सराहनीय पहल : कोविड में मेडिकल मैगजीन न मिलने पर एमबीबीएस स्टूडेंट अलीशा ने खुद शुरू की मेडिकल मैगजीन
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने देश-दुनिया में खूब जान व माल की तबाही की. महामारी के बाद से दुनिया के जीने के तौर-तरीकों में काफी बदलाव आया है. इस दौरान बहुत से लोगों ने महामारी से निपटने के लिए अलग-अलग प्रयास किए तो बहुत से लोग दूसरों की मदद के लिए आगे आए.
इसी दौरान सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी गुजरात से एमबीबीएस कर रही 22 साल की मेडिकल स्टूडेंट अलीशा लखानी ने जब मेडिकल रिसर्च के दौरान देश की मेडिकल मेगजीन के बारे में जानना चाहा तो उन्हे कोई सही मैगजीन नहीं मिली, जो मेडिकल स्टूडेंट और स्वास्थ्य संकट के दौर में काम आ सके. इस पर अलीशा ने कुछ मेडिकल स्टूडेंट को एकजुट किया और पहले लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से जागरुक किया और अब इन्फलेम नाम से एक मेडिकल मैग्जीन शुरू कर रहीं हैं. जो 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे पर लांच होगी.

एशियाविल ने मैगजीन की फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ अलीशा से उनके इस प्लान पर विस्तार से बातचीत की.
अलीशा ने मुझे बताया, “यह प्लान मुझे कोविड के दौरान आया क्योंकि उस टाइम लॉकडाउन के दौरान लोग बहुत कंफ्यूज हो रहे थे. तो कुछ चीजों को हमने नोटिस करना शुरू किया और हम उन्हें पोस्टर के फॉर्म में सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम पर अपनी स्टोरेज डालते थे. जिससे कि लोगों को चीजें समझ जाएं. उसमें हम कुछ डॉक्टरों की मदद लेते थे. पहले हमने 10 मेडिकल स्टूडेंट के साथ ग्रुप शुरू किया जो इस से रिलेटेड आर्टिकल लिखने की इंटरेस्टेड थे. उसके बाद हमारे पास बहुत स्टूडेंट के ज्वाइन करने के लिए मैसेज आए. और एक बड़ी टीम बन गई. हमने अभी तक लगभग 15 राज्यों के 150 से ज्यादा कॉलेजों में अपनी टीम बनाई है. जो मेडिकल से रिलेटेड आर्टिकल और अन्य चीजों पर काम करती है. अभी 3 हजार से 4 हजार मेडिकल स्टूडेंट हमारी टीम में हैं. हमने उन्हें बताया कि किस टाइप के आर्टिकल करने हैं क्योंकि हमें यह भी देखना था कि इसमें रीडर इंटरेस्टेड है या नहीं. यह टॉपिक हमने डॉक्टर के साथ कंसल्ट कर सेलेक्ट किए जो अभी सबसे ज्यादा जरूरी हैं. तो हमारे पास बहुत से आर्टिकल आते थे उनमें से हम सिलेक्टेड करते हैं. इसके अलावा कुछ डॉक्टर्स के इंटरव्यू किए हैं, मिथ और फैक्ट पर काम किया. तो यह सब हमने इकट्ठा किया और अब इसे मैगजीन में पब्लिश करेंगे.”
अलीशा आगे बताती हैं, “1 जुलाई को डॉक्टर्स डे के मौके पर हम ‘इन्फ्लेम’ नाम से एक मैगजीन लांच कर रहे हैं. यह एक क्वार्टरली मैगजीन होगी लेकिन हमारे मंथली न्यूजलेटर भी आएंगे. जिसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर जे ए जयलाल और वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन के ट्रेजरी डॉक्टर रवि वानखेड़कर लॉन्च करेंगे. और इसका पहला संस्करण पूरी तरह कोविड पर आधारित है.
इस मैगजीन को लॉन्च करने का आपका क्या उद्देश्य है इस पर अलीशा कहती हैं, “अगर आप देखेंगे तो बिजनेस, फैशन और दूसरे क्षेत्र में ढेरों मैगजीन है, और मेडिकल मैगजीन के बारे में आप भी नहीं बता पाएंगे. किसी को नहीं पता होता और जिस को पता होता है वह ‘द लांसेट’ का नाम लेता है जबकि वह भी एक मेडिकल जर्नल है. तो हमने सोचा कि जब हमारे पास इतने सोर्स है तो क्यों ना कुछ शुरू किया जाए, जो डॉक्टर और स्टूडेंट की हेल्प करे. जिसका मकसद मेडिकल छात्रों को एक अच्छा प्लेटफार्म उपलब्ध कराना और डॉक्टर की मदद करना आदि है. क्योंकि कॉविड के टाइम पर सब को यह समझ आ गया कि हेल्थकेयर कितना इंपोर्टेंट है. और मीडिया ने भी कोविड के बाद ही हेल्थकेयर को महत्व देना शुरू किया है. अभी तो हमने इसको नॉन-प्रॉफिट रखा है क्योंकि बहुत सारे बच्चे हमारे साथ जुड़े हैं वैसे हमारे पास स्पॉन्सर आते रहते हैं.”
अंत में अलीशा बताती हैं, “इसके अलावा हमारी टीम ने कोविड में भी बहुत काम किया है. जैसे आईएमए की हेल्प लाइन चल रही थी. उस पर कुछ लोग गलत जानकारी डाल देते थे तो हमारी टीम फैक्ट चेकिंग करती थी. उसमें हम 200 वालंटियर थे. इसके अलावा इनफ्लेम ने अभी पॉडकास्ट भी शुरू किया है. जिसमें जनरल टॉपिक जैसे- ब्लड डोनेशन, मेंटल हैल्थ, ड्रग अब्यूज और दूसरे जरूरी विषयों पर जागरूक किया जाता है. और यह सब ऑनलाइन चला है. जितने आर्टिकल्स मंगाए गए हैं मीटिंग हुई है सब ऑन्लाइन हुआ है यहां तक कि हम एक दूसरे को जानते नहीं.”