यूपी टेट पेपर लीक, परीक्षा रद्द होने से अभ्यर्थियों में गुस्सा, योगी सरकार पर उठे सवाल
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा 2021 को रद्द कर दिया गया है.
रविवार को परीक्षा से ठीक पहले पेपर लीक होने की जानकारी मिली थी. यूपी : नौकरी को लेकर छात्र संगठन आगे आए, ‘रोजगार अधिकार यात्रा’ निकाली
उत्तर प्रदेश में खाली पड़े सरकारी पदों पर नियुक्ति की मांगों और मौलिक अधिकार को लेकर यूपी मांगे रोजगार अभियान के तहत 23 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर से युवाओं ने रोजगार के अधिकार को लेकर हुंकार भरते हुए एक आंदोलन चलाया है. जिसके प्रथम चरण में ‘रोजगार अधिकार यात्रा’ की शुरूआत की गई, जो गोरखपुर से चलकर पूर्वांचल के देवरिया, बलिया, मऊ, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र व मिर्जापुर की जनता व बेरोजगार छात्र-युवाओं को जागरूक करते हुए 28 नवंबर को वाराणसी पहुंची जहां इसके पहले चरण का समापन हुआ. अब 2 दिसंबर को लखनऊ में विधानसभा घेराव किया जाएगा. मोर्चा की तरफ से 'आंकड़ों में मत उलझाओ - रोजगार कहां है बतलाओ' का नारा दिया गया है. ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन समेत अन्य संगठनों की ओर से इसमें उत्तर प्रदेश छात्र-युवा रोजगार अधिकार मोर्चा का गठन किया गया है.
गोरखपुर के बेतियाहाता स्थित भगत सिंह चौक से यात्रा की शुरूआत हुई थी. जिसका उदघाटन करते हुए बिहार विधान सभा के सदस्य व भाकपा माले नेता अमरजीत कुशवाहा ने कहा था कि भाजपा सरकार रोजगार के नाम पर युवाओं को बरगलाने का काम की है. भाजपा की केंद्र से लेकर राज्य तक में मौजूद सरकारों के बावजूद रोजगार के सवाल को न हल कर पाने की स्थिति में अब देश का युवा इन्हें माफ नहीं करेगा. इस दौरान सभा में नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि हमारी सरकारों के लिए बेरोजगारी मुद्दा नहीं रह गया है. प्रति वर्ष दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का वादा करके केंद्र में आई मोदी सरकार ने सबसे पहले तो बेरोजगारी के आंकड़े को प्रस्तुत करना बंद कर दिया है.
आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान ने इस रोजगार मार्च पर एशियाविल से बातचीत की.
शैलेश पासवान ने मुझे बताया, “दो दिसंबर को लखनऊ में होने वाले विधानसभा मार्च के घेराव का आह्वान करते हुए हमने यह गोरखपुर से शुरू की थी. इनमें यूपी में जो 25 लाख विभिन्न सरकारी पद खाली हैं, उन पर नियुक्ति की मांग है. दूसरा, रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग है. और रोजगार नहीं देने तक 10 हजार रूपए महंगाई भत्ता का कानून बनाया जाए. इसके अलावा जिलों में जो कल कारखाने हैं, जैसे हथकरघा जो इस सरकार में पूरी तरह खत्म हो चुके. उन्हें चालू करा कर स्थानीय लोगों को रोजगार देने की मांग की गई है. इसमें हमें कई छात्र संघों ने समर्थन दिया है.”
शैलेश बताते हैं, “23 नवंबर को यह गोरखपुर से शुरू होकर देवरिया, मऊ, बलिया, गाजीपुर चंदौली जगह होते हुए बनारस पहुंची है और आज उसके एक चरण का यहां समापन हुआ है. इस दौरान हर नुक्कड़ चौराहे पर गांव में मीटिंग करते हुए लोगों से बात करते हुए पता चला कि रोजगार की मुख्य समस्या है. वे खुद बता रहे थे वे महंगाई में किस तरीके से गुजारा कर रहे हैं. तो रोजगार को लेकर बहुत अच्छा रेस्पॉन्स हमें मिला. और हमें लगता है कि 2 दिसंबर को लखनऊ में बड़ी संख्या में लोग पहुंचेंगे.”