खनन ठेकेदार की शिकायत पर यूपी के नोएडा में एक ओर पत्रकार पर एफआईआर
यूपी में नोएडा के एक पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. ग्रेटर नोएडा के जेवर थाने में दर्ज एफआईआर में न्यूज वन इंडिया के पत्रकार ललित पंडित पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया गया है.
उधर ललित पंडित का कहना है कि बिना किसी सुबूत बिना जांच सिर्फ कंप्लेन पर रिपोर्ट दर्ज कर लेना ग़लत है. ललित पंडित ने एक पत्र लिखकर खुद को फंसाए जाने और प्रताड़ित करने का आरोप पुलिस पर लगाया है. हालांकि जब हमने एफआईआर कराने वाले ठेकेदार ऋषिपाल से इस बारे में संपर्क किया तो उन्होंने इस घटना के बारे में जानकारी से इंकार किया. पत्रकार ललित पंडित का कहना है कि यह सब उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिश है. और वह अपना काम आगे भी करते रहेंगे. ये कोई पहला मौका नहीं है जब उत्तर प्रदेश में पत्रकार पर एफआईआर दर्ज हुई है. पिछले दिनों ऐसे कई मौके आए जब यूपी में पत्रकारों पर न सिर्फ मुकदमे हुए बल्कि उन्हें हमले और तमाम तरह की धमकियों की सामना करना पड़ा.
एफआईआर के सिलसिले में विस्तार से जानने के लिए एशियाविल ने पत्रकार ललित पंडित से संपर्क किया.
ललित पंडित ने मुझे बताया, “असल में जेवर में जो व्यक्ति वैध रूप से खनन करते हैं, और उसी व्यक्ति के द्वारा शिकायत की गई है. उसी पर मैंने खबर लिखी थी. ये रात में खनन करते हैं, और यह अवैध है. इसके अलावा कुछ खबरें मैंने जो बीते टाइम में की थी उनको लेकर पुलिस के कुछ अधिकारी चिढ़े हुए हैं. नॉर्मली क्या होता अगर पुलिसके पास अगर कोई शिकायत आती है तो उसकी पहले जांच की जाती है तब मुकदमा किया जाता है. लेकिन इसमें जैसे ही सामने वाले ने उन्हें एप्लीकेशन दी, उन्होंने मुकदमा दर्ज कर दिया. अब आगे जो कार्रवाई होगी करेंगे, बाकी मैंने सभी अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखा है कि अगर मेरे खिलाफ कोई भी आपको सबूत मिलता है तो आपको आने की जरूरत नहीं है जब जहां आप कहेंगे, मैं खुद ही गिरफ्तारी देना आ जाऊंगा. लेकिन अगर कोई सबूत नहीं है, और यह कार्रवाई की जा रही है तो इस पर तो अपने आप ही सवाल उठेंगे. बाकी हमारा संस्थान पूरी तरीके से मेरे साथ है. और उन्होंने अधिकारियों से बात कर कहा है कि यह पूरी तरीके से फर्जी मुकदमा दर्ज किया गया है.”
ललित बताते हैं, “दरअसल मैंने ग्रेटर नोएडा में अवैध खनन जो बहुत बुरी तरीके से किया जा रहा है रबूपुरा क्षेत्र में 50-50 जेसीबी चलती है. जो एनजीटी के नियम है, उसमें रात में तो खनन बिल्कुल मना है, क्योंकि सूरज छिपने के बाद किसी भी तरीके का किया गया खनन अवैध होता है, और मैंने इसी एंगल से खबर की थी. इसके अलावा, अवैध कच्ची शराब की खबर, गांजा तस्कर की खबर का स्टिंग की खबर, और रबूपुरा थाने में आपस में खनन को ले पैसे के लेकर आपस में सिपाहियों में हुई मारपीट, जैसी खबरें कर दी थी. जिससे ग्रेटर नोएडा के डीसीपी मुझसे चिड़े बैठे थे, क्योंकि इससे डीसीपी की छवि खराब हो रही थी क्योंकि यह सब उनके क्षेत्र में था, तो उन्होंने आदेश दिया और मुकदमा दर्ज हो गया. अभी मुझ पर जो आरोप लगाया गया है वह ये है कि जो जेवर क्षेत्र में आदमी खनन करता है उससे मैंने पैसे मांगे हैं कि या तो मुझे हर महीने पैसे दे वरना मैं खबर चला दूंगा. इसके अलावा एक दूसरी जगह भी खनन मैं मैंने पैसे की मांग की है, और मैं वहां बार-बार जाता हूं. ऐसा एफआईआर में है.
