नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से बनाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसान शनिवार को महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर सद्भावना दिवस मना रहे हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है. शनिवार को देश और दुनिया में महात्मा गांधी की पुण्य तिथि मनाई जा रही है. किसान संगठन महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को सद्भावना दिवस के रूप में मना रहे हैं. इस दिन वो दिन भर का उपवास रखेंगे. किसान नेताओं के मुताबिक यह सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा.

पिछले 2-3 दिन से दिल्ली की जिन सीमाओं पर किसान धरना दे रहे हैं, वहां कुछ तथाकथित स्थानीय लोग आकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों के प्रदर्शन से स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है. वो जगह को खाली करने की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर शुक्रवार को सिंघू बॉर्डर पर हिंसा हुई थी. इसे संभालने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे.
आइए जानते हैं कि पिछले कुछ दिनों में किसान आंदोलन में क्या-क्या हुआ है और किसान शनिवार को क्या कर रहे हैं.
राजनीतिक दलों का मिला समर्थन
गाजीपुर बॉर्डर पर गुरुवार को हुए तनाव के बाद शिरोमणि अकाली दल और इनेलो जैसे राजनीतिक दलों ने भी किसानों का साथ देने की घोषणा की है. किसान नेताओं का दावा किया है कि जींद, हिसार, भिवानी और रोहतक सहित हरियाणा के कई हिस्सों से किसानों ने केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली की सीमाओं की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है.
भारतीय किसान यूनियन (चडूनी) गुट के एक नेता के मुताबिक हरियाणा में कई खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन को समर्थन देने का फैसला किया है. इसके अलावा कई गांवों ने प्रदर्शन में अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली भेजने का फैसला किया है. शिरोमणि अकाली दल ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे दिल्ली की सीमाओं पर तीन प्रदर्शन स्थलों पर आंदोलन को मजबूती देने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचें.

कांग्रेस नेता और राज्य सभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा शनिवार को गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे. उन्होंने राकेश टिकैत से मिलकर किसानों के प्रति एकजुटता जताई.
नए कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा कि वह शनिवार को गाजीपुर प्रदर्शन स्थल पर जाएंगे और टिकैत तथा किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करेंगे.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि लालकिला परिसर की घटना के चलते किसानों के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार बंद किया जाना चाहिए. सिंह ने कहा, ''जो हो रहा है और जो सिंघू बॉर्डर पर हुआ, पाकिस्तान वही चाहता है.''
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, आरएलडी नेता जयंत चौधरी एवं भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने टिकैत से मुलाकात की है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने भी किसान आंदोलन को अपनी पार्टी का समर्थन दिया है.

गाजियाबाद जिला प्रशासन का अल्टीमेटम
गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे हजारों प्रदर्शनकारियों को गाजियाबाद जिला प्रशासन ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे खाली करने का अल्टीमेटम दिया है. गाजीपुर के यूपी गेट पर गुरुवार को टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी. प्रशासन ने गुरुवार शाम धरना स्थल की बिजली काट दी थी. गाजीपुर में किसान राकेश टिकैत के नेतृत्व में बीते साल 28 नवंबर से धरना दे रहे हैं.
प्रशासन के अल्टीमेटम के बाद भी बावजूद हजारों किसान वहां जमा हैं. इसे देखते हुए वहां भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के समर्थक शुक्रवार को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर फिर से एकत्र होने लगे और वहां किसानों की भीड़ बढ़ने लगी है.

पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ, बागपत, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मुराबादाबाद और बुलंदशहर जैसे जिलों से बड़ी संख्या में किसान इस आंदोलन में शामिल होने यूपी गेट पहुंचे हैं.
टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन
किसानों के आंदोलन के प्रमुख केंद्रों में से एक दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर शुक्रवार को किसानों को वहां से हटाने की मांग को लेकर कुछ तथाकथित स्थानीय लोगों ने प्रर्दशन किया. इससे वहां का माहौल कुछ समय के लिए तनावपूर्ण हो गया. राष्ट्रीय झंडा लिए आसपास के इलाकों के 30-40 लोगों ने 26 जनवरी को किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा तिरंगे का कथित रूप से ‘अपमान' करने के खिलाफ नारेबाजी की. पुलिस ने उन्हें मनाकर वहां से हटाया.

किसान नेताओं ने इन प्रदर्शनों के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है. उनका आरोप है कि कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन को बरबाद करने के प्रयास किए जा रहे हैं. किसान नेताओं का दावा है कि गुरुवार रात गाजीपुर सीमा से किसान नेता राकेश टिकैत को हटाने की पुलिस की कथित कोशिश के बाद भी गाजीपुर, सिंघू और टीकरी में आंदोलनकारी किसानों की संख्या बढ़ रही है.
किसानों की नसीहत
भारतीय किसान यूनियन के नेता युधिष्ठिर सिंह ने कहा है, ''हमें बीजेपी के लोगों से राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करने पर व्याख्यान की जरूरत नहीं है. यहां बैठे अधिकांश किसानों के अपने बच्चे सीमाओं पर देश के लिए लड़ रहे हैं.'' उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसानों के आंदोलन को दबाने की कोशिश ने इसे और तेज कर दिया है क्योंकि कल रात की घटना के बाद से और अधिक लोग आंदोलन में शामिल हुए हैं.
वहीं भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) के एक नेता ने कहा कि अगले कुछ दिन में सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर और किसान जाएंगे.