ओडीएनआई रिपोर्ट : जलवायु परिवर्तन में ‘चिंता वाले देशों’ में भारत, हम पर्यावरण संकटों से निपटने में ‘असुरक्षित’
अमेरिकी की खुफिया एजेंसियों ने जलवायु परिवर्तन के संबंध में ‘चिंता वाले देशों’ में भारत सहित 11 मुल्कों को शामिल किया है.
यूएस ऑफिस ऑफ डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (ओडीएनआई) ने अपनी एक रिपोर्ट में 11 देशों को पर्यावरण के लिहाज से 'चिंताजनक स्थिति' वाले देश माना है. 'नेशनल इंटेलिजेंस एस्टीमेट' नाम से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण 2040 तक भू-राजनीतिक तनाव बढ़ेंगे. ग्लासगो में होने वाले 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले इस रिपोर्ट को जारी किया गया है. गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में भारत और 10 अन्य देशों को जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश करार दिया है. भारत के अलावा सूची में शामिल अन्य देश अफगानिस्तान, ग्वाटेमाला, हैती, होंडुरास, इराक, पाकिस्तान, निकारागुआ, कोलंबिया, म्यांमार और उत्तर कोरिया हैं. इस आकलन के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग का खामियाजा इन देशों को भुगतना होगा.
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 देशों को 'गर्म तापमान, मौसम में ज्यादा परिवर्तन और समुद्र के पैटर्न में व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है जिससे उनकी ऊर्जा, भोजन, पानी और स्वास्थ्य सुरक्षा को खतरा होगा. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित ये 11 देश जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले पर्यावरणीय और सामाजिक संकटों के लिए तैयार होने और उनके प्रति रिस्पांस देने की अपनी क्षमता के मामले में अत्यधिक असुरक्षित हैं.
A report published by US Office of Director of National Intelligence (#ODNI) has categorised #India and 10 other nations as being highly vulnerable to respond to environmental & social crisis, triggered due to #ClimateChange. pic.twitter.com/Js5gYTAuhz
— Mojo Story (@themojostory) October 23, 2021
इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दुनिया भर में विभिन्न दृष्टिकोणों और असमानताओं पर कहा है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने निश्चित रूप से इस क्षेत्र में अपना स्पष्ट प्रभाव दिखाया है क्योंकि मौसम में परिवर्तन और लंबे समय तक चरम मौसम देखा जा रहा है. दक्षिण एशिया में पानी की कमी जैसी चुनौतियां भी हैं. और ज्यादा गर्मी पड़ने और तीव्र चक्रवातों से जल स्रोतों के दूषित होने की संभावना है. ऐसे में बीमारी से ग्रसित आबादी में बढ़ोतरी होगी, और वे लोग दूसरे लोगों में भी बीमारी फैलाएंगे.
देश में जलवायु परिवर्तन की इस बढ़ती समस्या पर हमने पर्यावरणविद प्रोफ़ेसर नीतिश प्रियदर्शी से बातचीत की.
प्रोफेसर प्रियदर्शी कहते हैं, “क्लाइमेट चेंज की जहां तक बात है तो भारत इस वजह से सेंसिटिव जोन में है क्योंकि यहां पर पॉपुलेशन और पोलूशन (प्रदूषण) दोनों बढ़ रहा है. तो प्रदूषण बढ़ने की वजह से गर्म होने की स्थिति अधिक हो रही है. इसका असर क्या होता है कि कहीं बहुत ज्यादा बारिश हो रही है और कहीं बारिश नहीं हो रही है तो उसका एग्रीकल्चर पर भी असर हो जाता है. बहुत सी जगह क्या होता है गर्मी होने से पानी का स्तर नीचे हो रहा है. यही कारण था कि कुछ समय पहले पंजाब में कहा गया कि वहां चावल कम उगाया जाए. क्योंकि चावल बहुत पानी सोखता है. इस तरीके से देख सकते हैं कि बहुत सी जगह क्लाइमेट चेंज का असर भारत में दिख रहा. और बहुत अधिक बारिश होने से भी ग्राउंडवाटर रिचार्ज नहीं होता. ग्राउंडवाटर रिचार्ज होने के लिए बहुत हल्की बारिश चाहिए. यानी फुहार जिसे कहते हैं. और दूसरे जिस तरीके से हमारा पोलूशन बढ़ रहा है. ऑटोमोबाइल्स फैक्ट्री, इंडस्ट्रीज, बढ़ रहे हैं तो इसका इफेक्ट हो सकता है आगे आने वाले चार-पांच साल में ना हो लेकिन अगले 15-20 साल में इसका असर दिखेगा. वैसे अगर देखें तो अमेरिका सबसे ज्यादा पोल्यूटेड कंट्री है चाइना भी सबसे ज्यादा है. कुछ तो इंडिया पर पॉलिटिकल प्रेशर बनाने के लिए भी किया जाता है. क्योंकि अमेरिका ने कहा इस वजह से हम मान लेते हैं.”
इसमें सरकार के रोल के बारे में प्रोफेसर प्रियदर्शी कहते हैं, “सरकार का क्या है कि वह इस बारे में बहुत सारे प्लान करती है लेकिन वह इंप्लीमेंट नहीं हो पाता है. और जब तक वह लागू नहीं होता तो उसका कोई फायदा नहीं है. जैसे पर्यावरण एक्ट है, फॉरेस्ट एक्ट भी है, लेकिन फिर भी हम जंगल कम करते चले जा रहे हैं. अगर हम झारखंड की बात करें तो यहां आजादी के समय जो 52 परसेंट जंगल था अब घटकर 20 परसेंट पर आ गया है. जंगल हटाते जाएंगे, नदी को प्रदूषित करते जाएंगे,पानी की स्थिति एकदम खराब कर दिए, तालाब आप देख रहे हैं इससे हम जलवायु परिवर्तन को बढ़ा रहे हैं. दिल्ली में देखो कितनी बारिश हुई उत्तराखंड में त्राहिमाम मचा हुआ है नैनीताल की झील में कभी पानी ओवरफ्लो नहीं हुआ लेकिन इस बार हुआ. यह सब क्लाइमेट चेंज का असर है. और अगर हम इस पर ध्यान नहीं देंगे तो आने वाली स्थिति बहुत अच्छी नहीं होगी क्योंकि भारत एग्रीकल्चर बेस्ट कंट्री है. और बड़ा दुर्भाग्य है कि पर्यावरण के 5 एलिमेंट में से हम आग को छोड़कर 4 को खत्म कर रहे हैं. हवा, नदी, पानी और जंगल यह सब हम तबाह करते जा रहे हैं. जबकि इन सबके नियम कानून भी है लेकिन हमें उन्हें मानते नहीं हैं. लेकिन अगर हम अभी नहीं चेते तो आगे स्थिति बहुत खराब हो सकती है.”