जेएनयू : 'काउंटर टेररिज्म' की पढ़ाई के लिए नए कोर्स को मंजूरी पर विवाद बढ़ा
राष्ट्रीय राजधानी स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय लगातार सुर्खियों में रहता है.
विश्वविद्यालय के करिकुलम में तीन नए कोर्सेज जोड़े गए हैं जिसमें इंजीनियरिंग ड्यूल डिग्री प्रोग्राम में नया कोर्स 'काउंटर टेररिज्म यानि आतंकवाद रोधी' जोड़ने पर विवाद शुरू हो गया है. 17 अगस्त को विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल की बैठक के दौरान पहले कोर्स 'काउंटर टेररिज्म, एसिमेट्रिक कॉनफ्लिक्ट्स एंड स्ट्रेटेजीज फॉर कोऑपरेशन अमंग मेजर पॉवर्स' को मंजूरी दी गई थी. इसके बाद से यह शीर्षक विवाद का कारण बना. जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के एक वर्ग ने इस कोर्स को शुरू करने पर आपत्ति जताई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह 'जिहादी आतंकवाद','कट्टरपंथी-धार्मिक आतंकवाद' का एकमात्र रूप है. वे इसे हटाने की मांग कर रहे हैं. बताया जाता है कि इस पेपर के माध्यम से छात्रों को आतंकवाद से निपटने का तरीका पढ़ाया जाएगा. इसमें बताया जाएगा कि दुनिया में आतंकवाद को रोकने में विश्व शक्तियां क्या भूमिका निभाती हैं.
हमने इस बारे में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन की सेक्रेटरी प्रोफेसर मौसमी बासु से बातचीत की.
प्रोफेसर मौसमी बासु ने मुझे बताया, “हमें एक तो इस कोर्स के लाने के प्रोसेस पर समस्या है क्योंकि जब कोर्स एकेडमिक काउंसिल में ही पहली बार आता था तो इसमें क्या होता है कि यह पहले कोर्स सेंटर और स्कूल में डिस्कस होता है. तो जो हमारा स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज है उसमें इस पर डिस्कस नहीं हुआ. बस इंजीनियरिंग कॉलेज में गया और वहां से पास होकर एकेडमिक काउंसिल में आ गया. हमारा यही कहना है कि ये इस प्रोसेस के तहत नहीं होना चाहिए था.”
प्रोफेसर मौसमी बासु ने आगे बताया, “दूसरा सवाल उसके कंटेंट पर था. रही बात टेररिज्म की तो इस पर तो काम दशकों से हो रहा है. यह तो 100 साल पुराना इश्यू है उस पर लोग काम करते हैं लेकिन बात वह नहीं है. प्रॉब्लम यह है कि आप इसको सीमित रूप में देख रहे हैं. यानी आप एक समुदाय के साथ इस टेररिज्म को जोड़कर देख रहे हैं, जो गलत है. बहुत से देशों में हिंसा होती है जैसे म्यांमार में हो रहा है श्रीलंका में हो रहा है वहां तो आप उसको क्रिश्चियन टेररिज्म या बुद्धिज्म टेररिज्म नहीं बोलते. लेकिन जब आप एक समुदाय के बारे में प्वाइंट आउट करके बोलते हैं तो वह प्रॉब्लम है. और इसमें हमें जैसे एक एकेडमिक सेंटर में रिसर्च और शोध होना चाहिए, व्यू पॉइंट की स्टडी करके चीजों पर बात होनी चाहिए वह हमें इसमें नजर नहीं आ रहा. इसी वजह से हम ने इस पर सवाल उठाए.”
वहीं राजनेताओं ने भी इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रया दी है.
इस मामले पर बोलते हुए, सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा था कि आरएसएस से प्रेरित भाजपा, नफरत को बढ़ावा देने और नस्लीय वर्चस्व का प्रचार करने वाला एक कोर्स लागू करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने यह भी पूछा कि पाठ्यक्रम में 'हिंदू आतंकवाद' का जिक्र क्यों नहीं है. उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को चिट्ठी लिखकर पहले विषय को गलत प्रकृति का बताया है.
CPI Rajya Sabha MP Binoy Viswam writes to Union Education Minister Dharmendra Pradhan, raising objection to 'prejudiced & inaccurate nature of material being included in JNU course titled Counter-Terrorism, Asymmetric Conflicts & Strategies for Cooperation among Major Powers' pic.twitter.com/AfvLNUIC0w
— ANI (@ANI) August 31, 2021
वहीं बीएसपी सांसद कुंवर दानिश अली ने इस कोर्स का विरोध करते हुए कहा हैं कि “#JNU का नया कोर्स इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है और पूरे समुदाय को सांप्रदायिकता की राजनीति और भाजपा के लिए चुनावी लाभांश और RSS के विभाजनकारी एजेंडे के लिए पेश करता है. इसका भारत की एकता और अखंडता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. भारत सरकार इसे तत्काल रद्द करे.
A new course in #JNU brazenly distorts history & demonises an entire community to communalism polity & yield electoral dividends for BJP & further divisive agenda of #RSS. This'll have grave implications for India's unity & integrity. GOI shd scrap it forthwith. #JNUterrorcourse
— Kunwar Danish Ali (@KDanishAli) September 1, 2021
01 सितंबर को जेएनयू ने एक आधिकारिक नोटिस जारी कर इस पर अपना सफाई भी दी थी. वहीं जेएनयू के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा था कि इंजीनियरिंग की ड्यूल डिग्री प्रोग्राम में छात्रों को इंटरनेशनल रिलेशन भी पढ़ाए जाते हैं. इसी में 'काउंटर टेररिज्म' का एक नया कोर्स जोड़ा गया है. आतंकवाद से आज दुनियाभार के देश परेशान हैं. ऐसे में छात्रों को इस बारे में पढ़ाया जाना कोई गलत नहीं है. विश्वविद्यालय छात्रों को लिवरल तरीके से पढ़ाना चाहता है. इस कोर्स को विशेषज्ञों की टीम व एग्जीक्यूटिव काउंसिल में पास किया गया है. इसमें इंजीनयरिंग के छात्रों को ये पढ़ाया जाएगा कि आतंकवाद से कैसे निपटा जाए और इसमें विश्व शक्तियों की भूमिका क्या हो?
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