एनबीडीएसए की टाइम्स नाऊ, जी न्यूज, न्यूज नेशन को कड़ी फटकार, चैनल से वीडियो तुंरत हटाने का आदेश
टीवी समाचार प्रसारकों के निजी संघ एनबीडीएसए यानि न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग और डिजिटल स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने ज़ी न्यूज़, टाइम्स नाऊ और न्यूज नेशन से किसान आंदोलन, दिल्ली दंगो आदि से जुड़े कार्यक्रम के वीडियो को तुंरत हटाने का आदेश दिया है.
आरोप है कि कार्यक्रम में आचार संहिता के मूल्यों और प्रसारण के मानकों का उल्लंघन किया गया है. साथ ही सात दिनों में एनबीडीएसए को लिखित में सूचित करने कि लिए भी कहा है. एनबीडीएसए ने अपने फैसले में हिदायत दी है कि, टीवी चैनलों को धार्मिक रिपोर्टिंग के दौरान सावधानी रखनी चाहिए. एनबीडीएसए ने 19 नवंबर के इस आदेश में चैनल से इन वीडियो को हटाने को कहा है.
इंद्रजीत घोरपड़े ने अपनी शिकायत में कहा था कि इन कार्यक्रमों में असत्यापित वीडियो का इस्तेमाल किया गया, जो किसान आंदोलनों से बिल्कुल भी जुड़े हुए नहीं थे. वहीं दिल्ली निवासी उत्कर्ष मिश्रा की शिकायत पर टाइम्स नाउ के खिलाफ कार्रवाई की गई है. जबकि सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस द्वारा न्यूज नेशन के खिलाफ 'कन्वर्ज़न जिहाद' नामक एक प्रसारित कार्यक्रम के खिलाफ की थी.
एनबीडीएस ने कहा है कि सभी न्यूज चैनलों को निष्पक्षता और सटीकता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रसारण के दौरान की गईं गलतियां स्वीकार की जाएं और उन्हें तुरंत ठीक किया जाए.
News Broadcasting and Digital Standards Authority (NBDSA) finds that #ZeeNews violated code of ethics in three videos by linking #FarmersProtests to Khalistanis & by falsely reporting that Indian flag was removed from Red Fort. NBDSA asks the videos to be taken down.#Farmers pic.twitter.com/TJiYbuQAHb
— Live Law (@LiveLawIndia) November 23, 2021
संघ का कहना है कि ज़ी न्यूज ने तीन वीडियो के प्रसारण के साथ एथिक्स कोड का उल्लंघन किया है. आदेश में कहा है कि कार्यकर्ता इंद्रजीत घोरपड़े द्वारा दायर की गई शिकायत 19, 20 और 26 जनवरी को ज़ी न्यूज़ पर प्रसारित दो कार्यक्रमों के संबंध में हैं. इन प्रसारित तीन वीडियो में चैनल ने कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को खालिस्तानियों से जोड़कर गलत रिपोर्ट की. और बताया कि 26 जनवरी को लाल किले से भारतीय झंडे को हटा दिया गया था.
साथ ही शो के कई हेडलाइन और टिकर जैसे “गणतंत्र के खिलाफ राष्ट्र”,“गणतंत्र दिवस पर गृहयुद्ध”, “ट्रैक्टर मार्च या युद्ध”, “आंदोलन पर खालिस्तान का कब्जा” प्रसारित किए गए. और शो में एंकर ने “सोचिए यह लड़ाई भारत के खिलाफ है. क्या हो रहा है?”, “क्या यह देश के खिलाफ लड़ाई की साजिश कर रहे हैं.” जैसे शब्द यूज किए.
