लखीमपुर हिंसा : सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई यूपी सरकार को फटकार, गवाहों को सुरक्षा देने का आदेश
यूपी के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा मामले में दायर जनहित याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
जिसमें चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने एक बार फिर यूपी सरकार को फटकार लगाई है. मामले की पिछली सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की जांच पर नाखुशी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई थी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को घटना के गवाहों को सुरक्षा देने का निर्देश भी दिया है. साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार से लखीमपुर हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप और एक श्याम सुंदर की हत्या की जांच पर जवाब दाखिल करने को भी कहा है. सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने इसकी सुनवाई की. इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या आपने गवाहों के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराए. इस पर यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि 30 गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए हैं, इनमें से 23 चश्मदीद गवाह हैं. कुछ बाकी हैं, जिनका बयान होना है.
Lakhimpur Kheri case: #SupremeCourt asks FSL labs to expedite reports concerning videos of the incident. Court also seeks separate status report from UP govt on killing of journalist Raman Kashyap and an accused Shyam Sundar in #lakhimpurkherimassacre https://t.co/dQA26bROJ7
— Bar & Bench (@barandbench) October 26, 2021
इस पर बेंच ने कहा कि लखीमपुर में रैली के दौरान हजारों किसान मौजूद थे, आपको सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह मिले? इस पर हरीश साल्वे ने कहा कि हमने सार्वजनिक विज्ञापन देकर यह मांगा है कि जो भी चश्मदीद हैं, वे सामने आएं. घटना में सभी मोबाइल वीडियो और वीडियोग्राफी पर भी ध्यान दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हुए कहा कि उनके बयान तेजी से दर्ज किए जाएं. सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वहां चार-पांच हजार लोग थे, जो लोकल थे. इस पर साल्वे ने जवाब दिया कि सभी लोकल नहीं थे, कुछ बाहरी लोग भी थे. चीफ जस्टिस ने कहा कि आप अपनी जांच एजेंसी से कहें कि 23 लोगों के अलावा कितने लोग हैं, जिन्हें घटना देखी है, उनके बयान लें. कोर्ट ने साल्वे से यह भी पूछा कि हत्या का मामला दर्ज होने के बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई थी? ऐसा करके आप क्या संदेश देना चाहते हैं? सीजेआई ने आगे कहा कि क्या कोई गवाह घायल भी है? वीडियो का परीक्षण जल्दी करवाइए. नहीं तो हमें लैब को निर्देश देना होगा. इसमें गवाहों की सुरक्षा सबसे अधिक जरूरी है. हम गवाहों की सुरक्षा का निर्देश देते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के इस सुनवाई पर किसान नेता शिवकुमार कक्का एशियाविल से बातचीत में कहते हैं कि फटकार लगने लायक तो इनका काम ही था. सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वत संज्ञान लिया था. लेकिन बावजूद इसके गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा का इस्तीफा नहीं हुआ है. न्याय की उम्मीद पर कक्का कहते हैं कि इस पर जल्दबाजी में कुछ नहीं कह सकते क्योंकि बाकि सारी एजेंसियों को तो सरकार ने अपने अंडर में किया हुआ है. अब तो सुप्रीम कोर्ट से ही आशा है और उसके ऊपर विश्वास है.