दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का कहर: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकारते हुए कहा- राजनीति से इतर सोचने की ज़रूरत
दिल्ली-एनसीआर की बिगड़ी आबोहवा सुधरने का नाम नहीं ले रही है. दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है.
हालात इतने बिगड़ गए हैं कि नाराज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकारते हुए दिल्ली में 2 दिन के लॉकडाउन की बात तक कह दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालात इतने खराब हैं कि लोग घरों में भी मास्क लगा रहे हैं. इससे बेहतर है कि दो तीन तक के लिए लॉकडाउन लगा देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि राजनीति और सरकार से इतर केंद्र सरकार को सोचने की ज़रूरत है. कुछ ऐसा होना चाहिए कि दो-तीन दिन में राहत महसूस हो. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि राजधानी में प्रदूषण की हालत बदतर है, लोग घरों में मास्क पहनने को मजबूर हो रहे हैं. आपने क्या कदम उठाए हैं. तुरंत ही इसे लेकर कोई तात्कालिक कदम उठाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप आज ही मीटिंग करें और तत्काल इमर्जेंसी स्टेप उठाएं. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आज मीटिंग होगी. अब सुप्रीम कोर्ट प्रदूषण को लेकर सोमवार को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों से प्रदूषण रोकने के लिए उठाये गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है.
The #SupremeCourt on Saturday expressed serious concerns at the worsening air quality of #Delhi and asked the Central Government to take immediate measures to address the situation after discussing with the concerned state governments
— Live Law (@LiveLawIndia) November 13, 2021
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दिल्ली-एनसीआर में हवा इस कदर खराब है कि यहां सांस लेना तक खतरनाक हो चुका है. दुनियाभर के एयर क्वालिटी इंडेक्स पर निगरानी रखने वाली संस्था आईक्यू एयर के आंकड़ों पर भी गौर करें तो शुक्रवार को दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली पहले स्थान पर था. यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 556 था. वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंचने के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने भी बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आकलन है कि 18 नवंबर तक हालात सुधरने के आसार नहीं है. साथ ही मौसमी दशाएं भी इसी तरह बनी रहेंगी और रात में हवाएं पूरी शांत रहेंगी. इसके अलावा सरकारी और निजी दफ्तरों को सीपीसीबी की सलाह है कि 30 फीसदी तक वाहनों का इस्तेमाल कम करें. वर्क फ्रॉम होम के साथ कार पूलिंग को भी बढ़ावा दें.
दरअसल दिल्ली में पिछले कुछ सालों में वायु प्रदूषण एक बड़ा खतरा बनकर सामने आया है. पटाखे, फैक्ट्रियां, पराली और तेजी से बढ़ती वाहनों की संख्या को इसका प्रमुख कारण बताया जाता है. शनिवार को दिल्ली की हवा का औसत एक्यूआई 499 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में है. राजधानी में बेलगाम हो चुके प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के इमरजेंसी स्तर के कदमों को धरातल पर उतारने की तैयारियां शुरू हो गई हैं. बिगड़ते हालात के बीच सीपीसीबी की सब-कमिटी ने ग्रैप को लेकर एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई, जिसकी अध्यक्षता सीपीसीबी के चेयरमैन डॉ. प्रशांत गार्गव ने की.
Delhi | Air Quality Index (AQI) at 499 (overall) in the 'severe' category, as per SAFAR-India
— ANI (@ANI) November 13, 2021
Visuals from Connaught Place and Supreme Court pic.twitter.com/gqBksZ5uef
ग्रैप के तहत इमरजेंसी स्तर अगर 48 घंटे तक बना रहता है तो इन कदमों को उठाया जाता है. ऐसे में अगर शनिवार को स्थिति में सुधार नहीं होता तो इन नियमों को लागू किया जा सकता है. मौसम विभाग ने बताया कि प्रदूषण गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है. जिसके 18 नवंबर तक सुधार के आसार नहीं हैं. इसके अलावा गंभीर श्रेणी के कदमों को सख्ती से उठाने को कहा गया है जिन्हें 8 नवंबर से ही लागू कर दिए गए हैं.
राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की इस बदतर हालत को समझने के लिये हमने पर्यावरणविद कांची कोहली से बातचीत की.
कांची कोहली ने मुझे बताया, “सुप्रीम कोर्ट ने जो बोला है और हम सभी जानते हैं कि वायु प्रदूषण का मुद्दा काफी सालों से गंभीर रहा है, इसकी पूरे साल निगरानी करनी चाहिए. और इसमें अगर देखा जाए तो जब तक मोटे मुद्दों का निबटारा नहीं होगा. जैसे- कंस्ट्रक्शन हो रहा है, दिल्ली में ट्रैफिक की, खुदाई की समस्या है, अगर उसे हम साल भर कम करने की कोशिश नहीं करेंगे तो ये हर साल सवाल भी उठेंगे और इस तरह की इमरजेंसी की हालत होंगे और समस्या का समाधान भी पूरी तरह नहीं हो पाऐगा. अभी जहां से ये समस्या पनप रही है उसे समझते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है.”
क्या आपको लगता है कि सराकरें चाहे वह राज्य की हों या केंद्र की इसे लेकर गंभीर नहीं हैं. इस सवाल पर कांची कहती हैं, “देखिए, चाहे केंद्र सरकार हो, या राज्य सरकार कोई भी आज इस प्रदूषण के मुद्दे को नकार नहीं सकता. इसके समाधान के लिए आर्थिक सेक्टर को रेग्यूलेट करने की बहुत जरूरत है. जो हमारे सामने कानून हैं उनका क्रियान्वयन किस तरह से किया जाए, अगर ये नहीं हो पाएगा तो ये समस्या पनपेगी क्योंकि कागज पर कुछ होता है और सामने कुछ ओर नजर आता है.”