यूपी सहायक शिक्षक भर्ती मामला : अभ्यर्थियों के आंदोलन के 100 दिन पूरे
उत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती का मामला दिन-ब-दिन खिंचता जा रहा है.
इस मामले को लेकर ओबीसी तथा एससी वर्ग के अभ्यर्थी 100 दिन से ज्यादा से लखनऊ के इको गार्डन में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में ओबीसी और एससी अभ्यर्थियों को भर्ती में पर्याप्त आरक्षण नहीं मिला है. ये अभ्यर्थी कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं. अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने भी प्रदर्शन किया था इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था. जिसमें कुछ अभ्यर्थियों को चोट भी आई थी. अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार उनकी मांग पूरा नहीं कर रही है इस कारण वे फिर से बड़ा कर रहे हैं.


इको गार्डन में प्रदर्शन कर रहे ओबीसी समाज के एक अभ्यर्थी प्रदीप बघेल ने एशियाविल से बातचीत की और पूरा प्रकरण विस्तार से समझाया.
प्रदीप बघेल ने मुझे बताया, “2018 में यूपी सरकार ने यूपी बेसिक एजुकेशन में असिस्टेंट टीचर के लिए 69000 भर्तियां निकाली थीं. जिसका जनवरी 2019 में एग्जाम हुआ था और 2020 में इसका रिजल्ट आया. तो सरकार ने जो सलेक्टेड कैंडिडेट थे उनके नाम, पिता का नाम और जिस जिले में उसका सिलेक्शन दिया गया है वह पब्लिश किया था. बाकी सलेक्शन क्राइटेरिया क्या रहा और कैटेगरी वह उन्होंने शो नहीं किया. हमें उम्मीद थी कि हमारा कंफर्म हो जाएगा लेकिन हमारा नहीं हुआ था. तो हमने पूछा कि जनरल, ओबीसी, एससी का कट ऑफ क्या है, तो उन्होंने नहीं बताया.”
प्रदीप आगे बताते हैं, “इसके बाद हमने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग में केस डाल दिया कि हमें ऐसा लगता है कि ओबीसी को पूरा रिजर्वेशन नहीं दिया गया. तो इस पर उन्होंने केस एक्सेप्ट किया और हियरिंग चालू कर दी. लगातार एक साल हियरिंग चली, और आयोग ने सरकार के अधिकारियों को तलब भी किया और उनसे पूछा था कि किस आधार पर छात्रों का चयन किया गया है. तो वह बता नहीं पा रहे थे. बस राज्य सरकार यह जवाब देती रही यह लिस्ट हमने नहीं बनाई बल्कि यह एनआईसी ने बनाई है तो अगर कुछ गड़बड़ भी हुई है तो वह एनआईसी की तरफ से है. तो हमने एनआईसी को भी पार्टी बनाया था. एनआईसी ने वहां जाकर लिख कर जवाब दिया कि इसमें हमारा कोई दोष नहीं है, हमें तो अधिकारियों ने जो निर्देश दिए थे उसी के आधार पर हमने लिस्ट बनाई है. इसी टाइम पीरियड में हमने उनकी (आयोग) वेबसाइट चैक की और हर कैंडिडेट का कटऑफ निकाला था. तो उसमें हमने पाया था कि काफी बड़ी मात्रा में हेर-फेर किया गया है. एससी का भी गड़बड़ किया गया था लेकिन वह आयोग ओबीसी का था तो हमने वही चेक किया.”

