करणी सेना को कोई काम दो, फ़िल्मों पर भड़कने के अलावा ख़ाली बैठी रहती है
एक बार फिर करणी सेना के ‘योद्धा’ सड़कों पर उतर आए हैं. करणी सेना की भावनाएं इतनी आहत रहती है कि उसे ज़रा सा सहलाने पर ये तलवारें लेकर उतर जाती हैं.
करणी सेना का नाम आप कब-कब सुनते हैं? आम दिनों में ये सेना सोई रहती है, लेकिन जैसे ही कोई फ़िल्म या सीरीज़ रिलीज़ होती है और कहीं से भी कोई विवाद का पहलू दिख जाता है तो करणी सेना उसमें कूद पड़ती है.
एक बार फिर करणी सेना के ‘योद्धा’ सड़कों पर उतर आए हैं. करणी सेना की भावनाएं इतनी आहत रहती है कि उसे ज़रा सा सहलाने पर ये तलवारें लेकर उतर जाती हैं.
देश में इतिहास की घटनाओं पर आधारित तमाम फिल्मों का विरोध करने के बाद करणी सेना अब ओटीटी प्लैटफॉर्म पर प्रसारित हो रही वेब सीरीज तांडव के विरोध पर उतर आई है. करणी सेना ने इसके खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ने की बात कही है. करणी सेना पूर्व में तमाम ऐसी फिल्मों के विरोध के कारण चर्चा में रह चुकी है, जो कि ऐतिहासिक घटनाओं या राजवंशों पर आधारित रही हैं. करणी सेना के विरोधों की लिस्ट में पद्मावत और मणिकर्णिका जैसी फिल्में शामिल हैं.
वेब सीरीज 'तांडव' का विरोध करने उतरी करणी सेना की प्रदेश संगठन महामंत्री श्वेताराज सिंह ने कहा कि वेब सीरीज में जिस तरह से हिन्दू धर्म सनातन संस्कृति से खिलवाड़ किया जा रहा, उसे किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने मांग की है कि यदि हिन्दू धर्म सनातन संस्कृति से खिलवाड़ करने वाली वेब सीरीज पर बैन नहीं लगाया गया, तो करणी सेना कोर्ट में पीआईएल दाखिल करेगी. श्वेता राज सिंह ने मांग की है कि वेब सीरीज के लिए भी सेंसर बोर्ड बनना चाहिए.
बीते साल अपने विरोध प्रदर्शनों को लेकर चर्चा में आई करणी सेना की कहानी बेहद दिलचस्प है. वर्ष 2006 में कुछ बेरोजगार राजपूत युवकों ने करणी सेना का गठन किया जो आज राजस्थान में इस समुदाय का चेहरा बन गया है. हालांकि यह संगठन अभी कई धड़ों में बंट गया है. इनमें से लोकेंद्र सिंह कालवी के नेतृत्व वाली श्री राजपूत करणी सेना, अजीत सिंह ममदोली के नेतृत्व वाली श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना समिति और सुखदेव सिंह गोगामेदी के नेतृत्व वाली श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना सबसे ज्यादा प्रभावी है.
करणी सेना पहली बार वर्ष 2006 में चर्चा में आई थी. इस दौरान कालवी ने फिल्मकार आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'जोधा अकबर' का विरोध किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि इस फिल्म ने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ किया है. बाद में यह फिल्म राजस्थान में रिलीज नहीं हो सकी. वर्ष 2013 में यह संगठन फिर चर्चा में आया. करणी सेना ने आरक्षण की मांग को लेकर कांग्रेस के चिंतन शिविर को निशाना बनाने की धमकी दी.
फिर पद्मावत फिल्म के विरोध में भी करणी सेना ने लंबा प्रदर्शन किया.