चुनाव आयोग के आधार को वोटर आईडी कार्ड से जोड़ने के कदम का विरोध
बीस से अधिक संगठनों और सैंकड़ों व्यक्तियों ने आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के चुनाव आयोग के कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे खतरनाक बताया है.
उनका कहना है कि इससे बड़े पैमाने पर लोगों के मतदान के अधिकार को प्रभावित किया जा सकता है. साथ ही इससे पॉलिटिकल खतरा बढ़ने की भी आशंका है. और इससे भारत के चुनावी लोकतांत्रिक ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है. दूसरी और चुनाव आयोग का दावा है कि इससे ‘फर्जी वोटरों’ को मतदाता सूची से बाहर किया जा सकेगा.
इस बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में चुनाव सुधार की दिशा में काम करने वाला संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), डिजिटल अधिकार समूह आर्टिकल 21 ट्रस्ट, द इंटरनेट, फ्रीडम फाउंडेशन पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज, मजदूर किसान शक्ति संगठन, चेतना आंदोलन इत्यादि शामिल हैं.
मजदूर किसान शक्ति संगठन (एमकेएसएस) के सदस्य शंकर सिंह ने एशियाविल से बातचीत कर इसका विरोध करने की वजहें गिनाईं.
शंकर सिंह ने फोन पर मुझे बताया, “आज भी आधार कार्ड में यह स्थिति है कि कभी आपका अंगूठा नहीं लगता, कभी उससे पेंशन नहीं मिलती, नरेगा का पेमेंट नहीं मिल पाता, 50 चीजें हैं. अगर आधार सौ परसेंट सही है तो मान सकते हैं लेकिन अगर एक भी गलती है तो फिर इसका मतलब क्या है. अब देखो लोगों के आधार कार्डों में कितनी खामियां हैं किसी के हाथ नहीं है, किसी के आंख की पुतली नहीं है. अब अगर इसे इलेक्शन से जोड़ दोगे तो इससे क्या होगा जो आप को वोट नहीं देगा उसके लिए आप परेशानी खड़ी कर सकते हैं जैसे कि आपका आधार में कमियां निकाल देंगे. यानी उसे वोट देने से वंचित कर सकते हैं. दूसरी बात पिछले 70 साल में आप वोटर आईडी यानि पहचान पत्र पूरे देश में सभी लोगों को नहीं दे पाए. आज भी आप यह नहीं कह सकते कि जो 18 साल से ऊपर के लोग हैं सभी के पास वोटर-कार्ड मौजूद है, ऐसा नहीं है. अब तो सिम्पल चुनाव में जिसका वोटर लिस्ट में नाम है वह राशन कार्ड भी ले जाता है तो वह वैलिड है. यानि राशन कार्ड एवं पैन कार्ड कोई एक फोटो आईडी होनी चाहिए. और अगर आधार से सबको लिंक करेंगे तो है तो फसाने वाली बात आ गई. इसीलिए हम उसका विरोध कर रहे हैं. यह लोगों को चुनाव से वंचित करने का एक रास्ता है.
शंकर आगे कहते हैं, “एक बात और भी है. एक बड़ा डर यह भी है कि आधार को वोटर आईडी से लिंक करने के बाद उनके पास सब कुछ आ जाएगा. तो वे यह भी देख सकते हैं कि इस आदमी ने किसको वोट दिया. इसके बाद आप अगले 5 साल उसके काम करने में अड़चन डाल सकते हैं. यानि इससे पॉलीटिकल वेंडेटा बढ़ने का भी खतरा है. अब हमें इसमें जितना हो सकता है ज्यादा से ज्यादा विरोध करेंगे और लोगों को इस बारे में जागरूक करने का काम करेंगे.”
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