प्रदीप बताते हैं, “तो इस भर्ती में क्या होता है कि जो चयनकर्ता होता वह बीएसए होता है. तो आयोग ने यूपी के 75 जिलों से सभी बीएसए को तलब किया और उनसे जो उनके यहां कैंडिडेट चयनित हुए हैं उनका सिलेक्शन बेस, फाइनल मेरिट और कैटेगरी क्या रही है उसका डाटा मांगा. बीएसए ने वहां जाकर दे दिया. अंत में आयोग ने बीएसए से प्राप्त डाटा कैलकुलेट किया कि ओबीसी को कितना रिजर्वेशन दिया है. आयोग ने बताया था कि इस भर्ती में ओबीसी को 2633 सीटें मिली है. जबकि इस भर्ती में ओबीसी के लिए सीटें 27 परसेंट सीटें कोटे के अंतर्गत 18518 मिलनी थीं. लेकिन इस हिसाब से सरकार ने 15900 के आसपास ओबीसी की सीटों का गड़बड़ किया है. तो इसमें आयोग ने फाइनल रिपोर्ट यह दी है कि जो जनरल कैंडिडेट थे उनकी मेरिट जहां खत्म होनी थी, 50 प्रतिशत कोटे के बाद उसमें ओबीसी के 5844 कैंडिडेट हैं जिन्हें ओवरलैपिंग से रोका है. इसकी वजह से जनरल की कट ऑफ लिस्ट नीचे आ गई. और जनरल और ओबीसी की कट ऑफ के बीच में ओबीसी कैंडिडेट 27 पर्सेंट होने चाहिए, लेकिन ये 3.86% के आसपास होते हैं. रिपोर्ट में 60 पॉइंट आयोग ने दिए हैं और 29 अप्रैल को सरकार को भेजी थी. रिपोर्ट के बाद हम अधिकारियों से जाकर मिले कि यह रिपोर्ट आई है तो आप इसे लागू करो. तो पहले तो अधिकारी मना करते रहे कि हमारे पास कोई रिपोर्ट नहीं आई है. फिर हमने प्रोटेस्ट शुरू कर दिया तब अधिकारियों ने माना कि हमारे पास रिपोर्ट आई है. और हम उस पर काम कर रहे हैं. लेकिन अभी उन्होंने उस पर कुछ किया नहीं है. हम लोगों का प्रोटेस्ट लगातार जारी है हमें अब 100 दिन हो चुके हैं.”






प्रदीप ने बताया, “इससे पहले भी दिसंबर में हमने इसकी मांग के लिए लखनऊ में इससे संबंधित संस्था एससीईआरटी के सामने प्रोटेस्ट किया था तो वहां शिक्षा मंत्री और उनके संबंधित अधिकारी को लेकर एक मीटिंग रखी थी जिसमें हमें भी 5 लोगों को बुलाया गया था और मैं भी उस मीटिंग में शामिल हुआ था. वहां वे कह रहे थे कि हमने तो क्लियर भर्ती किया है तो हमने सवाल किया था कि सफल कैंडिडेट की केटेगरी और उसका चयन का आधार क्या रहा है वह हमें बता दीजिए, बस हमारी यही मांग है. विजय किरण आनंद जो भी गोरखपुर के डीएम है वे महानिदेशक थे, उन्होंने ही यह भर्ती कराई थी. तो उन्होंने मना कर दिया कि ये प्राइवेसी है. हम किसी भी स्टूडेंट का कोई डाटा किसी को नहीं दे सकते. हमने कहा की भर्ती के स्टूडेंट तो हम भी हैं आप हमें क्यों नहीं दे सकते, हमारा सिलेक्शन नहीं हुआ है तो हमें गड़बड़ लग रहा है आप हमें दे सकते हो लेकिन उन्होंने मना कर दिया.”
अंत में प्रदीप कहते हैं, “6 सितंबर को भी हमने इको गार्डन लखनऊ में बहुत बड़ा प्रोटेस्ट किया था इसमें लगभग 50,000 कैंडिडेट आए थे. जिसमें भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद का भी सपोर्ट मिला था. वह तीन-चार दिन हमारे साथ धरने पर बैठे थे. पिछले प्रोटेस्ट में उनके अलावा करीब 25 सामाजिक संगठन भी हमारे साथ थे. उसके बाद मुख्यमंत्री ने उसी दिन संज्ञान लिया था और तभी यह बोला था कि हमने आपके लिए कमेटी बना दी है जो इस पर निर्णय लेगी की आपका किस तरीके से करना है. और वह आपको 15 दिन में रिपोर्ट दे देगी. लेकिन 15 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं अभी तक हमारे पास कुछ नहीं आया है. तो हम फिर से एक बड़ा प्रोटेक्ट करने की सोच रहे हैं. अभी हम लगभग 500-600 लोग वहां बैठते हैं. यही इको गार्डन में बैठते हैं कहीं और बैठने नहीं देते कई बार हम मंत्रियों का घेराव कर चुके हैं. तो यह लोग लाठी डंडा चला देते हैं. एक बार लाठी चलाती थी तो एक दर्जन के करीब लोग घायल हो गए थे. तो हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा था. अभी हम अक्टूबर के फर्स्ट वीक में फिर से एक बड़ा प्रोटेस्ट करना की सोच रहे हैं. इसके लिए हमने सभी सामाजिक संगठनों को साथ आने की अपील की है.”