दौसा का पिंकी सैनी हत्याकांड : दहशत में जी रहा है दलित परिवार, संदिग्ध है पुलिस की भूमिका
राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रेमी जोड़ी की हिफाजत नहीं कर पाई थी पुलिस. अपनी ही बेटी की उसके पिता ने गला दबाकर हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद से ही लड़के का परिवार दहशत में जी रहा है.
राजस्थान के दौसा में 3 मार्च को हुई पिंकी सैनी की हत्या के बाद उनके लिविंग पार्टनर रोशन महावर का परिवार दहशत में दिन गुजार रहा है. पिंकी सैनी की हत्या उनके पिता ने कर दी थी. हत्या करने के बाद पिंकी के पिता शंकरलाल सैनी खुद पुलिस के पास गए थे और हत्या की बात बताई थी. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

दरअसल यह मामला भारतीय समाज की जाति व्यवस्था की गहरी जड़ों की पड़ताल करता है. पिंकी सैनी जिस रोशन महावर से प्रेम करती थी और उसके साथ रहना चाहती थी, वह दलित है. वहीं पिंकी की जाति माली थी.
क्या है पूरा मामला
पिंकी सैनी के परिजनों ने जबरन उनकी शादी इसी साल फरवरी में कराई थी. शादी के तीसरे ही दिन वो अपने घर से भाग गई थीं. उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि वो अपने प्रेमी रोशन महावर के साथ रहना चाहती थीं. उनकी अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पुलिस को इस जोड़े को सुरक्षा उपलब्ध कराने को कहा था. लेकिन पुलिस उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने में नाकाम रही. इसका परिणाम यह हुआ कि पिंकी के परिजनों ने 1 मार्च को रोशन के घर से उनको अगवा कर लिया. इसके बाद पिंकी के पिता शंकरलाल ने 3 मार्च को गला दबाकर उसकी हत्या कर दी. इसकी जानकारी उन्होंने खुद ही पुलिस थाने जाकर दी थी.
रोशन महावर ने 'एशियाविल हिंदी' को बताया कि उनका परिवार अभी भी दहशत में जी रहा है. वो बताते हैं कि जब पिंकी उनके साथ थी तो उनके परिजनों ने कहा था कि दोनों को अगवा कर मार डालो. उन्होंने पिंकी को तो मार डाला. लेकिन अब मुझे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता सता रही है. वो कहते हैं कि इस मामले के मुख्य आरोपी तो अभी भी फरार हैं. इसे देखते हुए मुझे लगता है कि मेरे साथ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है.
पिंकी सैनी के परिजनों ने 1 मार्च को रोशन महावर के घर पर हमला कर दिया था. उन्होंने उनके घर के दरवाजे और खिड़कियां तोड़कर पिंकी को अगवा कर लिया था. इसके बाद रोशन के परिजनों ने दौसा के महिला थाने में 11 नामजद लोगों और 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के अलावा एससी-एसटी एक्ट की धाराएं भी इस मामले में लगाई थीं. इस मामले में पुलिस ने 7-8 लोगों को अबतक गिरफ्तार किया है.

रोशन महावर के पिता रामजी महावर ने 'एशियाविल हिंदी' को बताया वो और उनका पूरा परिवार में भय में जी रहा है. वो कहते हैं कि हम बाजार या बैंक जाने में भी डरते हैं. हम अपने घर से निकल नहीं पा रहे हैं. हमें डर है कि हम पर कोई हमला न कर दे.
परिवार की सुरक्षा चिंता
इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने इस परिवार को सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराए हैं. पुलिस के 2 जवान इस परिवार के घर पर दिन में और रात में 3 जवान तैनात रहते हैं.
पुलिस की इस सुरक्षा व्यवस्था पर रामजी कहते हैं कि पुलिस के जवान केवल घर पर ही सुरक्षा के लिए हैं. अगर उनके परिवार का कोई सदस्य अगर घर से बाहर जाता है तो पुलिस उसके साथ नहीं जाती है.
रामजी कहते हैं कि उनके घर जो सुरक्षा गार्ड तैनात हैं उनके पास न तो कोई हथियार है और न ही कोई लाठी-डंडा. ऐसे वो हमारी सुरक्षा क्या करेंगे.

