मीडिया और मीडियाकर्मियों के दमन के खिलाफ दिल्ली में पत्रकारों का मौन प्रदर्शन
दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के बाहर पत्रकारों ने मीडिया और मीडियाकर्मियों के उत्पीड़न के खिलाफ पत्रकारों ने मौन प्रदर्शन किया.
मीडिया संस्थानों पर पत्रकारों पर कार्रवाई के विरोध में पत्रकारों ने गुरुवार को दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सामने मौन प्रदर्शन किया. प्रदर्शन करने वाले पत्रकारों का कहना था कि इस समय देश में अघोषित इमरजेंसी लगी हुई है. उनका कहना था कि अपने विरोध में उठने वाली हर आवाज को सरकार दबा देना चाहती है. इसके लिए वो सरकारी एजेंसियों का सहारा ले रही है.

यह प्रदर्शन दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के बाहर आयोजित किया गया. इसमें शामिल पत्रकार अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए बैठे थे. इन तख्तियों पर तरह के नारे लिए हुए थे. प्रदर्शन के बाद पत्रकारों ने कहा कि मीडिया औऱ पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ यह आंदोलन की शुरुआत बस है आगे दूसरे शहरों में भी इस तरह के प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे. गुरुवार को हुए प्रदर्शन का आयोजन प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और वुमेन प्रेस कॉर्प व कुछ अन्य संगठनों ने किया था.
दिल्ली में पत्रकारों के संगठन दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के एसके पांडेय ने 'एशियाविल हिंदी' से कहा कि इस समय देश में अघोषित इमरजेंसी लागू है. सरकार मीडिया संस्थानों को तरह से परेशान कर रही है. पांडेय ने कहा कि हाल में 'न्यूजक्लिक' पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का छापा इसका ताजा उदाहरण है. उसी तरह से किसानों के बीच रहकर रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार मनदीप पूनिया को जिस तरह से गिरफ्तार कर जे़ल में डाला गया, वह मीडिया के दमन के उदाहरण भर हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार जिस 'वन लीडर, वन नेशन' की दिशा में बढ़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पत्रकारों के संगठनों का एक नेटवर्क तैयार किया जा रहा है और आने वाले दिनों में इस तरह के और भी प्रदर्शन दूसरे शहरों में आयोजित किए जाएंगे.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने 9 फरवरी को न्यूज पोर्टल 'न्यूजक्लिक' के 8 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था. ईडी ने जिन जगहों पर कार्रवाई की उनमें 'न्यूजक्लिक' के ऑफिस, उसके संपादक और कुछ अन्य कर्मचारियों के आवास शामिल हैं. ईडी के अधिकारियों ने 'न्यूजक्लिक' के ऑफिस को करीब 38 घंटे तक और उसके संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के आवास को करीब 113 घंटे तक खंगाला. इस दौरान किसी को भी घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया.

खबरों में यह सामने आया कि ईडी ने यह कार्रवाई विदेशी धन और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में की. इस कार्रवाई से उसे हासिल क्या हुआ, यह तो अभी पता नहीं चल पाया है. लेकिन ईडी की इस कार्रवाई को मीडिया संस्थानों के उत्पीड़न के तौर पर देखा गया.
वरिष्ठ पत्रकार अमित प्रकाश सिंह, 'जनसत्ता' अखबार के स्थानीय संपादक और मशहूर पत्रिका 'तहलका' के संपादक रह चुके हैं. पत्रकारों के मौन प्रदर्शन के सवाल पर वो कहते हैं, ''केवल सरकार ही अपनी बात कहे, यह सही नहीं होगा. यह बताने के लिए आवाज हमारे पास भी है, मौन की भी आवाज होती है, यह जताने के लिए ही यह प्रदर्शन आयोजित किया गया है.''
उन्होंने कहा कि सरकार को अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को भी सुनना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरह से मीडिया और पत्रकारों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है, उसका हर स्तर पर विरोध करना होगा.