पश्चिम बंगाल : ममता पर हमले के आरोपों का किसे होगा फायदा, तृणमूल या बीजेपी को
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि उन पर 4-5 लोगों ने हमला किया. इसके बाद उन्हें कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसके राजनीतिक नफा-नुकसान के बारे में बता रहे हैं राजेश कुमार आर्य.
पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम से बुधवार शाम खबर आई कि ममता बनर्जी पर कुछ लोगों ने हमला किया है. इसमें वो घायल हो गई हैं. ममता ने बुधवार को ही पूर्वी मेदिनीपुर जिले की नंदीग्राम सीट से अपना नामांकन दाखिल किया था. ममता के आरोपों के बाद बंगाल की राजनीति में उबाल आ गया. गुरुवार सुबह ममता बनर्जी के भतीजे ने एक फोटो ट्वीट किया. इसमें ममता बनर्जी अस्पताल के बेड पर लेटी हुई हैं और उनके एक पैर पर प्लास्टर चढ़ा हुआ है. उन्होंने फोटो के साथ लिखा, बीजेपी 2 मई को बंगाल के लोगों की ताकत देखेगी. देखते ही देखते ममता की यह तस्वीर वायरल हो गई. राजनीतिक विश्लेषक इसका राजनीतिक विश्लेषण करने लगे.

ममता बनर्जी ने बुधवार शाम को आरोप लगाया था कि 4-5 लोगों ने उन्हें तब धक्का दिया जब उनके साथ पुलिसकर्मी नहीं थे. उनका कहना था कि जब वो मंदिर से लौटकर कार में जा रही थीं तब 4-5 आदमियों ने उन्हें धक्का दिया. उन्होंने बताया कि उन लोगों ने कार के दरवाजे को धक्का दिया. इससे उनका पैर कार के दरवाजे में फंस गया और इस दौरान उनके घुटने और टखने में चोट आई है.
बनर्जी का कहना था, "यह एक साजिश है. उस वक़्त प्रशासन का कोई व्यक्ति मेरी रक्षा के लिए वहां नहीं था. वे वास्तव में मुझे चोट पहुंचाने आए थे. मैंने अभी कोलकाता वापस लौटने का फैसला किया है."
ममता बनर्जी को कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि उन पर अगले 48 घंटे तक नजर रखी जाएगी.
মাননীয়া @MamataOfficial-কে তাঁর মনোনয়নপত্র জমা দেওয়ার দিনই নন্দীগ্রামে আক্রমণ করা হল। ৪-৫ জন মিলে তাঁকে উদ্দেশ্যপ্রণোদিতভাবে ধাক্কা দেয় যার ফলে তাঁর পায়ে ভীষণ রকম চোট লাগে। এটা পরিষ্কার ষড়যন্ত্র এবং পরিকল্পনামাফিক কারণ তাঁর কিছুক্ষন আগেই দিদি বিপুল জনসমর্থন পান। (1/2) pic.twitter.com/PpR0MH46pN
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) March 10, 2021
'जनसत्ता' कोलकाता में लंबे समय तक काम करने वाले प्रभाकर मणि तिवारी पश्चिम बंगाल की राजनीति पर बारीक नजर रखते हैं. ममता बनर्जी के आरोपों के सवाल पर वो कहते हैं, ''बंगाल में हिंसा की राजनीति पहले से होती रही है, चाहे वह कांग्रेस की सरकार रही हो या वाम मोर्चे की. इससे पहले 1980 के दशक में वाममोर्चे की सरकार में भी ममता बनर्जी पर हमला हुआ था. लेकिन 2014 में बीजेपी के उभार के बाद से यहां हिंसा की राजनीति एक बार फिर शुरू हुई है. पंचायत चुनाव और लोकसभा चुनाव में भी हिंसा हुई थी. और अब विधानसभा चुनाव में भी हिंसा की शुरूआत हो गई है.''
राजनीतिक फायदा
वो कहते हैं कि बुधवार की घटना हादसा थी या हमला, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इससे ममता बनर्जी फायदे में दिख रही हैं. वो कहते हैं कि हालत यह हो गई है कि बीजेपी नेताओं को घूम-घूम कर सफाई देनी पड़ रही है. बीजेपी बचाव की मुद्रा में है. इसका फायदा ममता को मिलेगा. वो कहते हैं कि इस घटना की जांच रिपोर्ट जबतक आएगी, तब चुनाव बीत चुका होगा और मामता इसका फायदा उठा चुकी होंगी.
गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी करने वाली थी. लेकिन बुधवार की घटना के बाद पार्टी ने अपना वह कार्यक्रम स्थगित कर दिया. ममता बनर्जी ने गुरुवार दोपहर अस्पताल से एक वीडियो बयान जारी कर कहा कि अगले 2-3 दिन में चुनाव प्रचार पर फिर निकलेंगी. उनका कहना है कि अगर पैर ठीक नहीं हुआ तो वो वील चेयर पर भी चुनाव प्रचार करने जाएंगी.

