भीमा कोरेगांव के आरोपी रोना विल्सन के कंप्यूटर से छेड़छाड़ पर अमेरिकी संस्था ने क्या कहा
फॉरेंसिक कंसल्टिंग की सेवाएं देने वाली अमेरिका की एक संस्था ने कहा है कि भीमा कोरेगांव के आरोपी रोना जैकब विल्सन की कंप्यूटर से छेड़छाड़ कर उसमें डाक्यूमेंट डाले गए. जांच एजेंसी एनआईए ने सबूत के तौर पर इन डाक्यूमेंट को अदालत में पेश किए हैं.
डिजिटल फॉरेंसिक जांच-पड़ताल करने वाली अमेरिकी संस्था आर्सेनल कंसल्टिंग की 16 पेज की एक रिपोर्ट ने आजकल भारत में तहलका मचा रखा है. आर्सेनल कंसल्टिंग ने रोना जैकब विल्सन नाम के एक एक्टिविस्ट के कंप्यूटर की जांच-पड़ताल की है. विल्सन को महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा, प्रधानमंत्री की हत्या और सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया है. जांच रिपोर्ट कहती है कि किसी मालबेयर के जरिए विल्सन के कंप्यूटर में पहुंच बनाकर कुछ दस्तावेज वहां प्लांट किए गए.

आर्सेनल कंसल्टिंग ने रोना विल्सन के कंप्यूटर में प्लांट गए दस्तावेजों की पहचान की है. इसके आधार पर विल्सन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपने खिलाफ चलाए जा रहे मुकदमों को चुनौती देते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की है.
कंप्यूटर की जांच
रिपोर्ट के मुताबिक विल्सन के जिस कंप्यूटर की जांच की, उसे महाराष्ट्र के पुणे की पुलिस ने उनके घर से 17 अप्रैल 2018 को जब्त किया था. विल्सन को पुलिस ने 6 जून 2018 को गिरफ्तार किया था. विल्सन के वकीलों की टीम ने आर्सेनल कंसल्टिंग को जांच के लिए हार्ड ड्राइव की प्रमाणित प्रति 31 जुलाई 2020 को सौंपी थी.
आर्सेनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विल्सन के कंप्यूटर से करीब 22 महीने तक छेड़छाड़ की गई. इस छेड़छाड़ का मकसद जासूसी करना और कंप्यूटर में डाक्यूमेंट प्लांट करना था. रिपोर्ट में कहा गया है कि अटैकर ने मालबेयर के जरिए करीब 4 साल तक कंप्यूटरों से छेड़छाड़ की. उन्होंने न केवल विल्सन बल्कि भीमा कोरेगांव के अन्य आरोपियों के कंप्यूटरों में भी घुसपैठ की. आर्सेनल का दावा है कि उसने अबतक जितने भी मामलों की जांच-पड़ताल की है, यह मामला उनमें से सबसे गंभीर है.
रिपोर्ट कहती है कि विल्सन के कंप्यूटर से 13 जून 2016 को छेड़छाड़ की गई, उस दिन किसी ने वरवरा राव के ईमेल अकाउंट का इस्तेमाल कर कई संदिग्ध मेल भेजे. ये ईमेल विल्सन के कंप्यूटर से मिले हैं. कंपनी का कहना है कि अगर उन्हें वरवरा राव का कंप्यूटर और उनके ईमेल की सामग्री मिल जाए तो वह यह भी बता पाएंगे उनके कंप्यूटर से कैसे छेड़छाड़ की गई. यह कोशिश उस दिन शाम 3 बजकर 7 मिनट पर शुरू हुई थी. वरवरा राव के ईमेल अकाउंट का इस्तेमाल करने वाले ने कोशिश की विल्सन एक खास डाक्यूमेंट को खोलें. शाम 6 बजकर 18 मिनट पर विल्सन ने बताया कि उन्होंने उस डाक्यूमेंट को खोल दिया है. रिपोर्ट कहती है कि इसके जरिए विल्सन के कंप्यूटर पर दूर से नजर रखने वाले नेटवेयर को इंस्टाल किए गए. रिपोर्ट कहती है, विल्सन को लगा कि वो वरवरा राव की ओर से भेजे गए लिंक को खोल रहे हैं. लेकिन उन्होंने कंप्यूटर पर कमांड करने वाले मालबेयर को खोला था. वरवरा राव भीमा कोरेगांव और अन्य मामलों में विल्सन के साथ सहअभियुक्त हैं.