वहीं टाइम्स नाऊ के दिल्ली दंगों से जुड़े शो के 2 एपिसोड को हटाने का आदेश दिया है. एनबीडीएसए ने कहा है कि चैनल ने 14 सितंबर और 23 सितंबर, 2020 को दिल्ली दंगों को लेकर बहस का आयोजन किया था. जिसे ऐंकर राहुल शिवशंकर और पद्मजा जोशी होस्ट करते हैं. 19 नवंबर को दिए आदेश में रेग्युलेटर ने कहा है कि चैनल के द्वारा आयोजित दोनों बहस निष्पक्ष तरीके से नहीं की गई. साथ ही चैनल से कहा गया है कि आदेश का पालन करके 7 दिनों के अंदर रिपोर्ट भेजी जाए. इसके अलावा एनबीडीएसए ने 15 नवंबर को अपने आदेश में न्यूज चैनल न्यूज नेशन के 6 नवंबर, 2020 के 'कन्वर्ज़न जिहाद' नामक शो के खिलाफ की गई शिकायत का हवाला देते हुए ब्रॉडकास्टर से अपने एंकरों के खिलाफ सुधारात्मक कार्रवाई करने का आह्वान किया और प्रसारण के दौरान निष्पक्ष होने के लिए कहा है. साथ ही न्यूज़ नेशन को भविष्य में सावधान रहने की चेतावनी और वेबसाइट या यूट्यूब या किसी अन्य लिंक से शो के वीडियो को हटाने का निर्देश दिया है.
[Complaint against News Nation's (@NewsNationTV) programme ‘Conversion Jihad’]
— Live Law (@LiveLawIndia) November 25, 2021
NBDSA Order: "There was a need for introspection on part of broadcaster & it should take remedial actions against anchors who fail to remain neutral & impartial during broadcasts.@DChaurasia2312 pic.twitter.com/Ufp4YWYlYL
इस पर एनबीडीएसए ने कहा, “ब्रॉडकास्टर की ओर से आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है और इसे उन एंकरों के खिलाफ उपचारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए जो प्रसारण के दौरान तटस्थ और निष्पक्ष रहने में विफल रहते हैं. एनबीडीएसए ने यह भी कहा कि एंकर जिस तरह से कार्यक्रम आयोजित करते हैं, उसके बारे में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.
सीजेपी की शिकायत में कहा गया है कि जमात जैसे इस्लामोफोबिक विचारों को बढ़ावा देने और लोगों को धर्म-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. शिकायत में आगे कहा गया है कि ट्विटर पर अपलोड किए गए टेलीविजन शो के कुछ क्लिप को हजारों लाइक और रीट्वीट मिले, जिससे इस तरह की नफरत को खुले तौर पर बेचने के लिए प्रोत्साहित किया गया और भारत के अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बुरा असर पड़ा.
एनबीडीएसए के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एके सीकरी ने कहा कि रिपोर्ट को कवर करने वाले विशेष दिशानिर्देश- नस्लीय और धार्मिक सद्भाव से संबंधित दिशानिर्देश संख्या 9 का पालन किया जाना चाहिए. एनबीडीएसए ने आगे कहा कि एंकर (दीपक चौरसिया) द्वारा दिए गए कुछ बयान और कैप्शन "मेमचंद जिंदा है जमात शर्मिंदा है" और "क्या मेवात पाकिस्तान बन गया?" कार्यक्रम के दौरान प्रसारित सिद्धांतों और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है.
चैनलों को लगाई इस फटकार पर मीडिया विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन एशियाविल से बातचीत में कहते हैं, “सिर्फ फटकार लगाने से नहीं होगा. इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. ये समाज में नफरत फैलाते हैं, ये पत्रकारिता थोड़ी है, ये तो अपराध है जो ये कर रहे हैं. इनके खिलाफ एक्शन होना चाहिए. ये कुछ टीवी चैनल है, जिन्हें न्यूज चैनल कहना उचित नहीं होगा. ये तो प्रोपगैंडा कर रहे हैं, और कॉरपोरेट ओर बीजेपी के चैनल हैं, ये न्यूज चैनल नहीं हैं. बहुत सी पार्टियों के माउथपीस होते हैं, जैसे-शिवसेना का सामना है, तो उन्हें स्वतंत्र नहीं कहा जाता. ऐसे ही इन्हें भी बीजेपी से प्रॉपगैंडा चलाने के पैसे मिलते हैं.”
Related Stories
हटाए गए छत्तीसगढ़ के “थप्पड़बाज डीएम”, पूर्व डीजीपी ने कार्रवाई को बताया “नाकाफी”
‘तब्लीगी जमात’ पर रिपोर्टिंग बेहद आपत्तिजनक, अभद्र, भड़काऊ और पूर्वाग्रह वाली : एनबीएसए की न्यूज चैनलों को फटकार
दिल्ली दंगा : आगजनी मामले में अदालत ने पुलिस को आड़े हाथ लेकर 10 लोगों के खिलाफ आरोप हटाए