कोलकाता में रहने वाले सुवोजीत बागची बीबीसी और दि हिंदू जैसे संस्थान में उच्च पदों पर काम कर चुके हैं और आजकल स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर काम कर रहे हैं. ममता के आरोपों के सवाल पर बागची कहते हैं कि अभी तो बंगाल में पूरी बहस इस बात पर हो रही है कि यह एक हादसा था या हमला. वो कहते हैं कि अगर जांच में यह साबित हो जाता है कि यह एक हादसा था तो इसका फायदा तृणमूल को नहीं मिलेगा. लेकिन अगर जांच में यह पता चलता है कि यह एक हमला है तो इसका फायदा तृणमूल को मिलेगा.
जांच का परिणाम
गुरुवार को इस घटना को लेकर दोनों दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा. दोनों दलों के नेता इसकी शिकायत लेकर चुनाव आयोग तक पहुंचे. तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग ने बंगाल के पुलिस प्रमुख को हटा दिया और इसके 24 घंटे बाद ही यह हमला होता है. इसका असर यह हुआ कि गुरुवार शाम को चुनाव आयोग को सफाई देनी पड़ गई. आयोग ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि आयोग ने कहा कि हमारे ऊपर आरोप लगाना ठीक नहीं है. आयोग किसी भी तरह से इस तरह की घटना का समर्थन नहीं करता है. आयोग ने कहा कि यह भी कहना गलत है कि हमने चुनाव के नाम पर राज्य की कानून-व्यवस्था पर नियंत्रण में कर लिया है.
सुवोजीत बागची कहते हैं कि राज्य में पिछले करीब साल भर से हिंसक घटनाएं हो रही हैं.लेकिन राज्य में कोई निष्पक्ष संस्था नहीं है, जो इस तरह की राजनीतिक हिंसा की हकीकत बयान कर सके. वो कहते हैं कि राज्य की संस्थाएं ममता को रिपोर्ट करती हैं और केंद्र की संस्थाएं मोदी सरकार को रिपोर्ट करती हैं. ऐसे में राज्य में राजनीतिक हिंसा पर नजर रखने के लिए एक निष्पक्ष संस्था का होना बहुत जरूरी है.

बुधवार की घटना के राजनीतिक फायदे के सवाल पर बागची कहते हैं कि यह घटना कितने दिन तक चर्चा में रहता है, राजनीतिक नफा-नुकसान उसी पर निर्भर करेगा. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि बीजेपी कौन सी रणनीति अपनाती है क्योंकि अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई रैलियां होनी हैं.
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी महासचिव और बंगाल में पार्टी मामले के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ममता के दावे पर कहा कि ममता बनर्जी लोगों की संवेदनाएं समेटने के लिए नौटंकी कर रहीं हैं. काफी चीजें सामने आ गईं हैं कि वह कोई हमला नहीं था एक दुर्घटना थी. इस घटना को हादसा साबित करने में एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है. इसमें उन्हें दिल्ली की टीवी मीडिया का भी जमकर साथ मिल रहा है. बंगाल बीजेपी के उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह ने एक बयान में कहा कि ममता बनर्जी को चोट तो जरूर लगी है. लेकिन यह चोट उन्हें अपनी गलती की वजह से लगी है.
इस घटना में चुनाव आयोग की भूमिका के सवाल पर प्रभाकर मणि तिवारी कहते हैं कि प्रदेश के पुलिस प्रमुख और एडीजी (ला एंड ऑर्डर) के बदलने के 24 घंटे के दौरान ही यह घटना हुई है, ऐसे में आयोग पर सवाल उठना लाजमी है. वो कहते हैं कि ममता पहले भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाती रही हैं, चाहें वह 8 चरण में चुनाव कराने के मामला हो या अधिकारियों के तबादले का मामला. ममता आरोप लगाती रही हैं कि इन सबके पीछे बीजेपी का हाथ है.
দলনেত্রীর @MamataOfficial আবেদন pic.twitter.com/SPoD3m7Iu3
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) March 11, 2021
तिवारी कहते हैं कि इससे पहले बीते साल दिसंबर में जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हुआ था तो 3 आईपीएस अधिकारी हटा दिए गए थे. अब तृणमूल के नेता यह कह रहे हैं कि देखते हैं कि ममता पर हमले के बाद कितने आईपीएस अधिकारियों को हटाता है.
तिवारी कहते हैं कि वो मतदाता जो बीजेपी को वोट देने का मन बना रहे थे, वो इस घटना के बाद से अपना विचार बदल सकते हैं. वो तृणमूल कांग्रेस को वोट कर सकते हैं.
इस घटना का राजनीतिक फायदा तृणमूल कांग्रेस को मिलता है या बीजेपी को, यह तो 2 मई को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा. लेकिन इस घटना ने पश्चिम बंगाल की राजनीति को और गरमा दिया है, जो पहले से ही काफी गरम है.
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