रिपोर्ट का दावा है कि अटैकर ने विल्सन के कंप्यूटर से 13 जून 2016 से 17 अप्रैल 2018 तक छेड़छाड़ की. आर्सेनल को विल्सन के कंप्यूटर से 5 नेटवेयर मिले हैं. इनका इस्तेमाल विल्सन के कंप्यूटर के सर्विलांस के लिए किया गया.
आर्सेनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विल्सन के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जिन टॉप 10 कागजात को सबूत बताया गया है, उनमें से कोई भी वैध तरीके से उनके कंप्यूटर में नहीं पहुंचा था.
कंपनियों की जवाबदेही
रिपोर्ट कहती है कि इस मामले में इसमें इस्तेमाल किए गए C2 आईपी ऐड्रेस HostSailor से या इस तरह की सेवा देने वाली अन्य कंपनियों से जुड़े हैं. HostSailor, वर्चुअल प्राइवेट सर्वर (वीपीएस) है. आर्सेनल उन संभी कपंनियों से संपर्क कर रही है, जिनके प्रोडक्ट का इस्तेमाल विल्सन के कंप्यूटर से छेड़छाड़ करने में किया गया. आर्सेनल का कहना है कि कई कपंनियां मामले की गंभीरता से अवगत हैं. वो सहयोग कर रही हैं. लेकिन कुछ कंपनियां तरह-तरह के बहाने बना रही हैं. इस वजह से आर्सेनल कंसल्टिंग मालबेयर के बारे में विस्तार से नहीं पता कर पा रही है.
आर्सेनल के प्रमुख मार्क स्पेंसर का कहना है कि उन्होंने अबतक मुफ्त में काम किया है. आर्सेनल कंसल्टिंग की स्थापना 2009 में हुई थी. इसने बॉस्टन मैराथन बम विस्फोट समेत कई अन्य हाई प्रोफाइल मामलों में डिजिटल फोरेंसिक विश्लेषण किया है.

आर्सेनल कंसल्टिंग की इस रिपोर्ट के बाद विल्सन ने, बांबे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है. उन्होंने आतंकवाद विरोधी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) (यूएपीए) कानून के तहत दर्ज मुकदमे को चुनौती दी है. उन्होंने अदालत से एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने की मांग की है. ताकि उनके लैपटॉप में आपत्तिजनक सामग्री अपलोड कर उनको फंसाने की जांच की जा सके.
पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव मामले में दायर चार्जशीट में अपने प्राथमिक साक्ष्य के रूप में लैपटॉप में पाए गए पत्रों को पेश किया है.
इस मामले में और जानकारी लेने के लिए 'एशियाविल हिंदी' ने रोना जैकब विल्सन के वकील सुदीप पासबोला से संपर्क किया. लेकिन उन्होंने कहा कि वो इस बारे में मीडिया से बात नहीं करेंगे.
यह मामला सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा ने 'एशियाविल हिंदी' को बताया कि यह एक बहुत बड़ी साजिश है. इसी साजिश के तहत 10 से अधिक एक्टिविस्ट जेलों में बंद हैं. वो कहते हैं कि यह स्वतंत्र आवाजों को बंद करने की कोशिश है.
बीजेपी की राजनीति
वर्मा कहते हैं कि बीजेपी सरकार को संसदीय राजनीति में कांग्रेस और अन्य तरह की गैर संसदीय राजनीति पर वामपंथियों से डर है. बाकी शक्तियों को बीजेपी किनारे लगा चुकी है. वो कहते हैं कि इस साजिश की ही तहत ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पप्पू साबित करने के लिए अरबों रुपये खर्च किए गए हैं.

महाराष्ट्र में पुणे के पास भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 1818 को मराठा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच युद्ध हुआ था. इसमें समाज के तथाकथित निचले तबके से आने वाले महारों ने तथाकथित उच्च पेशवाओं के खिलाफ अंग्रेजों की ओर से लड़े थे. इसमें पेशवा की सेना को हार का सामना करना पड़ा था.
1 जनवरी 2018 को इस युद्ध के 200 साल होने पर बड़े पैमाने पर आयोजन हुआ था. उस दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी थी. इस मामले में पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की है. 2 जनवरी को दर्ज एफआईआर में भीमा कोरेगांव हिंसा के लिए 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाडा में आयोजित एलगार परिषद में दिए गए भाषणों को जिम्मेदार बताया गया है. इस मामले की जांच के दौरान ही पुलिस ने प्रधानमंत्री की हत्या और सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने का आरोप लगाया.
इस मामले में पुलिस ने अबतक सुधीर धावले, रोना जैकब विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत
वरवर राव, सुधा भारद्वाज, वरनॉन गोंज़ाल्विस, अरूण फरेरा, फादर स्टेन स्वामी, प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े, प्रोफेसर हनी बाबू, गौतम नवलखा, ज्योति जगतप, सागर गोरखे और रमेश गायचोर आदि को गिरफ्तार किया है.