आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हर पांच साल में सरकार बदलने की संभावना बनी रहती है. इसलिए सामाजिक संगठनों को सरकार की मदद पर निर्भर नहीं होना चाहिए.
लोक सभा चुनाव का नतीजा 23 मई को आएगा. लेकिन पहले दौर के मतदान के बाद कयासों और अटकलों का दौर जारी है. सबसे बड़ा कयास यही है कि क्या नरेन्द्र मोदी सरकार फिर से चुनकर आएगी और इतिहास बनाएगी. या फिर अन्य विपक्षी सरकारों की तरह नरेन्द्र मोदी भी ये इतिहास बनाने से चूक जाएंगे.
इन कयासबाजियों के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हर पांच साल में सरकार बदलने की संभावना बनी रहती है. इसलिए सामाजिक संगठनों को सरकार की मदद पर निर्भर नहीं होना चाहिए.
उन्होंने नागपुर में महामहोपाध्याय वीवी मिराशी की 125 वीं जयंती पर कार्यक्रम में ये बात कही. भागवत ने कहा, “सामाजिक और शोध संगठनों को समाज के बेहतरी के लिए काम करने की ज़रूरत है. इसके लिए एक मजबूत संगठन और स्थायी संपर्क बनाने की दिशा में काम करना चाहिए.”
भागवत ने कहा कि, "जो लोग सरकार से बात करना चाहते हैं उन्हें सीधे संपर्क करना चाहिए. लेकिन, मुझे नहीं लगता कि सामाजिक संगठनों को सरकार पर किसी भी तरह से निर्भर होना चाहिए. क्योंकि, सरकारें बदलती रहती हैं, पहले राजशाही हुआ करती थी. तब 30 से 50 सालों में राजा बदलते थे. अब पांच वर्षों में सरकार बदलने की पूरी संभावना है. सरकार कब तक रहेंगी इसका कोई विश्वास नहीं है. तो जब तक यह सरकार है इसका पूरा उपयोग करें."
आरएसएस प्रमुख के मुताबिक़ अंग्रेज़ों ने आधुनिक भारत के लिए बहुत शोध किया था.
भागवत ने हमारी शिक्षा प्रणाली को अंग्रेज़ों की देन बताया. उन्होंने कहा,"देश की जनसंख्या, जनगणना और भूगोल अभी भी उनके (अंग्रेज़ों) शोध के आधार पर चलता है. लेकिन, उनके शोध को 'संसोधन महर्षि' नहीं कहा जा सकता है.क्योंकि उनका मक़सद लोगों की भलाई और लोगों का कल्याण नहीं था."
भागवत ने लोगों के कल्याण के लिए शोध और ज्ञान के महत्व पर बहुत कुछ कहा. उन्होंने कहा,“ इस दौर में ज्ञान हासिल करने के कई कारण और वजह हो सकती हैं. ज्ञान हासिल करना किसी के निजी स्वार्थ के लिए भी हो सकता है या फिर समाज के कल्याण के लिए भी. ज्ञान जीवन के लिए ज़रूरी है."
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