राम मंदिर ट्रस्ट: जिन पर चल रहा है आपराधिक मुक़दमा, वो बन गए अध्यक्ष और महासचिव
बीते ढाई दशकों से दोनों पर मुक़दमा चल रहा है. राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और महासचिव दोनों फ़िलहाल ज़मानत पर बाहर हैं और लखनऊ में मामले की सुनवाई अभी भी चल रही है.
अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir) के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बुधवार को हुई पहली बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. महंत नृत्य गोपाल दास (Nritya Gopal Das) को राम मंदिर ट्रस्ट (Ram Mandir Trust) का अध्यक्ष बनाया गया, जबकि विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के उपाध्यक्ष चंपत राय को महासचिव बनाया गया.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा 66.7 एकड़ में बनने वाले मंदिर के निर्माण समिति के अध्यक्ष होंगे. इसके साथ गोविंद गिरी को मंदिर ट्रस्ट का कोषाध्यक्ष बनाया गया है.
लेकिन, राम मंदिर ट्रस्ट के ताज़ातरीन अध्यक्ष बने गोपाल दास और महासचिव चंपत राय पर आपराधिक मुक़दमा दर्ज है. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में ढहाई गई बाबरी मस्जिद से जुड़े आपराधिक षडयंत्र के मामले में सीबीआई ने दास और राय को आरोपी बनाया था. ये दोनों फ़िलहाल ज़मानत पर बाहर हैं और मामले की सुनवाई अभी भी लखनऊ की विशेष अदालत में चल रही है.
बैठक में विहिप द्वारा तैयार किए गए एक मॉडल के अनुसार मंदिर का निर्माण करने का निर्णय लिया गया. सूत्रों ने कहा कि मंदिर का निर्माण अप्रैल तक शुरू हो सकता है.

ट्रस्ट में सरकारी अधिकारियों में ज्ञानेश कुमार अतिरिक्त सचिव (कश्मीर) गृह मंत्रालय, अवनीश अवस्थी अपर मुख्य सचिव (गृह), उत्तर प्रदेश और अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा को शामिल किया गया है. हालांकि इस बैठक में कई नाटकीय दृश्य भी देखने को मिले. महंत धरम दास बिन बुलाए बैठक में पहुंच गए और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी. इसके बावजूद उन्हें ट्रस्ट में शामिल नहीं किया गया.
जब से सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद के लिए हिंदू पक्षों के पक्ष में फैसला सुनाया, तब से अटकलें लगाई जा रही थीं कि दास और राय को मंदिर निर्माण में भूमिका दी जाएगी. जब सरकार ने ट्रस्ट की घोषणा की, तो दोनों को शामिल नहीं किया गया था. सूत्रों ने कहा कि सरकार एक मामले में गंभीर आरोपों का सामना करने वाले व्यक्तियों को नामित करके विवाद शुरू नहीं करना चाहती थी.
संयोग से दास की अध्यक्षता वाले न्यास ने पहले ही राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के साथ विलय कर लिया है और अपनी सभी परिसंपत्तियों (मंदिर के लिए नक्काशीदार खंभे और अयोध्या आंदोलन के दौरान एकत्रित धन सहित) को नए ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिया है. माना जा रहा है कि जिस दिन नया ट्रस्ट पंजीकृत किया गया था, उस दिन इस विलय की औपचारिकता पूरी कर ली गई थी.
बुधवार की बैठक के बाद चंपत राय ने कहा, “जिस प्रेरणा ने सरदार वल्लभभाई पटेल को सोमनाथ मंदिर बनाने के लिए प्रेरित किया, उसने रामजन्मभूमि को मुक्त करने के लिए हम लोगों को प्रेरित किया. हम केंद्र और यूपी सरकार को सतर्कता के साथ काम करने के लिए धन्यवाद देते हैं. पूरे देश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खुशी के साथ स्वीकार किया.”