इस परिवार में फैली असुरक्षा की भावना को लेकर 'एशियाविल हिंदी' ने दौसा के पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार से सवाल किया. उनसे पूछा गया कि रोशन का परिवार अभी भी भय में रह रहा है और पुलिस की ओर से दी गई सुरक्षा व्यवस्था से वो संतुष्ट नहीं हैं. इस पर उनका कहना था कि परिवार को पुलिस सुरक्षा दी गई है. पुलिस के सुरक्षा गार्ड उनकी सुरक्षा में तैनात हैं. लेकिन इसके बाद भी अगर वो भय में रह रहे हैं तो वो कुछ नहीं कर सकते हैं. वो किसी के मन में घुसकर भय नहीं निकाल सकते हैं.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पिंकी सैनी की हत्या के आरोप में उनके पिता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वहीं पिंकी के अपहरण के मामले के आरोपियों में से 7-8 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
दौसा निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील गोपाल वर्मा इस मामले पर शुरू से ही नजर बनाए हए हैं. 'एशियाविल हिंदी' को उन्होंने बताया कि रोशन कोली जाति के हैं और पिंकी सैनी (माली) थीं. वो बताते हैं कि जहां घटना हुई वहां कोली जाति का केवल रोशन का ही परिवार है, वहीं सैनियों के करीब 170 परिवार हैं. अब ऐसे में रोशन के परिवार का दहशत में तो रहेगा ही.

वो कहते हैं कि इस ऑनर कीलिंग का एकमात्र कारण यह है कि सैनी समाज की लड़की ने जिस लड़के के साथ रहना पसंद किया था, वो दलित समुदाय का था. उनका कहना था कि अगर लड़का दलित नहीं होता तो यह ऑनर कीलिंग नहीं होती.
पुलिस की भूमिका
वर्मा इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाते हैं. वो कहते हैं कि इस मामले में थानाध्यक्ष को निलंबित किया गया है. लेकिन मुझे लगता है कि इस मामले में जांच अधिकारी रहे डीएसपी को निलंबित किया जाना चाहिए था. वो कहते हैं कि 1 मार्च को जब पिंका का अपहरण हुआ, उसके बाद रोशन के परिवार ने जो एफआईआर दर्ज करवाई थी. वर्मा कहते हैं कि अगर पुलिस ने उस पर ठीक से कार्रवाई की होती तो यह घटना नहीं हो पाती. वो कहते हैं कि 1 मार्च की घटना के बाद से रोशन अपनी शिकायत लेकर डीएसपी के पास गया था, डीएसपी ने रोशन से कहा कि लड़की अपने मां-बाप के घर ही तो गई है, क्या बुरा किया है, आप बैठ जाइए पुलिस अपना काम कर रही है. वर्मा कहते हैं कि इस मामले में डीएसपी ने अपनी सामंतवादी सोच का परिचय दिया.

वर्मा कहते हैं कि पिंकी के अपहरण के बाद दौसा के पुलिस अधीक्षक कहते रहे कि पुलिस उसे ढूंढ रही है. लेकिन पिंकी की हत्या उसके ही घर में हो जाती है. वो कहते हैं कि अगर पुलिस पिंकी की तलाश कर रही थी तो उसकी हत्या उसके ही घर में कैसे हो गई. सवाल यह है कि पुलिस उसे ढूंढ कहां रही थी. वो कहते हैं कि पिंकी के अपहरण और हत्या के बीच तीन दिन का समय था. लेकिन पुलिस उसका पता नहीं लगा पाई. अगर पुलिस चाहती तो पिंकी आज जिंदा होती.

वो कहते हैं कि राजस्थान हाई कोर्ट ने आईजी रेंज-जयपुर, दौसा के पुलिस अधीक्षक और पुलिस थानेदार को इस जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे. लेकिन पुलिस उनकी सुरक्षा कर पाने में नाकाम रही.
वर्मा कहते हैं, ''इस मामले में पुलिस की लापरवाही और उसकी सामंती मानसिकता साफ-साफ नजर आ रही है. पुलिस के इन अधिकारियों को शायद यह लगा कि एससी वर्ग का एक लड़का, सामान्य जाति की एक लड़की को कैसे ले जा सकता है. अगर लड़का किसी और जाति का होता तो शायद यह घटना नहीं होती.''
वहीं रोशन का कहना था कि उन्हें पुलिस और प्रशासन से भी डर था, इसलिए उन्होंने जयपुर से लौटने के बाद इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी थी.
अब यह मामला अदालत में है और परिवार भय में. अदालत का फैसला क्या होगा वह तो समय ही बताएगा. लेकिन रोशन के पिता रामजी कहते हैं कि वो चाहते हैं कि पिंकी को न्याय मिले. उसके हत्यारों को कानून सजा दे.
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