एक इज़रायली खाता है साल में कम से कम 60 किलो चीनी, फिर भी सबसे स्वस्थ
जानी मानी पत्रिका लैंसेट के अनुसार इज़रायल में खान-पान से होने वाली मौतों की दर सबसे कम है. लेकिन मज़े की बात है कि इज़रायल में प्रति व्यक्ति चीनी की खपत दुनिया में सबसे ज़्यादा है
जानी मानी पत्रिका लैंसट के अनुसार इज़राय मे खान-पान की वजह से मौतों की दर दुनिया में सबसे कम है. ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़-2019 नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट में स्दुनिया भर के 195 देशों के स्वास्थ्य आंकड़ों के विश्लेषण शामिल किए गए हैं. इस स्टडी से पता चला है कि इज़रायल दुनिया का वैसा देश है जहां खान पान से होने वाली मौतों की दर सबसे कम है. लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि इज़रायल के लोग दुनिया में सबसे ज़्यादा चीनी खाते हैं. 2018 में यहां प्रति व्यक्ति चीनी की खपत 60 किलोग्राम से ज्यादा थी. इसका मतलब हुआ कि इज़रायल मे एक आदमी रोज़ाना 165 ग्राम से ज्यादा चीनी खाता है.
इजरायल के अलावा मलेशिया, बारबेडोस, फिजी और ब्राजील वो देश हैं जहां चीनी की खपत दुनिया के बाकी देशों की तुलना में बहुत ज़्यादा है. चीनी की सबसे कम खपत की बात करें तो दुनिया भर में सबसे कम चीनी की खपत उत्तर कोरिया में है. उतर कोरिया में 2018 में प्रति व्यक्ति चीनी की खपत 3.5 किलोग्राम थी. जबकि पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया में यह खपत प्रति व्यक्ति 30.6 किलोग्राम थी.
अमरीका में खान पान के चलते बीमारियों की समस्या काफ़ी रहती है लेकिन अमरीका दुनिया भर में चीनी खपत करने वाले शीर्ष 20 देशों में भी शामिल नहीं है.
लेकिन आंकड़ों के हिसाब से चीनी की खपत सबसे ज्यादा भारत में होती है. 2018 में भारत में 25.39 मिलियन मीट्रिक टन चीनी की खपत हुई है, यह यूरोपीयन यूनियन के सभी देशों को मिलाकर चीनी की खपत से कहीं ज्यादा है.
चीनी की खपत बढ़ने के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार चीनी हमारे शरीर को उर्जा देने के लिए सबसे सस्ता और सुलभ स्रोत है. भारत जैसे देशों में ग़रीब लोगों के लिए चीनी उर्जा का सबसे सस्ता स्रोत माना जा सकता है. इसके अलावा दुनिया भर में प्रोस्सेड फूड की बिक्री बढ़ने से भी चीनी की खपत दुनिया भर में बढ़ी है.
बीते पांच दशकों में हमारे खान पान में प्रोसेड फूड की खपत भी दुनिया भर में बढ़ी है.
अमरीकी कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2012 के शुरुआती महिलों तक दुनिया भर में फूड प्रॉडक्ट की बिक्री में 77 प्रतिशत हिस्सा प्रोस्सेड फूड का है.
प्रोस्सेड फूड का सबसे अहम अवयव होता है चीनी. कई बार स्वाद और कई बार प्रॉडक्ट के इस्तेमाल की अवधि को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल होता है.
दुनिया भर के कई स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक में वैश्विक मोटापा महामारी की सबसे अहम वजह यह है कि शुगर की खपत रही है.
चीनी खाना अच्छा नहीं
विश्व स्वास्थ संगठन की सलाह है कि वयस्कों और बच्चों को अपने कुल एनर्जी इनटेक में चीनी की मात्रा 10 प्रतिशत से कम रखनी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर आप इसके अलावा चीनी की खपत में पांच प्रतिशत यानी 25 ग्राम या 6 चम्मच की कमी रोजाना करते हैं तो यह आपकी सेहत के लिए और अच्छा हो सकता है.
खपत कम करने के लिए टैक्स
पिछले कुछ समय में ये भी देखा गया है कि कई देश केवल मेडिकल सलाह ही नहीं दे रहे हैं. 20 से अधिक देशों ने शुगर वाले उत्पादों (खासकर सॉफ्ट ड्रिंक्स) पर टैक्स बढ़ाया है.
इसी महीने की शुरुआत में, सिंगापुर दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया जहां ज्यादा शुगर वाले ड्रिंक्स को प्रमोट करन वाले विज्ञापनों पर पाबंदी लगा दी है. यह अगले साल से लागू हो जाएगा.
कई अध्ययन यह बताते हैं कि एनर्जी ड्रिंक्स के इस्तेमाल से वजन बढ़ता है. इससे टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग और असमय मौत होने का खतरा बढ़ता है.
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