टीके पर टेंशन : खतरनाक हो रहे कोरोना के बीच कई राज्यों में टीकों की भारी कमी, एसएसआई को कानूनी नोटिस
केंद्र सरकार का कहना है कि देश में कोरोना के वैक्सीन की कोई कमी नहीं है. वहीं कई राज्यों ने कोरोना के वैक्सीन की और डोज उपलब्ध कराने की मांग की है.
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच टीकों की कमी की खबरें भी आ रही हैं. कई राज्यों ने कोरोना का टीका खत्म होने की शिकायत की है. वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि टीकों की कोई कमी नहीं है. इस बीच खबर हैं कि टीका बनाने वाली कंपनी एसएसआई कानूनी पचड़े में फंसती नजर आ रही है. उस पर टीकों की सप्लाई में देरी का आरोप लगाया जा रहा है.

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच देश में कोरोना के टीकाकरण का अभियान भी तेजी से चल रहा है. लेकिन इस बीच महाराष्ट्र, हरियाणा और ओडिशा समेत कई राज्यों ने दावा किया है कि उनके यहां वैक्सीन की कमी हो गई है. इस बाबत उन्होंने केंद्र सरकार ने बड़ी संख्या में वैक्सीन की मांग की है. हालांकि केंद्र सरकार ने राज्यों के इस दावे को बेबुनियाद बताया है. केंद्र ने इसके पीछे राजनीति बताई है.
टीकों का संकट
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि राज्य के पास कोरोना टीके की 14 लाख खुराक ही बची हैं, जो तीन दिन ही चल पाएगी. उनका कहना है कि टीकों की कमी के कारण कई टीकाकरण केंद्र बंद करने पड़े हैं. टीकाकरण केंद्रों पर आ रहे लोगों को वापस भेजा जा रहा है, क्योंकि टीके की खुराकों की आपूर्ति नहीं हुई है. हमें हर हफ्ते 40 लाख खुराकों की जरूरत है. इससे हम एक सप्ताह में हर दिन छह लाख खुराक दे पाएंगे.
ओडिशा के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अवर मुख्य सचिव पीके महापात्रा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर राज्य में टीकाकरण सुचारू ढंग से चलाने के लिए कोविशील्ड की 15-20 लाख खुराक देने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि राज्य में उपलब्ध भंडार और टीकाकरण की गति के हिसाब से केवल तीन दिन के लिए और खुराक बची हैं.
महाराष्ट्र और ओडिशा के अलावा छत्तीसगढ़, तेलंगाना और हरियाणा में भी अब कोरोना वैक्सीन का स्टॉक खत्म हो रहा है. यहां की सरकारों ने केंद्र से बड़ी मात्रा में वैक्सीन देने की अपील की है.

बड़ी बात यह है कि राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद में भी अब वैक्सीन का स्टॉक घट रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाजियाबाद के पास वैक्सीन की 12 हजार और नोएडा के पास 13 हजार खुराक ही बची हैं. गाजियाबाद को वैक्सीन की हाल ही में पांच हजार खुराक ही मिल पाईं. नोएडा में वैक्सीन की कमी के बाद अब टीकाकरण केंद्रों की संख्या 41 रह गई है.
सरकार का दावा
राज्यों के दावे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि किसी भी राज्य में टीकों की कमी नहीं है. हर्षवर्धन ने कहा कि कुछ राज्य सरकारें पर्याप्त संख्या में लाभार्थियों को टीका लगाए बिना सभी के लिए टीकों की मांग कर लोगों में दहशत फैलाने और अपनी विफलताएं छिपाने की कोशिश में लगी हुई हैं. हर्षवर्धन ने कहा कि टीकों की कमी के आरोप पूरी तरह निराधार हैं.
उन्होंने बताया कि टीकाकरण में अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया में सबसे तेज टीकाकरण वाला देश बन गया है. देश में अब तक कोविड-19 टीके की 9 करोड़ से ज्यादा डोज दी जा चुकी है.
देश में कोरोना के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान के तहत वर्तमान में 45 साल और इससे अधिक उम्र के लोग ही टीका लगवा सकते हैं. हालांकि 11 अप्रैल 2021 से अब सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यस्थलों पर टीकाकरण केंद्र शुरू होंगे. इसके लिए केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है. कार्यस्थल के कर्मचारियों के लिए पंजीकरण की सुविधा भी होगी.
संकट में एसआईआई
इस बीच टीके बनाने वाली प्रमुख भारतीय निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) कानूनी दांव-पेच में फंसती नजर आ रही है. दरअसल, एसआईआई को ब्रिटिश और स्वीडिश बहुराष्ट्रीय दवा और बायोफर्मासिटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने एक कानूनी नोटिस भेजा है. यह नोटिस कोरोना वैक्सीन की सप्लाई में देरी किए जाने पर भेजी गई है.

वहीं एसआईआई ने कोवीशील्ड टीकों का उत्पादन दोगुना करने के लिए भारत सरकार से ग्रांट के रूप में मदद मांगी है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन को एसआईआई भारत में कोविशील्ड ब्रांड के नाम से बना और बेच रही है. एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वैक्सीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 3 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी.
पूनावाला ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, ''भारत में बढ़ी मांग के चलते कोविशील्ड की उत्पादन क्षमता दबाव में है. कोविशील्ड वैक्सीन ज्यादा मात्रा में बनाने के लिए करीब तीन हजार करोड़ रुपये की जरूरत है. हम भारतीय बाजार में लगभग 150-160 रुपये में वैक्सीन की आपूर्ति कर रहे हैं जबकि वैक्सीन की औसत कीमत लगभग 20 डॉलर (1500 रुपये) है. मोदी सरकार के अनुरोध पर हम रियायती दरों पर टीका दे रहे हैं. ऐसा नहीं है कि हम मुनाफा नहीं कमा रहे हैं, लेकिन हमें और मुनाफे की जरूरत है, जो फिर से निवेश करने के लिए जरूरी है.''
पूनावाला ने आगे कहा, ''तीन हजार करोड़ रुपये कोई छोटी रकम नहीं है. हमने पहले ही हजारों करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं. हमें अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए अन्य नए तरीके तलाशने होंगे.''
उन्होंने कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि कोविशील्ड वैक्सीन की उत्पादन क्षमता जून से प्रति माह 11 करोड़ डोज तक बढ़ जाएगी. पूनावाला ने कहा कि कंपनी प्रति दिन 20 लाख खुराक का उत्पादन कर रही है. उन्होंने कहा, ''हमने अकेले भारत में 10 करोड़ से अधिक खुराक दी हैं और अन्य देशों को लगभग छह करोड़ खुराक का निर्यात किया है.''
सीरम इंस्टीट्यूट के साथ ही अन्य वैक्सीन उत्पादकों ने भी मुनाफा न लेने के लिए सरकार से सहमति जताई है.
उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी दूसरी वैक्सीन कंपनी इतनी घटी कीमतों पर टीके उपलब्ध नहीं करा रही है. पूनावाला ने एक अन्य साक्षात्कार में कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट अन्य के मुकाबले भारत की अस्थायी जरूरतों को प्राथमिकता दे रहा है. कंपनी वर्तमान में करीब 7 करोड़ टीके प्रति माह का उत्पादन कर रही है.