देश में कोरोना की दूसरी लहर खतरनाक होती जा रही है. शनिवार को रिकॉर्ड 3 लाख 48 हजार 979 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई. अब तक एक दिन में मिले संक्रमितों का ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है.
यह लगातार चौथ दिन रहा, जब देश में 3 लाख से ज्यादा संक्रमितों की पहचान हुई. इस दौरान 2 लाख 15 हजार 803 लोगों ने कोरोना को मात दी. लेकिन इन सबके बीच इस मुश्किल वक्त में भी देश भर से दिल को सुकून देने वाली और इंसानियत को अहमियत देने वाली सैंकड़ों कहानियां भी सामने आ रही हैं. कहीं लोग अपरिचितों के अंतिम संस्कार के लिए आगे आ रहे हैं, कहीं कोई ऑक्सीजन सिलेंडर बांट रहे हैं तो कहीं खाने-पीने के लंगर का इंतजाम कर रहे हैं. बहुत से लोग सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों से मदद की अपील कर रहे हैं. जो जिस तरह से एक दूसरे के काम आ सकता है, उसकी कोशिशें जारी हैं. यानि ये लोग इस मुश्किल घड़ी में वास्तव में इंसानियत का फर्ज निभा रहे हैं.
इन्हीं में से एक हैं कोलकाता के डॉ. फवाद हलीम. इन्हें अगर “कोलकाता का प्लाज्मा मैन” कहें तो आश्चर्य नहीं होगा.दरअसल डॉ. फवाद पिछले साल सितम्बर से अब तक 7 बार अपना प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं.फवाद पिछले साल कोरोना संक्रमित हो गए थे, इससे उबरने के बाद वे लगातार अपना प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं, जिससे किसी जरूरतमंद की मदद हो सके.और अब अपने“स्वास्थ्य संकल्प” अस्पताल में लोगों के इलाज में भी जुटे हैं. लगभग 25 वर्षों से मेडिकल क्षेत्र में कार्यरत डॉ. फवाद ने एशियाविल से इस बारे में फोन पर बात की और कोविड और इसके बाद की परिस्थितियों पर अपना अनुभव साझा किया.

डॉ. फवाद ने मुझे बताया, “मैं जुलाई 2020 में कोविड पोजिटिव हुआ था उसके बाद में क्वारंटाइन रहा और मैंने अपना पूरा इलाज कराया. इससे उभरने के बाद मैंने अपना टेस्ट कराकर सितंबर से अपना प्लाज्मा डोनेट करना शुरू किया. इस दौरान 4 जनवरी तक मैंने 6 बार अपना प्लाज्माडोनेट किया था. उसके बाद कोवि का प्रकोप कुछ कम हुआ और प्लाज्मा का डिमांड भी कम हो गया. लेकिन जब अब यह दूसरी कोविड लहर शुरू हुई और प्लाज्मा की जरूरत पड़ीतो तो मैंने अपना एंटीबॉडी टेस्ट कराया कि अगर एंटीबॉडी कम होगा तो वैक्सीन ले लेंगे लेकिन मेरा एंटीबॉडी ठीक था तो फिर मैंने अभी एक बार और पलाज्मा डोनेट किया है तो अब तक मैं 7 बार अपना प्लाज्मा दे चुका हूं.”
डॉ फवाद आगे बताते हैं, “इसके अलावा भी मैं ब्लड डोनेशन लगातार करता रहता हूं तो अब इसी तरीके से प्लाज्मा भी डोनेट किया. इंसान हर 2-3 हफ्ते में प्लाज्मा डोनेट कर सकता है और इसकी पूरी जांच होती है मैंने कल ही प्लाज्मा दिया और अब मैं ठीक हूं.क्योंकि प्लाज्मा वही दे सकता है जिसे कोविड हुआ हो तो मैं वह हुआ था उसके बाद मैंने प्लाज्मा डोनेट करते हुए अपनी जिम्मेदारी को निभा पाया और लोग भी चाहे कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाएं क्योंकि जो सरकार निकम्मी हो जाती है तो लोगों को आगे आकर जिम्मेदारियां निभानी होती और सरकार पर निकम्मी हो चुकी.तो इस हालत में लोगों को अपनी जिम्मेदारी खुद अपने कंधों पर उठाना होगा तो मैं यही कहना चाहूंगा कि लोग हाथ धोएं, 2 गज की दूरी और मासक लगाए.”
डॉ फवाद कोलकाता में लगभग 25 साल से मेडिकल प्रैक्टिसकरते हैं. और वे इससे पहले भी अपने काम, समाजसेवाऔर दरियादिली से लोगों का दिल जीत चुके हैं. पिछले साल भी जब कोरोना वायरस शुरू हुआ थाऔर शुरू में पहला लॉकडाउन हुआ था तो डॉ फवाद ने जरूरतमंद मरीजो का सिर्फ 50 रुपए में ईएमआई करने का फैसला किया था तब भी उनकी काफी तारीफ हुई थी.ये अपने कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर बनाए गए एनएजी स्वास्थ्य संकल्प के तहत दक्षिण कोलकाता में पार्क स्ट्रीट के पास एक डायलिसिस यूनिट चलाते हैं.
जिस दौर में हेल्थकेयर लगातार महंगा हो रहा हो और ये शिकायतें आम हों कि प्राइवेट हास्पिटल्स मरीजों से मनमानी फीस वसूलते हैं. कुछ जगह से अभी भी ऑक्सीजन और कोविड दवाओ की कालाबाजारी की खबरें आ रही हैं और कुछ इंसानियत के नाम पर धब्बा लिए हुए लोग इस दौर को भी आपदा में अवसर की तरह देख रहे हैं, उस दौर में कोलकाता का एक डॉक्टर इंसानियत और जिंदादिली का अहसास दिला रहा है. यानि कहा जा सकता है कि एक ऐसे दौर में जब लोग पैसे को इंसानियत से कहीं ज्यादा अहमियत देने लगे हैं, डॉ फवाद का ये कदम निश्चित ही उन लोगों के लिए एक नसीहत साबित हो सकता है.
पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो डॉक्टर हलीम बंगाल के एक संपन्न राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता अब्दुल हलीम वर्ष 1982 से 2011 तक पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर रहे थे. फवाद ने भी वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव माकपा के टिकट पर डायमंड हार्बर सीट से लड़ा था. वह इस सीट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी से हार गए थे. इसके अलावा हलीम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटार्यड) जमीरुद्दीन शाह के दामाद हैं.