मुनव्वर फारूकी को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज मुकदमें में जारी पेशी वारंट पर भी रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को जमानत दे दी है. कथित रूप से धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए उन्हें 1 जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर में गिरफ्तार किया गया था. जमानत देते हुए जस्टिस आरफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने नियमित जमानत देने से इनकार करने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर फारूकी की याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है.

पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए फारूकी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज मामले में जारी पेशी वारंट पर भी रोक लगा दी है. फारूकी और चार अन्य को बीजेपी विधायक मालिनी गौड़े के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ के शिकायत पर 2 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था.
बीजेपी विधायक के बेटे ने आरोप लगाया गया था कि फारूकी ने नववर्ष के मौके पर इंदौर में हुए एक हास्य कार्यक्रम के दौरान हिंदू देवी-देवताओं तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं. इसके बाद एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था.
हाई कोर्ट के इंदौर पीठ ने 28 जनवरी के अपने आदेश में फारूकी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि 'सौहार्द को बढ़ावा' देना एक संवैधानिक कर्तव्य है. इंदौर खंडपीठ के जस्टिस रोहित आर्य की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि प्रकरण में जांच जारी है, लिहाजा गुण-दोष के आधार पर फिलहाल निष्कर्ष नहीं निकाला जा रहा है, लेकिन प्रथम दृष्टया दोनों आवेदकों के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप सही दिखाई देते हैं. इस परिस्थिति में आवेदकों को जमानत नहीं दी जा सकती है.

अदालत ने कहा था, ''हमारा देश बेहद खूबसूरत है, विविध संस्कृति, भाषा, धार्मिक मान्यताएं और भौगोलिक विविधता का सुंदर ताना बाना है. हमारा संविधान जहां हम नागरिकों को कई अधिकार देता है, वहीं हम नागरिकों के कई संवैधानिक दायित्व भी हैं. प्रदत्त अधिकारों और कर्तव्यों के बीच संतुलन रख हम इस विविधता को संरक्षित रखें, किसी की भावनाओं को आहत नहीं करें.''