'5 साल में मैला ढोने से कोई मौत नहीं', सरकार के जवाब पर भड़के एक्टिविस्ट बेजवाड़ा विल्सन, कहा- ‘मंत्री का बयान झूठा और घोर बर्बर’
हाल ही में सरकार ने संसद को बताया कि पिछले पांच सालों में देश भर में हाथ से मैला ढोने वालों की कोई मौत नहीं हुई है.
राज्यसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने एक सवाल के जवाब में ये बात कही. सरकार के इस बयान पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि मंत्री का यह बयान घोर अमानवीय है. साथ ही वे इसके खिलाफ एक बयान भी जारी करेंगे. राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे लेकर सरकार से सवाल किया था.
हालांकि इस साल फरवरी में केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने ही लोकसभा को बताया था कि पिछले पांच सालों में सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 340 लोगों की मौत हुई है. हाल के सालों में कई मीडिया रिपोर्ट्स ने भी सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई के दौरान कई लोगों की मौत की ओर इशारा किया है, जिनमें अधिकतर दलित थे. बता दें कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध है.
राज्यसभा में जवाब देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि 66,692 मैला ढोने वालों की पहचान की गई है. हालांकि, हाथ से मैला उठाने वालों की कितनी मौतें दर्ज की गई हैं, इस पर उन्होंने जवाब दिया, "हाथ से मैला ढोने के कारण से कोई मौत नहीं हुई है."
Parliamentary Watch | #RajyaSabha
— Bar & Bench (@barandbench) July 29, 2021
Government says that no deaths have been reported due to Manual scavenging in the last five years. #ManualScavenging pic.twitter.com/kao5C78dFX
मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लिए काम करने वाले संगठन सफाई कर्मचारी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाड़ा विल्सन से इस बारे में जब एशियाविल ने बातचीत की तो वे अठावले के बयान से बेहद नाराज नजर आए.
बेजवाड़ा विल्सन ने मुझसे बातचीत में कहा, “राज्यसभा में मंत्री (रामदास अठावले) ने गलत बयान दिया है. यह बहुत ही अमानवीय बयान है. इसके खिलाफ हम अभी एक बयान जारी करेंगे. मैला प्रथा तो एक बर्बर कार्य है ही लेकिन मंत्री का यह बयान उससे भी और बड़ा बर्बरता है. यह मंत्री पार्लियामेंट में गलत बयानी कर रहा है. जबकि पिछले पार्लियामेंट सेशन के दौरान इसी मंत्री ने कहा था कि 340 लोगों की मौत हुई है. हालांकि यह भी झूठ था, सच्चाई तो यह है कि इस दौरान 472 लोगों की मौत मैला ढोने से हुई है. और इस साल 2021 में भी 26 लोग मारे जा चुके हैं.”
विल्सन आगे कहते हैं, “इन लोगों की मौत का जवाब प्रधानमंत्री को भी सामने आकर देना चाहिए. और मैला प्रथा खत्म होना जैसे झूठ बोलना बंद करना चाहिए. यह सफाई कर्मचारी के खिलाफ है, मानव अधिकार के खिलाफ है और आर्टिकल 21 के उनके जीने के अधिकार के खिलाफ है.”
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