“कृप्या बीजेपी, जेजेपी और आरएसएस के लोग इस शादी से दूर रहें”, हरियाणा में किसानों के समर्थन में व्यक्ति ने बेटी के शादी-कार्ड पर दी चेतावनी
पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी ने भले ही कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया हो, और इसकी प्रक्रिया भी शुरु हो गई हो.
लेकिन लगता है कि किसानों की नाराजगी अभी कम नहीं हुई है. पिछले एक साल से जगह-जगह से बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों का गांव में विरोध की खबरें आती रहीं हैं. हरियाणा, पंजाब, यूपी में उन्हें काले झंडे से लेकर बंधक बनाने और गांव में न घुसने के वाडियो कई बार वायरल हुए.
लेकिन अब हरियाणा के झज्जर में एक व्यक्ति ने ओर एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपनी बेटी की दिसम्बर माह में होने वाली शादी में कार्ड पर साफ अक्षरों में लिखवाया है कि सत्तारूढ़ बीजेपी उसकी सहयोगी जेजेपी और आरएसएस से संबंधित लोग इस शादी से दूर रहें. यही नहीं उनका कहना है कि चाहे उन्हें रिश्ता तोड़ना पड़ता लेकिन इन लोगों का शादी में आना मंजूर नहीं है.
एशियाविल ने शादी कार्ड पर इस तरह छपवाने का कारण जानने के लिए राजेश धनकड़ से बातचीत की.
राजेश धनकड़ ने मुझे बताया, “हमने षड़यंत्रकारियों के खिलाफ एक आवाज उठाई है. ऐसे किसी आदमी की एंट्री नहीं, बाहर बोर्ड लगा दिया जाएगा. कोई आएगा तो अपनी इज्जत का खुद जवाबदार होगा. मेरा सगा भतीजा आरएसएस में है उसे भी शादी में नहीं बड़ने दे रहे. एक बात बताओ, मां-बहन सभी के हैं. हिंदुस्तान में किसी गृहस्थी की इतनी हिम्मत है जो अपनी मां-बहन को रोड़ पर सुला दे! एक साल से उन्हें सड़क पर छोड़ा हुआ है. नवंबर के महीने में वाटर कैनन चला रहे हैं. उन्हें बुलाकर मैं क्या करूंगा! मैं भी एक किसान हूं. और अगर कोई ये कहे कि मैं किसान नहीं हूं, कोट-पेंट पहनता हूं तो मेरे सामने आ जाए. पूरे दिन या तो वह हल चला दे या मैं चला दूंगा.”
राजेश 7 एकड़ जमीन के मालिक है. जब मैंने पूछा कि अगर ऐसे बाराती आए तो इस सवाल पर राजेश कहते हैं, “बाराती होगा, तो वापस चला जाएगा. मैंने लड़कों वाले से भी कह दिया है- कोई ऐसा आदमी यहां न आ जाए. इस बात के लिए तो मैं रिश्ता भी तोड़ने के लिए तैयार था. इस बात से कोई समझौता नहीं, रिश्ता होता या न होता. मैंने विचारधारा से रिश्ता किया है.”
लेकिन अब तो कानून वापस हो गए. इस सवाल पर राजेश कहते हैं- हम कानून के लिए नहीं लड़े थे. हम तो एमएसपी कर्जा-माफी के लिए लड़ रहे हैं. टीचर की तनख्वाह 300 प्रतिशत बढ़ी, एमएलए की 700 प्रतिशत और किसान की सिर्फ 19 प्रतिशत. जो 700 किसान मरे, मैं भी मर सकता था उस आंदोलन में. मेरी मां-बेटी, बहन भी रोड़ पर सो सकती थी. आरएसएस वालों ने सिंघू बॉर्डर पर सब्जी में रेत डाल दिया. पुलिस की वर्दी पहन कर हमारे ऊपर पत्थर फेंके. लाल किले पर अपने लोग चढ़ा कर किसानों को बदनाम करा दिया, ये सरकार है. दिसम्बर में रात को शाहजहांपुर से 35 ट्रैक्टर लेकर हम दिल्ली की तरफ चले तो पानी की बौछार ओर हमारे बिस्तरों को फूंक दिया गया. आंसू गैस के एक्सपायरी डेट के गोले हमारे ऊपर चलाए गए. क्या उन बातों को मैं अपनी बेटी की शादी में भूल जाऊंगा! ये तो दर्द की लड़ाई है.”
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