देवबंद में एटीएस सेंटर बनाने के यूपी सरकार के फैसले पर उठे सवाल
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिन से प्रदेश सरकार के एक फ़ैसले को लेकर एक विवाद छिड़ा हुआ है. योगी सरकार ने सहारनपुर के देवबंद में एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड (एटीएस) कमांडो सेंटर बनाने का फैसला लिया है.
इस सेंटर में 12 से ज्यादा एटीएस अफसरों की तैनाती की जाएगी और यहां बड़ी संख्या में एटीएस कमांडों भी तैयार किए जाएंगे. इसके लिए 2 हजार वर्ग मीटर जमीन भी अलॉट हो गई है.
दरअसल देवबंद इस्लामी शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. एशिया के सबसे बड़े मदरसों में से एक दारुल उलूम, देवबंद में ही है. इसे ही देवबंद की बड़ी पहचान माना जाता है. इस नाते जब देवबंद में ATS का सेंटर और कमांडो ट्रेनिंग सेंटर बनने की बात आई तो इसे वहां की एक धार्मिक पहचान बनाकर, उससे जोड़कर देखा जाने लगा. यही कारण है कि विपक्ष ने सरकार के इस फैसले को राजनीतिक करार दे डाला. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि सरकार मुसलमानों को डराने की कोशिश कर रही है. राम गोविंद चौधरी ने कहा, 'वहां पर धार्मिक शिक्षा दी जाती है. सरकार उनको डराने के लिए ऐसा कर रही है. जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा. बोले, 'यह पुराना कानून है, इंदिरा गांधी ने लागू किया था. तब इमरजेंसी के दौरान उन्होंने इसे लागू किया था और अब बगैर इमरजेंसी के लागू किया जा रहा है. जैसे कांग्रेस का इस कानून ने सफाया किया, वैसे ही इनका भी सफाया होगा.”
वहीं सामाजिक संस्था रिहाई मंच ने देवबंद में एटीएस की इकाई कायम करने के उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय को दुर्भावनापूर्ण और मुसलमानों को आतंकित कर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने वाला बताया.
इस बारे में रिहाई मंच ने एक विज्ञप्ति भी जारी की जिसमें अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब एडवोकेट ने कहा कि मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी का यह ट्वीट सरकार की मंशा को समझने के लिए काफी है जिसमें कहा गया है, “तालिबान की बर्बरता के बीच यह यूपी का नया नमूना है. योगी जी ने देवबंद में कमांडो प्रशिक्षण केंद्र खोलने का निर्णय लिया है”. जो लोग ‘आतंकवाद को सुरक्षा प्रदान करते हैं’ यह उनके ‘दुख का कारण है”. न्होंने कहा कि श्री त्रिपाठी के उक्त ट्वीट संदेह पैदा होना स्वभाविक है कि अफग़ानिस्तान में तालिबान संकट को भारत के मुसलमानों से जोड़ते हुए उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव के मद्देनज़र साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति तैयार की जा रही है.
एशियाविल से बातचीत में एडवोकेट मोहम्मद शुऐब कहते हैं,
"देवबंद पहले से ही इनके निशाने पर रहा है. अब से पहले भी ये इन सेंटरों की स्थापना कर सकते थे या चुनाव आएगा तभी करेंगे. 2017 से लेकर अब 2021 खत्म होने को है तो इन्हें पहले से ये नहीं सूझा. ये जितनी भी घटनाएं हो रही हैं सब मुसलमानों को दहशतजदा बनाने के लिये ये किया जा रहा है. जिससे की वे खामोयसी अख्तियार करे रखें. ये साफ तौर पर देवबंद की छवि बिगाड़ने की कोशिश है.”
दरअसल इस विवाद को बढ़ाने का काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी के ट्वीट ने किया. उन्होंने टवीट किया- “तालिबान की बर्बरता के बीच यूपी की खबर भी सुनिए. योगीजी ने तत्काल प्रभाव से ‘देवबंद’ में ATS कमांडो सेंटर खोलने का निर्णय लिया है. युद्धस्तर पर काम शुरू भी हो गया है. प्रदेश भर से चुने हुए करीब डेढ़ दर्जन तेज-तर्रार एटीएस अफसरों की यहां तैनाती होगी.”
तालीबान की बर्बरता के बीच यूपी की खबर भी सुनिए,योगीजी ने तत्काल प्रभाव से ‘देवबंद’ में ATS कमांडो सेंटर खोलने का निर्णय लिया है,युद्धस्तर पर काम शुरू भी हो गया है,प्रदेश भर से चुने हुए करीब डेढ दर्जन तेज तर्रार एटीएस अफसरों की यहां तैनाती होगी। pic.twitter.com/cBcFqwEtYK
— Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) August 17, 2021
उनके इस टवीट के बाद यह मामला और गरमा गया.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा है कि सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था के लिए उचित कदम उठाना सरकार का दायित्व है लेकिन मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार और एडीजी (कानून व्यवस्था) का बयान एटीएस के नए केंद्र खोलने की मंशा को लेकर आपस में मेल नहीं खाते.
उन्होंने कहा कि जिन छह स्थानों पर एटीएस की इकाई कायम करने की घोषणा की गई है उनमें से अधिकांश मुस्लिम बाहुल्य आबादी वाले क्षेत्र हैं और उन क्षेत्रों को “संवेदनशील और संचालन की दृष्टि से महत्वपूर्ण” बताते हुए एडीजी ने देवबंद को हर एतबार से रणनीतिक स्थान बताते हुए कहा कि “देवबंद कोई ऐसी जगह नहीं जहां कोई प्रवेश नहीं कर सकता”.
राजीव यादव ने कहा कि देवबंद साम्प्रदायिक शक्तियों के आंखों में पहले भी खटकता रहा है और वहां से कई छात्रों को आतंकवाद के आरोप में फर्जी तरीके से पहले भी फंसाया जा चुका है. उन्होंने सज्जादुर्रहमान का उदाहरण देते हुए कहा कि उसे उत्तर प्रदेश कचहरी धमाकों के आरोप में करीब ग्यारह साल तक सलाखों के पीछे कैद रखा गया हालांकि उसे अदालत द्वारा अंत में बेदाग़ बरी किया गया.
मंच महासचिव ने कहा कि सरकार में बैठै कई लोग बेलगाम हैं और प्रदेश में खुलेआम एक वर्ग विशेष के खिलाफ जनता को हिंसा के लिए वरगला रहे हैं लेकिन सरकारी तंत्र मौन साधे हुए है. उन्होंने विठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा के वायरल वीडियो का हवाला दिया जिसमें वह मुसलमानों को ताजिया न दफन करने देने के लिए अपने समर्थकों से उठ खड़े होने का आह्वान करते हुए देखे और सुने जा सकते हैं और उसे बलपूर्वक रोकने के लिए विधान सभा की कार्रवाई छोड़कर घटना स्थल पर मौजूद रहने की बात करते हैं.
इससे पहले यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एण्ड ऑर्डर प्रशान्त कुमार ने बताया था कि प्रदेश में एटीएस को और मजबूत करने के लिए मेरठ, इंडो नेपाल बॉर्डर बहराइच, श्रावस्ती, जेवर एयरपोर्ट और देवबंद में नई यूनिटें बनने जा रही हैं. और देवबंद में 2 हजार वर्ग मीटर जमीन भी एटीएस को ट्रांसफर कर दी गई है.
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