कोरोना वायरस :अक्टूबर में तीसरी लहरआने के संकेत, एनआईडीएम ने पीएमओ को दी रिपोर्ट में चेताया
कोरोना वायरस की दूसरी लहर का असर भले ही धीरे-धीरे कम हो रहा हैलेकिन इस पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं हो पाया है.
गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चेताया है कि कोरोना की तीसरी लहर का असर अक्टूबर में ज्यादा रहेगा.संस्थान ने सरकार से कहा है कि इस आंकड़े को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों में उचित प्रबंध करें.एनआईडीएम ने भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय एवं गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें बताया है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर सितंबर के सेकंड हाफ से शुरू होकर अक्टूबर के महीने में चरम पर हो सकती है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान का कहना है कि अक्टूबर के महीने में हर रोज 500000 नागरिक पॉजिटिव पाए जा सकते हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस स्थिति में देश में मेडिकल स्टाफ, डॉक्टर्स, नर्सेस, एम्बुलेंस, ऑक्सीजन के साथ ही दवाओं और मेडिकल उपकरणों की किस तरह व्यवस्था करना होगी. साथ ही सलाह दी गई है कि देश में अब बच्चों के टीकाकरण पर तेजी से काम शुरू किया जाना चाहिए. खासतौर पर कोविड वार्ड बनाए जाएं जहां बच्चों को भी रखा जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरी लहर वयस्क एवं बच्चों पर समान रूप से प्रभावी होगी.उसने स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है.
National Institute of Disaster Management (NIDM), under the Ministry of Home Affairs (MHA), has warned of a third #COVID19 wave peak in October in its recent report to Prime Minister's Office (PMO).
— ANI (@ANI) August 23, 2021
रिपोर्ट में रॉयटर्स के ओपीनियन सर्वे का हवाला दिया गया है.तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए रिपोर्ट में बच्चों के लिए खास तैयारी करने को कहा गया है. रिपोर्ट में गंभीर रूप से बीमार और दिव्यांाग बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई है.
तीसरी वेव की इस चेतावनी को सही सेसमझने के लिए हमने दिल्ली के डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डीन डॉ राजीव सूद से बातचीत की.
डॉ राजीव ने मुझे बताया, “असल में क्या है किये वेब आती क्यों है, यह तब आती है जब एक वेरियंट चेंज हो जाता है. जैसे अभी डेल्ता चल रहा है, उसके लिए सुरक्षा कर ली गई. अब डेल्टा के बाद डेल्टा प्लस आने की उम्मीद थी, उसके कुछ केस मिल भी गए थे, लेकिन वह नहीं आया. और अगर डेल्टा ही दोबारा आए तो उसमें केसिस तो बढ़ते हैं जैसे अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल में बढ़ रहे हैं लेकिन उसका इफेक्ट माइल्ड होता है.लेकिनजब नया वैरियंट आता है तब इतनी इम्यूनिटी नहीं होती तो तब वेब आ सकती है. यह दो-तीनचीजों पर निर्भर करता है. एक तो यह की हमारी हार्ड इम्यूनिटी कितनी हो चुकी या हमारी वैक्सीन कितनी लग चुकी. अभी हमारे इंडिया में सिर्फ 10 परसेंट वैक्सीन लगी है और वह भी अभी सिर्फ 18 साल से ऊपर वालों को लगी है, तो इस वजह से डर है. और बच्चों में नहीं लगी तो बच्चों में ज्यादा खतरा है कि वे बच्चों में आ सकती है. इसलिए अलर्ट रहना जरूरी है.इंडिया में अल्फा और डेल्टा तो पहले हीआ चुके हैं. लेकिन अभी तीन वैरीअंट है जो दुनिया में घूम रहे हैं. डेल्टा प्लस, खाफा और लाम्बणा यह तीन वैरीअंट है. इनमें भी खफा और डेल्टा प्लस आए लेकिन फैले नहीं तो यह कोई जरूरी नहीं है कि जो वेरिएंट आए वहफैले ही. लेकिन अगर यह बहुत तेजी से फैलते हैं, जैसे डेल्टा फैला थातो फिर वेव आती है.”
डॉ. सूद आगे बताते हैं, “अब दो तरह की वेब आ सकती है अगर डेल्टा से आई तो वह सितंबर अक्टूबर के आखिर में दिवाली परपोलूशन में भी आ सकती है. अगर डेल्टा दोबारा आता है तो उम्मीद है कि इतनानुकसान नहीं होंगा लेकिन अगर डेल्टा प्लस आ गया या लामबड़ा आ गया तो यह खतरनाक होगा. क्योंकि यह सारे वैरीअंट अलग-अलग वर्ड के रीजन में अलग-अलग मेंवैरीअंट घूम रहा है. अमेरिका, ब्रिटेन और इसराइल में अभी डेल्टा गया है पहले नहीं गया था इसलिए वहां वेब आई हुई है. लेकिन वह पहले से ही तैयार हैं. लगभग सभी को वैक्सीन लग चुकी है, इसलिए वहां खतरा कम है. लेकिन हमारे यहां सभी को वैक्सीन अभी नहीं लगी है इसलिए यहां डर है कि अगर वेव आई तो खतरनाक होगी, तो यह सब चीजें हैं. तो एक तो यह है कि वायरस कितनी तेजी से फैल रहा है और कौन सा वाला वायरस या वेरिएंट ऑफ कंसर्न है. जैसे-अगर डेल्टा प्लस आ गया तो बहुत खतरनाक हो सकता है. इसलिए हमें सावधानी से रहना चाहिए.”
कोरोना की वर्तमान स्थिति की बात करें तो, स्वांस्य्नी एवं परिवार कल्याअण मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान भारत में कोविड-19 संक्रमण के 25,072 नए मामले सामने आए हैं. जबकि अभी भी भारत में 3,33,924 सक्रिय मामले हैं. सरकारी आंकड़ोंके मुताबिक, देश भर में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक 3 करोड़ 24 लाख, 49 हजार 306 मामले दर्ज हो चुके हैं. वहीं, इस महामारी की चपेट में आकर अब तक 4 लाख 34 हजार 756 लोगों की मौत हो चुकी है.
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