अब यूपी में आशा वर्कर्स ने मांगों को लेकर भरी हुंकार, 28 को बड़े आंदोलन की तैयारी
यूपी में भी विभिन्न मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगो को पूरा करने की गुहार लगाई.
सीतापुर जिले में आशा बहुओं ने एआईसीसीटीयू के नेतृत्व में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगो को लेकर आवाज बुलंद की साथ ही अस्पताल में हो रहे लूट ओर भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए मांग पत्र जिलाधिकारी को भेजा. इनकी मांगो में मुख्य रूप से सात माह से बकाया मानदेय के भुगतान, इन्सेंटिव, सर्विस बुक आदि शामिल हैं, जिसकी मांग ये उठाती रहती हैं. इसके अलावा हाईकोर्ट ने भी मिनिमम वेज, मिड डे मील का एक आदेश जारी किया था वह भी अभी नहीं मिला इन्होंने चेतावनी दी है कि यदि मांगो पर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा. इसके अलावा 28 तारीख को जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन में शामिल होने की भी अपील की गई. इससे पहले लखनऊ में भी कुछ दिन पहले आशाओं ने मोहनलालगंज में धरना दिया था.

ऐक्टू के यूपी स्टेट प्रेसिडेंट विजय विद्रोही ने आशा, मिड-डे मील वर्कर की मांगो और प्रदर्शन को लेकर एशियाविल से बातचीत की.
विजय विद्रोही बताते हैं, “आशा वर्कर मानदेय और इंसेंटिव को लेकर 28 को पूरे यूपी में बड़ा प्रदर्शन करेंगी. इसकी तैयारी के लिए अभी सीतापुर, गोरखपुर, देवरिया, लखनऊ में 28 की तैयारी के लिए छोटे-छोटे प्रोटेस्ट किए जा रहे हैं. क्योंकि आशाओं का जुलाई से लेकर अप्रैल 2021 तक सर्वे का कोई पेमेंट नहीं किया गया. इसके बाद घोषणा की गई कि इन्हें कोविड सर्वे में लगाया जाए और हम हजार रुपए महीना देंगे. उसमें भी जो पेमेंट दिया गया सिर्फ 2 महीने का दिया गया जबकि अनाउंसमेंट 7 महीने का किया गया था. और वे सर्वे अभी भी कर रही हैं. दूसरी बात जिस दिन से कोविड टीकाकरण परीक्षण शुरू हुआ इसे पहले हेल्थ वालों को लगाया गया था उसमें आशा वर्कर्स को भी शामिल किया गया. इसमें भी टीकाकरण का 90 परसेंट काम आशा वर्कर कर रही है लेकिन उसका कोई इंसेंटिव नहीं मिल रहा. अब यही मांग है कि जितने दिन का भी सर्वे है उसका इंसेंटिव दिया जाए इसके अलावा पोलियो, आयुष्मान योजना जैसे इंसेंटिव वर्षों से बकाया हैं. ग्राम निगरानी समितियां भी बनाई गई उनमें यह अकेली रह गई और कोई गया नहीं. उनमें भी काफी घोटाला हुआ किसी प्रधान ने अपनी बहू को ही बना दिया.”


विजय विद्रोही बताते हैं, “श्रम आयोग की रिपोर्ट है कि इन्हें श्रमिक माना जाए और श्रमिक मानकर उनका वेतनमान निर्धारित करें तो ये उसको भी इंप्लीमेंट नहीं कर रहे हैं. साथ ही आशा और आंगनवाड़ी को 62 साल में टायर कर रहे हैं. इसके अलावा सर्विस बुक नहीं है तो इन सब मांगों को लेकर 24 को तो हमने उपखंड में किया था और अब फिर 28 में बड़ा प्रदर्शन पूरी यूपी में करने जा रहे हैं.”
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