भारत समेत कई देशों में पत्रकारों,राजनेताओं ऐक्टिविस्टों की जासूसी की रिपोर्ट के दावा से हड़कंप
पिछले दिनों वॉशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन समेत दुनियाभर के सतरह मीडिया संस्थानों की कंसोर्टियम ने एक सनसनीखेज दावा किया कि भारत सहित दुनियाभर में सरकारें, पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों, राजनेताओं की जासूसी करा रही है. इसके लिए इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के हैकिंग साफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया. इस रिपोर्ट में भारत में कम से कम 38 लोगों के जासूसी का दावा किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत कई देशों में सरकारों ने करीब 180 पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी की. लीक हुए डेटा में 50000 से अधिक फोन नंबरों की सूची है.
द गार्जियन ने पेगासस स्पाईवेयर साफ्टवेयर के डेटा का अध्ययन कर दावा किया है कि इस सूची में समाचार वेबसाइट द वायर के एक सह-संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन और वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठकुरता के साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रशांत किशोर के नाम भी शामिल है.
Every single phone of mine is tapped. IB people call me & say please be aware, we are tapping your phone. My security people tell me they have to report to their seniors everything I say. So I am under no pretentions & I do not get intimidated: Shri @RahulGandhi #PegasusSnoopgate pic.twitter.com/bpRaPKDrJ4
— Congress (@INCIndia) July 23, 2021
वरिष्ठ पत्रकार परांजॉय गुहा ठाकुर्ता का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है. ठकुराता के फोन को 2018 में हैक कर लिया गया था. गार्जियन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उस समय ठकुराता इस बात की जांच कर रहे थे कि नरेंद्र मोदी सरकार कैसे फेसबुक का इस्तेमाल करके भारतीय लोगों के बीच ऑनलाइन 'गलत सूचना' फैला रही है.
एशियाविल ने परंजय गुहा ठाकुरता से इस बारे में विस्तार से बातचीत की
परंजय गुहा ठाकुर्ता ने फोन पर मुझे बताया, “मुझे कोई आश्चर्य नहीं लगा कि मेरा फोन टैप हुआ. बहुत साल से इंटेलिजेंस ब्यूरो के लोगों ने मुझे बताया था कि आप जैसे लोगों का हम फोन टाइप करते हैं. पहले हमारे पास कोई इसका कोई सुबूत नहीं था इस बात सबूत मिल गया. तो मुझे बहुत पहले से पता था कि मेरा फोन टेप हो रहा है. मेरा फोन मार्च-अप्रैल 2018 में टेप हुआ था. क्योंकि उस टाइम में फेसबुक का असली चेहरा नामक किताब के ऊपर काम कर रहा था.इसके अलावा धीरूभाई अंबानी कि विदेशी संपत्तियों के ऊपर भी काम कर रहे थे. इस बारे में मैंने विस्तार से ‘फ्री प्रेस जर्नल’ में भी लिखा कि कैसे दो लोग हमारे पास आए. संजय रविशंकर हमारे पास आया और उसने हमसे इस बारे में बात की. मैंने उनसे पूछा था कि कौन मेरी जासूसी कर रहा है तो उन्होंने बताने से मना कर दिया था.
और यह जरूरी नहीं है कि आपका फोन एक बार टाइप हो गया तो फिर दोबारा नहीं होगा क्योंकि यह जो जासूसी सॉफ्टवेयर है यह बहुत खतरनाक है. अब जैसे प्रशांत किशोर का फोन दो हजार अट्ठारह से और टाइप कर रहे थे. और फिर अब वह जब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिलने गए तो उनका फोन टेप किया.”
परंजय गुहा ठाकुरता आगे बताते हैं, “मेरे अब इस जासूसी प्रकरण पर तीन-चार सवाल हैं. पहला- भारत सरकार की कौन सी संस्था ने यह सॉफ्टवेयर खरीदा, कब खरीदा और कितने पैसे में खरीदा. क्या सरकार बताएगी! क्योंकि हमें मालूम नहीं है. और मैं टैक्सपेयर हूं, कर देता हूं, तो हमें अधिकार है अपने पैसे को जानने का कि जो हम कर दे रहे हैं सरकार उसका इसतेमाल कहां, कैसे और किस माध्यम से खर्च कर रही है. क्योंकि इस सॉफ्टवेयर को आप और मैं नहीं खरीद सकते हैं ये अरबों डॉलर में आता है. और एनएसओ कहता है कि हम सिर्फ सरकारी संस्था को ही इसे बेचते हैं. लेकिन सरकार इस पर जवाब नहीं दे रही है.
दूसरा सवाल है- सरकार कह रही है कि हमने कोई गैर कानूनी काम नहीं किया. ठीक है मान लेते हैं कि कानूनी तरीके से आपने हमारा फोन टेप किया. लेकिन सवाल यह है कि आप को इसकी अनुमति किसने दी. क्योंकि मेरा भी अपना एक निजता का मौलिक अधिकार है. और यह मैं नहीं कह रहा बल्कि उच्चतम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है. क्या अपने गृह मंत्रालय के सचिव से अनुमति लेकर मेरा और 40 पत्रकारों और अन्य लोग जिनकी लंबी चौड़ी लिस्ट है, उनका फोन टेप किया.”
अंत में परंजय सवाल करते हैं- और आखरी सवाल है कि गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं कि यह अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है. तो मैं गृह मंत्री अमित शाह से अत्यंत विनम्रता से सवाल करता हूं कि वॉशिंगटन पोस्ट, एमनेस्टी इंटरनेशनल, दा वायर सहित 17 ऑर्गेनाइजेशन ने इसका इन्वेस्टिगेशन कर इसे निकाला है जिसमें लगभग पचास हजार लोगों का नाम है, जिसमें राजा- महाराजा से लेकर राष्ट्रपति तक के नाम शामिल है. जो मेक्सिको से तुर्की सऊदीअरबिया तक हैं, तो क्या सभी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है. और इसकी फ्रांस में जांच हो रही है इजराइल में हो रही है तो भारत में क्यों नहीं हो रही है. स्वतंत्रता से जांच करने पर पता चलेगा कि जो स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है का दुरुपयोग किसने किया.”
हालांकि सरकार ने अपने स्तर से खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज कर दिया था सरकार ने कहा था कि इससे जुड़ा कोई ठोस आधार या सच्चाई नहीं है. लेकिन विपक्ष इसे लेकर हमलावर है.
Government of India’s response to inquiries on the ‘Pegasus Project’ media report. pic.twitter.com/F4AxPZ8876
— ANI (@ANI) July 18, 2021
दूसरी ओर संपादकों की शीर्ष संस्था एडीटर गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी इसे लेकर चिंता जताई और इस पर बयान जारी किया था.
EGI is shocked by the media reports on the wide spread surveillance, allegedly mounted by government agencies, on journalists, civil society activists, businessmen and politicians, using a hacking software known as #Pegasus, created and developed by the Israeli company NSO. pic.twitter.com/I4M9pOsPTt
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) July 21, 2021
सरकार भले ही इस पर सफाई दे रही हो लेकिन हाल फिलहाल जासूसी प्रकरण का ये मामला थमता नजर नहीं आ रहा है.