माता-पिता समेत 7 लोगों की हत्या करने वाली शबनम ने राज्यपाल को भेजी दया याचिका
शबनम के वकीलों ने गुरुवार रात रामपुर जिला जेल के अधीक्षक को यह दया याचिका सौंपी. वहीं शबनम के बेटे एक सोशल मीडिया पर एक फोटो जारी कर राष्ट्रपति से अपनी मां को माफ कर देने की अपील की है.
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के एक गांव में अपने पूरे परिवार की हत्या के आरोप में फांसी की सजा पाई शबनम की फांसी पर चर्चा शुरू हो गई है. इस बीच खबर यह है कि शबनम ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को एक बार फिर दया याचिका भेजी है. उसकी दया याचिका को राष्ट्रपति नामंजूर कर चुके हैं. इस बीच शबनम के बेटे की राष्ट्रपति से अपनी मां को माफ कर देने की अपील भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

अमरोहा के बावनखेड़ी गांव में रहने वाली शबनम ने 2008 में 14-15 अप्रैल की रात पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस, भाभी अंजुम, भाई राशिद, फुफेरी बहन राबिया और भतीजा अर्श की अपने प्रेमी के साथ मिलकर हत्या कर दी थी. इनमें से 6 हत्याएं कुल्हाड़ी से काटकर और एक हत्या गला घोटकर की गई थी.
परिवार की हत्या
अमरोहा की जिला अदालत के जज एए हुसैनी ने 15 जुलाई 2010 को शबनम को फांसी की सजा सुनाई थी. शबनम पिछले साल से उत्तर प्रदेश की रामपुर जेल में बंद है. इसके पहले वह मुरादाबाद जेल में थीं.
रामपुर जेल के सूत्रों के मुताबिक शबनम ने राज्यपाल के नाम अब एक और दया याचिका तैयार की है. शबनम के दो वकीलों ने इस आवेदन को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल तक पहुंचाने के लिए रामपुर के जेल अधीक्षक को गुरुवार रात सौंपा. शबनम ने अपनी याचिका में फांसी की सजा को माफ करने की अपील की है. जेल प्रशासन इसे राज्यपाल को भेजेगा.
शबनम ने इससे पहले भी राज्यपाल के पास एक दया याचिका भेजी थी. लेकिन राज्यपाल ने उसे ठुकरा दिया था.
शबनम ने जब इस वारदात को अंजाम दिया था, उस समय वह गर्भवती थी. उसने जेल में ही एक बेटे को जन्म दिया था. शबनम का बेटा जुलाई 2015 तक जेल में ही उसके साथ रहा. इसके बाद कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बुलंदशहर की एक दंपति ने उसे गोद ले लिया.
बेटे की अपील
गुरुवार को शबनम के बेटे की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई. इसमें वो एक ग्रीन बोर्ड के साथ नजर आ रहा है. इस बोर्ड पर अंग्रेजी और हिंदी में लिखा है, '' राष्ट्रपति अंकल जी, मेरी मां शबनम को माफ कर दीजिए.''
शबनम के बेटे को अपनाने वाली दंपति ने 'एशियाविल हिंदी' को बताया कि राष्ट्रपति से दया की अपील करने का फैसला उसका अपना फैसला था. उन्होंने बताया, ''मैंने बेटे से शबनम की फांसी को लेकर आ रही खबरों पर चर्चा की तो उसने पूछा कि क्या राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री जैसे लोग मेरी मां को बचाने में मेरी मदद कर सकते हैं, इस पर मैंने उसे बताया कि हां, ये लोग मददगार हो सकते हैं. उस्मान बताते हैं कि इसके बाद उनके बेटे ने कहा कि वो राष्ट्रपति अंकल से मां को बचाने की अपील करेगा. इसके बाद ही उसने बोर्ड पर राष्ट्रपति के नाम से यह संदेश लिखा.
शबनम ने फांसी की सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने 26 अप्रैल 2013 को जिला अदालत के फैसले को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट ने 4 मई 2013 को शबनम की अपील खारिज कर दी थी. इसे शबनम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च 2015 को दिए फैसले में जिला अदालत के फैसले को बरकरार रखा.
इसके बाद शबनम ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की. राष्ट्रपति ने 11 अगस्त 2016 को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी.
इसके बाद शबनम में सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की. लेकिन उनकी अपील को सुप्रीम कोर्ट ने 23 जनवरी को 2020 को खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने पर रामपुर जेल के अधीक्षक ने 6 मार्च 2020 को रामपुर के जिला जज को इसकी सूचना देते हुए अगली कार्यवाही पर आदेश मांगा. लेकिन इस बीच कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लग गया. रामपुर के जेल अधीक्षक ने 28 जनवरी को अमरोहा के जिला जज एक पत्र भेजा है. इसमें उन्होंने फांसी की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अदालत से डेथ वारंट जारी करने का अनुरोध किया है. रामपुर की जेल को डेथ वारंट अभी नहीं मिला है. अगर अमरोहा की अदालत डेथ वारंट जारी कर देती है तो शबनम को मथुरा की जेल में फांसी की सजा दी जाएगी.