ये खनन करने वाला समाजवादी पार्टी का नेता ऋषि पाल सिंह है जो हरौला का रहने वाला है. मुझे यह भी पता चला है कि उसने यह बताया है कि 10-12 लाख रुपए तो मैं ले चुका और मैंने करोड़ों की डिमांड की थी. ऐसा कौन सा अवैध काम कर रहा है जो मैं करोड़ों रुपए की मांग कर लूंगा. लेकिन यह सच्चाई जरूर है कि इसने कुछ दिन पहले 14 अप्रैल में अपने वकीलों के माध्यम से मुझे 50 हजार रुपए देने की कोशिश की थी. लेकिन मैंने वह पैसे नहीं लिए और चैनल में अपने बॉस से बता दी. और यह अच्छी बात है कि इस सब की मेरे पास कॉल रिकॉर्डिंग है. इसी वजह से मेरा चैनल भी मुझे सपोर्ट कर रहा है.”
अंत में ललित कहते हैं, “अब मैंने अधिकारियों से बता दिया है कि मेरी लोकेशन निकाल लो, मेरे बारे में सब पता है आपको मेरे पास कितने वाहन है और अगर नहीं पता तो मैं सब की डिटेल दे दूंगा. यमुना एक्सप्रेस वे सारा सीसीटीवी है, उसे निकलवा लो अगर मैं कहीं गया हूं. यानि अगर टेक्निकल प्रूफ करना चाहे तो सब चीजें मिल जाएंगी. और एफआईआर में उन्होंने मेरा नंबर भी है, तो यह जाहिर सी बात है कि मैंने एक बार इनसे बात की होगी, तभी उनके पास मेरा नंबर है. तो नंबर की कॉल डिटेल निकलवा लो, व्हाट्सएप चेक करा लो अगर मैंने पैसे मांगे हैं. मैं ही तो अपना डिलीट कर सकता हूं उन्होंने तो डिलीट नहीं किया होगा. अगर वह ऐसी कोई डिटेल मुझे दे दे तो मैं खुद ही मान लूंगा कि मैं गलत हूं. और जब तक यह साबित नहीं होगा तब तक मैं लड़ता रहूंगा. और अपनी रिपोर्ट करता रहूंगा क्योंकि यही मेरा काम है. ये चाहे 4 की जगह 10 मुकदमे करा दें. किसी भी तरह से यह प्रूफ कर दें कि मैंने एक भी पैसा लिया है तो यह जहां कहेंगे इन्हें अपनी टीम भी भेजने की जरूरत नहीं है मैं खुद जाकर सरेंडर कर दूंगा. यह और कुछ नहीं बल्कि छवि खराब करने की कोशिश है.”
पत्रकार पर आरोप लगाने वाले ऋषि पाल हरोड़ा से हमने इस बारे में बात करने के लिए फोन किया तो उन्होंने कहा कि मैं अभी बाहर हूं और बिजी हो बाद में बात करना. मैंने थोड़ा पूछा कि क्या बात है थोड़ा बता दीजिए उन्होंने कहा कि मुझे अब इस बारे में जानकारी नहीं है मैं बाद में बताऊंगा. अब यह भी बड़ा सवाल है कि अगर मालिक को खुद ही पता नहीं है केस के बारे में तो फिर एफआईआर कैसे दर्ज करा दी!
इस बारे में हमने ग्रेटर नोएडा के डीजीपी राजेश कुमार सिंह और एसएचओ जेवर सुरेंद्र कुमार यादव से बात करने के लिए फोन किया लेकिन उन्होंने हमारा फोन नहीं उठाया.
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