गरीबों का कितना सहारा बन पाएगी वर्तमान ‘गरीब कल्याण अन्न योजना’
केंद्रसरकार ने कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए गरीब परिवारों के लिए जून 2021 तक मुफ्त अनाज देने का ऐलान किया है. ये योजना अगले महीने से लागू होगी.
सरकार की घोषणा के मुताबिकइस योजना में गरीब परिवारों को मई और जून, दो महीने के लिए ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के तहत मुफ्त में अनाज दिया जाएगा.योजना के तहत केंद्र सरकार हर गरीब को 5 किलो अनाज मुफ्त देगी. यह अनाज राशनकार्ड पर हर महीने मिलने वाले अनाज से अलग होगा.
इस योजना से राशनकार्ड धारकों को लाभ मिलेगा. अगर किसी के राशन कार्ड में दो लोगों के नाम दर्ज हैं तो सभी को 5-5 किलो यानी कुल 10 किलो अनाज मिलेगा. सरकार का मानना है कि इस योजना के तहत देश के करीब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिल सकेगा और मुफ्त अनाज देने पर करीब 26 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.
Government of India to provide free foodgrains under PM Garib Kalyan Ann Yojana for May & June 2021. 5 kg free food grains to be provided to around 80 crore beneficiaries. Government of India would spend more than Rs 26,000 crore on this initiative: Government of India
— ANI (@ANI) April 23, 2021
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अगर लॉकडाउन लम्बा चलता है तो क्या ये 5 किलो अनाज से एक परिवार का गुजारा संभव हो पाएगा. क्योंकि इस बार इस राशन के साथ पिछले साल की तरह दाल,चना आदि किसी अन्य चीज का वितरण नहीं किया जाएगा.और पिछले साल भी लॉकडाउन से गरीब और मजदूर तबका अन्य वर्गों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित हुआ था. जब मार्च में अचानक से हुए देशव्यापी लॉकडाउन से लाखों गरीबों का काम छूट गया औरउनके सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया था. ऐसे में देखनाये होगा कि इस बार सरकार की राशन की ये घोषणा गरीबों को कितनी सहायता दे पाएगी. इसके अलावा पात्र लोगों तक राशन का सही वितरण भी एक चुनौती होगी.इसे थोड़ा समझने के लिए हमने देश के मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. अरुण कुमार से बात की.
डॉ. अरुण कुमार एशियाविल से बात करते हुए कहते है, “पहली बात तो यह है कि अगर लॉकडाउन है और लोग माइग्रेंट कर रहे हैं तो उनकी तनख्वाह तो खत्म हो जाएगी और उन्हें परेशानी होगी, क्योंकि जो गरीब आदमी है वह तो रोज कमाता रोज खाता है तो इस तरह की योजना के तहत उन्हें कुछ राशनवगैरह देना बहुत जरूरी था. लेकिन इस बार जैसे इन्होंने किया है कि खाली गेहूं या चावल देने का प्रावधान किया है तो उसके साथ दाल वगैरह कुछ और भी देना चाहिए था क्योंकि खाली आदमी गेंहूया चावल से तो पेट नहीं भर पाएगा ना. जैसे पिछली बार दाल या 500 रुपए महीनामहिलाओं को दिया था उस तरीके से भी कोई प्रावधान करना था जिससे की रसोई की ग्रोसरी की कोई चीज दाल- तेल वगैरह वे खरीद लेते क्योंकि राशन को खाने के लिए कोई एनर्जी वगैरह भी चाहिए.मतलब कुछ कैश ट्रांसफर भी करना चाहिए था.
और इसमें एक बात यह है कि यह जो राशन मिलेगा वह सिर्फ राशन कार्ड वालों को ही मिलेगा लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जो रजिस्टर्ड नहीं है जैसे -घुमंतू टाइप के लोग होते हैं, जो जहां-तहां रहते हैं तो उन्हें तो कुछ नहीं मिल पाएगा. वह पहले भी परेशानी में रहे थे इस बार भी परेशानी में रहेंगे तो सरकार को उनके लिए भी कुछ करना चाहिए.और इसमें भी ये परेशानी है कि जैसे किसी के पास राशन कार्ड कहींओर का है, कहीं ओर रजिस्टर्ड है और वह कहीं ओर रह रहा है उसे राशन नहीं मिल पाएगा. तो इस बारे में जो स्कीम की बात हो रही थी वन नेशन वन राशन कार्ड इस तरह की स्कीम होनी चाहिए जिससे कि आदमी कहीं भी हो बस वो अपना राशन कार्ड दिखाएं और उसे राशन मिल जाए.”
डॉ. अरुण कुमार आगे बताते हैं, दूसरी बात सरकार के ऊपर भी काफी प्रेशर है बिजनेस घरानों का कि ज्यादा लंबा लॉकडाउन ना हो लेकिन फिलहाल स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि बिना लॉकडाउन के इसका इलाज संभव नहीं है और मैं तो काफी पहले से कहता आ रहा हूं कि लॉकडाउन कर देना चाहिए क्योंकि अगर संक्रमण फैलना शुरू होगया तो फिर बहुत बुरी तरह फैलेगाजो अब फैल रहा है, लोग कुंभ से आ रहे हैं, राजनीतिक रैलियों से आ रहे हैं तो अब तो कम्युनिटी ट्रांसलेशन हो रहा है चाहे सरकार माने या ना माने लेकिन कम्युनिटी ट्रांसलेशन फैल चुका है.इस दशा में उन्हें लॉकडाउन और लंबा करना पड़ेगा और यह 2 महीने के राशन से काम नहीं चलेगा, यह भी और आगे बढ़ाना पड़ेगा.”
गौरतलब है कि पिछले साल मार्च में केंद्र सरकार ने महामारी के प्रकोप को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन लगाने का ऐलान किया था. और फिर इसी दौरान केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का एलान किया था.जिसमें गरीबों को नि:शुल्क अनाज देने की घोषणा की थी. इसके तहत राशनकार्ड धारकों को अप्रैल से जून तक राशन कार्ड में दर्ज सदस्यों के नाम के आधार पर 5 किलो अनाज (गेंहू/चावल) और एक परिवार को एक किलो दाल देने की घोषणा की थी. इस अनाज को राशन कार्ड पर मिलने वाले कोटे से अलग रखा गया था. बाद में इस योजना को छठ पूजा 30 नवंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया था.
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