दुनिया भर में लोगों की जान लेने वाले कोरोनावायरस ने जापान में बचाई हज़ारों लोगों की ज़िंदगी
कोरोना वायरस के चलते जहां एक ओर दुनिया में डिप्रेशन बढ़ रहा है तो जापान में इसका अलग ही असर देखने को मिल रहा है. यहां पर कोरोना के चलते खुदकुशी की दर में गिरावट आई है.
जापान में युवाओं में खुदकुशी की दर बीते दो दशकों में तेज़ी से बढ़ी. यहां तक कि खुदकुशी के मामले में जापान दुनिया का पांचवा देश है. पिछले पांच सालों में यहां रोजाना औसतन 70 युवा अपनी जान ले रहे हैं. हालांकि कोरोना के दौर में यहां आत्महत्या की दर में एकदम से कमी आई. एक्सपर्ट्स के मुताबिक फरवरी से जून में आत्महत्या की औसत दर में 13.5 फीसदी कमी दिखी. कोरोना के चलते एक ओर दुनिया में डिप्रेशन बढ़ रहा है तो जापान में इसका अलग ही असर हो रहा है.
विकसित देशों में से एक जापान में गरीबी काफी कम हैं. इसके बाद भी यहां खुदकुशी का ट्रेंड ज्यादा है. लेकिन कोरोना महामारी जापान पर अलग ही असर हुआ. इसपर टोक्यो मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूट के रिसर्चर शोहेई ओकामोटो ने एक रिसर्च की, जिसके नतीजे चौंकाते हैं. साइंस जर्नल medRxiv.org में छपी इस स्टडी के मुताबिक कोरोना का जापान की मानसिक सेहत पर अच्छा असर हुआ है. इसके नतीजे वहां खुदकुशी में कमी के तौर पर दिखते हैं.
रिसर्च के हवाले से साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में एक रिपोर्ट छपी है. रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी से जून 2020 के बीच जापान में खुदकुशी से 1027 जानें गईं, जबकि कोरोना ने 974 जानें लीं.

जापान में आत्महत्या में तेज़ी से गिरावट के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि काम के घंटों का कम होना. जापान में लोगों में काम की आदत एडिक्शन बन चुकी है. वो दिन के औसतन 16 घंटे काम करते हैं. लेकिन कोरोना के दौरान कंपनियों ने अच्छा कदम उठाते हुए उनके काम के घंटे जबरन कम कर दिए. वर्किंग आवर्स में लगभग 20 फीसदी की कटौती की गई ताकि कर्मचारी परिवार के साथ वक्त बिताएं.
इसके अलावा सरकार ने हर एक को लगभग 940 डॉलर की रकम दी ताकि वो अपनी जरूरत के मुताबिक खर्च करे. यहां तक कि कंपनियों को भी सब्सिडी मिली. इसके बाद देखा गया कि प्री-पेंडेमिक पीरियड की बजाए कोरोना के वक्त में लोगों के दिवालिया होने में गिरावट आई.
जापान की ये स्टडी विशेषज्ञों के उस डर से अलग हैं, जो कोरोना के चलते मेंटल हेल्थ को ख़तरे में बता रहे हैं. कई सारी स्टडीज कह रही हैं कि महामारी के कारण नौकरी जाने, सैलरी कम होने या अकेलापन जैसी बातों के चलते लोगों की मेंटल हेल्थ पर असर होगा और खुदकुशी की दर बढ़ सकती है. वैसे कई जगहों पर एक्सपर्ट्स का ये डर सही भी दिख रहा है. जैसे पेसिफिक आइलैंड के Guam में खुदकुशी की दर पहले से दोगुनी हो गई है. अमेरिका और कनाडा में भी यही ट्रेंड दिख रहा है.