बेलगाम महंगाई को लेकर आरएसएस से संबंधित मजदूर संगठन का मोदी सरकार के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ महंगाई और विनिवेश को लेकर विपक्ष तो हमलावर है ही अब भारतीय मजदूर संघ ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
आरएसएस से संबद्ध मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ यानि बीएमएस केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लिए गए अहम आर्थिक सुधारों के खिलाफ आमने-सामने खड़ा हो गया है. इस कड़ी में देश में बढ़ती महंगाई के विरोध में आज यानि 9 सितंबर को देशव्यापी प्रदर्शन करने का फैसला कर जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन का एलान किया है. इसके अलावा केंद्र सरकार के 70 पीएसयू को मोनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम के विरोध में भी भारतीय मजदूर संघ दो नवंबर को देशभर में सभी जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार के नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा. मजदूर संघ का मानना है कि केंद्र सरकार के इन फैसलों का सीधा असर कामगार और इन संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों पर पड़ेगा. इन सभी फैसलों के विरोध में भारतीय मजदूर संघ दो नवंबर को देशभर के जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. संघ का मानना है कि धन जुटाने के लिए सरकारी संस्थानों का मोनेटाइजेशन करने का फैसला गहना बेच कर घर चलाने जैसा है. सरकार जमीनी हकीकत को देखे बगैर विशेषज्ञों की सलाह पर भरोसा कर फैसले ले रही है, जिसे भारतीय मजदूर संघ कतई स्वीकार नहीं करेगा.

केंद्र की भाजपा सकार और बीएमएस की समान विचारधारा है. फिर इन्हें भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की जरूरत क्यों पड़ी, इस बारे में हमने बीएमएस के संगठन मंत्री पवन कुमार से बातचीत की.
पवन कुमार ने मुझे बताया, “हमने देश में बढ़ रही मंहगाई को लेकर देश भर में प्रदर्शन का फैसला किया है. क्योंकि पैट्रोल हो या खाद तेल सभी की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी हैं. जिससे आम आदमी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. तो इसमें हमने सरकार से मांग की है कि एक तो किसी भी वस्तु की एमआरपी की जगह लागत मूल्य के बारे में बताया जाए कि वस्तु का लागत मूल्य क्या है. दूसरा जब देश में जीएसटी लगाकर वन नेशन वन टैक्स की बात कही गई तो फिर पैट्रोल डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए. उसे इससे बाहर क्यों रखा गया है.”
समान विचारधारा की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के सवाल पर पवन कुमार कहते हैं, “हम एक मजदूर संगठन हैं तो श्रमिकों के खिलाफ कोई भी बात हो हम सरकार से कहते हैं. पिछले साल पलायन के मुद्दे पर भी हमने सरकार ही आलोचना की थी.”
इसके अलावा देश के 10 सबसे बड़े केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने किसान संगठनों के 27 सितंबर के भारत बंद का समर्थन करने का ऐलान किया है. मंगलवार को इन्होंने एक साझा बयान जारी कर कहा कि सभी 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के नेता और कार्यकर्ता भारत बंद के दौरान देशभर में प्रदर्शन करेंगे.