्ज हुआ था, जिसके बाद अब उन्नाव समेत चार जिलों में ये वायरस दस्तक दे चुका है. अब तक कानपुर में जीका वायरस के कुल मामलों की संख्या 100 को पार कर गई है. सीएमओ ने गर्भवती महिलाओं से मच्छरदानी का उपयोग करने की अपील की है. कानपुर में एक महीने पहले पहला केस सामने आने के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग संक्रमण रोकने की कोशिश में जुटा है. नगर निगम ने प्रभावित मोहल्लों में फागिंग कराई है और अब तक 6 किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र को कंटेनमेंट बनाया जा चुका है.
साथ ही राजधानी लखनऊ में अब तक छह लोगों में जीका वायरस की पुष्टि हो चुकी है. वायरस का प्रसार बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है. फिलहाल यूपी में इसका खतरा बढ़ता ही जा रहा है. डेंगू के कहर के बीच जीका वायरस का कहर अब स्वास्थ्य महकमे के लिए नई मुसीबत बनता जा रहा है.
डॉ. के मुताबिक, जीका वायरस बीमारी के सबसे आम लक्षण बुखार, दाने, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होना और मांसपेशियों में दर्द हैं. इसके लक्षण काफी कुछ डेंगू, चिकनगुनिया से मिलते-जुलते हैं. जीका से संक्रमित कई लोगों में लक्षण नहीं होते हैं या मामूली होते हैं.
A hassled Kanpur resident from a locality where #Zikavirus cases have been detected, speaks about trying to get municipal corp officials to clean up the area, including a drain with stangant water, for months, with little success …. pic.twitter.com/f6z895ihd9
— Alok Pandey (@alok_pandey) November 9, 2021
जीका वायरस के प्रभाव खतरे और बचाव के बारे में एशियाविल ने दिल्ली के मशहूर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डीन डॉ राजीव सूद से बातचीत की.
डॉ राजीव जी सूद ने मुझे बताया, “जीका वायरस 1947 में पहली बार मिला था. यह एडीज मच्छरों से होता है और यह वही मच्छर है जो चिकनगुनिया और डेंगू के है. यह पहले युगांडा में मिलना शुरू हुआ. जीका नाम का एक एनिमल है उसमें सबसे पहले आया. और पहले तो छोटे-छोटे 8-10 केस ही आए. लेकिन केरला में एक प्रेग्नेंट लेडी में जब आया तो फिर उसी तरह के लक्षण वाले लोगों को केरल में देखा गया. और टेस्ट के बाद पाया गया कि 19 में से 13 लोगों को इस तरीके के लक्षण थे. केरला के बाद ये फिर पिछले 3- 4 महीने में महाराष्ट्र में मिला और अब कानपुर में आ गया.”

डॉ. सूद आगे बताते हैं, “इसमें ऐसा है कि जहां भी मच्छर होगा. डेंगू, चिकनगुनिया पाया जाएगा वहां पर जीका वायरस हो सकता है. इसमें खतरा जो मच्छर वाली जगह है वहां पर है. जैसे जहां रुका हुआ पानी उसमें मच्छर पैदा होता है. यह या तो मच्छर से होता है, या फिर प्रेगनेंसी में मां से बच्चे में होता है. या फिर एक दूसरे से किडनी ट्रांसप्लांट या दूसरे ट्रांसलेट करने से हो सकता है. हालांकि ये ऐसा नहीं फैलता जैसे करोना फैलता है. इन दोनों का सिचुएशन बिल्कुल अलग है. यह ठीक है कि जिनमें इम्यूनिटी की कमी हो गई है, हो क्योंकि यह भी वायरल इंफेक्शन है. जीका वायरस तो मच्छर के काटने से होता है जबकि कोरोना पर्सन टू पर्सन, खांसी छूने आदि से होता है. अब आप मास्क लगाने या सोशल डिस्टेंसिंग से कोरोना से तो बच सकते हैं लेकिन जीका वायरस से नहीं बच सकते. तो इसके लिए मच्छर का कंट्रोल सबसे ज्यादा जरूरी है. उसके लिए आप शरीर पर ट्यूब जैसे ऑडोमॉस वगैरा लगा सकते हैं. जिससे मच्छर काट न पाए.”
इससे नुकसान क्या हो सकता है. इस बारे में डॉ. सूद कहते हैं, “ये खांसी, जुखाम के लक्षण ही होते हैं, और आपको लगता है कि ये कोई और बीमारी है. बाकि सारे टेस्ट आपके निगेटिव आएंगे. इसका टेस्ट कोरोना की तरह ही होता है उसमें पता चलता हैकि ये तो जीका था. अब खांसी, जुकाम, शरीर में दर्द, आंख का आना ये चीजें इसमें हो सकती हैं. लेकिन जो इसका सबसे ज्यादा खतरा है वह है मां से बच्चे में जाने से. बच्चे का सिर छोटा हो सकता है, या उसकी नब्ज छोटी हो सकती है या कमर से नीचे पैरालिसिस हो सकता है. तो इस तरीके से कई बार जीका का पता चलता है. अभी तो ये ज्यादा नहीं फैला है, लेकिन ये कभी भी फैल सकता है और यूपी में इसका खतरा बहुत बढ़ गया है. कानपुर, कन्नौज में आ गया है और केस रुक नहीं रहे, बढ़ते ही जा रहे हैं.”
इससे बचाव के क्या उपाय हैं. इस सवाल पर डॉ. सूद कहते हैं, “हमें ये बातें समझ आ जानी चाहिए कि एक तो कोविड से बचाव वाला बिहेवियर अपनाएं और दूसरा अपने आस-पास सफाई रखें, पानी नहीं रुकना चाहिए, जिससे मच्छर पैदा न हों. अगर हमने ये दो चीजें कर लीं तो हम जितनी भी खतरनाक वायरल बीमारी हैं, सब पर कंट्रोल कर सकते हैं.”
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