एनसीआरबी रिपोर्ट : कोरोना के कहर और सुधार के लाख दावों के बावजूद भारत में क्राइम 28 फीसदी बढ़ा
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्यरत एनसीआरबी यानि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जारी आंकड़ों के अनुसार, कोरोना से प्रभावित वर्ष 2020 के दौरान अपराध के मामलों में 2019 की तुलना में 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
इसके मुताबिक भले ही पिछले साल लॉकडाउन रहा लेकिन शर्मनाक रूप से महिलाओं, बच्चों, एससी-एसटी पर अत्याचार जारी रहे.
आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में महिलाओं से दुष्कर्म के मामले लगातार सामने आए हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2002 में महिलाओं से दुष्कर्म के कुल 28,046 मामले दर्ज हुए. और रोजाना महिलाओं से दुष्कर्म के 77 मामले दर्ज किए गए. दुष्कर्म के सबसे अधिक 5310 मामले कांग्रेस शासित राजस्थान में सामने आए. इसके बाद दूसरे नंबर पर देश का सबसे बड़ा बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश (2769) रहा. इस शर्मनाक सूची में तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र (2061) और चौथे नंबर पर असम (1657) रहा.
वहीं अगर हत्याओं की बात करें तो आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2020 में प्रतिदिन औसतन 80 हत्याएं हुईं और कुल 29,193 लोगों का कत्ल किया गया. इस मामले में राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. जहां मुख्यमंत्री अपराध रोकने के बड़े-बड़े दावे करते नजर आते हैं. वहीं, अपहरण की सबसे ज्यादा वारदात भी उत्तर प्रदेश में हुईं. ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में कुल 66,01,285 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत 42,54,356 मामले और विशेष एवं स्थानीय कानून (एसएलएल) के तहत 23,46,929 मामले दर्ज किए गए.
अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के खिलाफ हुए अपराधों की बात करें तो, इन मामलों में भी वर्ष 2020 में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. इस अवधि में इन समुदायों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए.आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ हुए अपराधों के संबंध में 50291 मामले दर्ज किए गए जो 2019 में दर्ज मामलों से 9.4 फीसदी अधिक रहा.
इस बारे में दिल्ली यूनिवर्सिटी की साइकोलोजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. इशिता भारद्वाज एशियाविल से बातचीत में कहती हैं, “भले ही राजनेता और राज्यों के घोषणापत्र कुछ भी कहें लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. यह बताता है कि लैंगिक समानता के खिलाफ सांस्कृतिक मानसिकता पर काम कितना जरूरी है. साथ ही इससे हमारे आसपास के विरोधी और प्रगतिशील लिंग के प्रति सामाजिक विभाजन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. इससे ऊपर उठने के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम, लिंग संवेदनशीलता, आदि की बहुत आवश्यकता है."
बता दें कि एनसीआरबी की स्थापना केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में की गई थी. यह राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और गृह मंत्रालय के कार्य बल (1985) की सिफारिशों के आधार पर स्थापित किया गया था. यह देश भर में अपराध के वार्षिक व्यापक आंकड़े ('भारत में अपराध' रिपोर्ट) एकत्रित करता है.