स्वेज नहर में फंसा जहाज, जाम में फंसे सैकड़ों मालवाहक जहाज, हर घंटे 2800 करोड़ का नुकसान
एवरग्रीन के चालक दल के मुताबिक स्वेज नहर को पार करते समय आए हवा के एक तेज बवंडर के कारण उनका शिप घूम गया. जाम को खत्म करने में लग सकता है हफ्ते भर का समय.
दुनिया के सबसे व्यस्त कारोबारी मार्ग स्वेज नहर में चीन से माल लेकर एक विशाल मालवाहक जहाज एवरग्रीन के फंस गया है. इससे वहां जाम लग गया है. पिछले 24 घंटे में अब तक सौ से ज्यादा जहाज जाम में फंसे हुए हैं. इससे हर घंटे 2800 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. जाम खोलने में 5 से 7 दिन का समय लगने का अनुमान है. तब तक एशिया और यूरोप के बीच ज्यादातर ट्रेड लगभग ठप रहेगा.

बताया जा रहा है कि एवरग्रीन नाम का विशाल मालवाहक जहाज पर पनामा का झंडा लगा हुआ है. 193.3 किलोमीटर लंबी स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है. मंगलवार सुबह स्वेज पोर्ट के उत्तर में नहर को पार करने के दौरान कंट्रोल खोने से यह जहाज स्वेज नहर में फंस गया. इसे निकालने के लिए बड़े पैमाने पर टग बोट्स (जहाजों को धक्का देने वाली ताकतवर बोट) को तैनात किया गया है. फिर भी आशंका जताई जा रही है कि इस कंटेनर शिप को यहां से निकालने में कई दिनों का समय लग सकता है.
कैसे हुआ हादसा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एवरग्रीन जहाज के चालक दल ने बताया कि स्वेज नहर को पार करते समय आए हवा के एक तेज बवंडर के कारण उनका शिप घूम गया. बाद में जब उसे सीधा करने का प्रयास किया, तो जहाज ने नहर की चौड़ाई में घूमकर पूरे ट्रैफिक को ही बंद कर दिया. इस जहाज के पीछे एक और मालवाहक जहाज द मेर्सक डेनवर फंसा हुआ है. हालांकि, जहाज में सवार चालक दल के सभी सदस्य सुरक्षित हैं.
स्वेज नहर में फंसा एवरग्रीन 400 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा है. अगर इसको सीधा खड़ा कर दिया जाए, तो इसकी ऊंचाई एफिल टॉवर और एंपायर एस्टेट बिल्डिंग से भी ज्यादा होगी. शिप की मालिक जापान की सोई किसेन नामक कंपनी है, लेकिन इसे ताईवान के एवरग्रीन ग्रुप ने लीज पर लिया हुआ है. वह ही इसे ऑपरेट कर रहा है. यह शिप चीन से नीदरलैंड्स के रोटरडम पोर्ट जा रहा था. बताया जा रहा है कि तेज हवा की वजह से एवरग्रीन नहर में फंस गया.

इस शिप के फंसने से लाल सागर और भूमध्य सागर के किनारों पर बड़ी संख्या में जहाजों का जाम लगा हुआ है. इसी नहर के रास्ते हर दिन हजारों की संख्या में छोटे-बड़े शिप यूरोप से एशिया और एशिया से यूरोप का सफर करते हैं. अगर यह रास्ता लंबे समय तक बंद रहता है, तो समुद्री जहाजों को पूरे अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाते हुए यूरोप तक जाना पड़ेगा. इस रास्ते में कम से कम दो हफ्ते का समय लगता है. समय के साथ-साथ इसमें खर्च भी अधिक आएगा. इसके साथ ही दुनिया भर की सप्लाई चेन पर इसका असर पड़ेगा.
जहाज के नहर में फंसने के चलते हर घंटे करीब 40 करोड़ डॉलर (लगभग 2800 करोड़ रुपये) की चपत लग रही है. बता दें कि दुनिया में जितना व्यापार होता है, उसका 12 फीसदी इसी नहर के जरिए किया जाता है. वर्ष 1869 में बनी यह नहर 193 किलोमीटर लंबी है. यह कुछ जगहों पर सिर्फ 205 मीटर तक चौड़ी है. ऐसे में इस विशालकाय शिप के फंसने के बाद बाकी जहाजों का आवागमन लगभग नामुमकिन हो गया है.
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