आईएमए सहित डॉक्टर संगठनों ने बाबा रामदेव के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग की
कोरोना महामारी के बीच बाबा रामदेव के एलोपैथी के खिलाफ दिए बयान पर बवाल मच गया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन सहित कई मेडिकल एसोसिएशन ने रामदेव के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे अपमानजनक बताया है. आईएमए ने बयान को लेकर एक प्रेस रिलीज जारी किया है जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से रामदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है. बाबा रामदेव से माफी मांगने को भी कहा है.और उन्हे लीगल नोटिस भी भेजा है.
दरअसल बाबा रामदेव का एक वीडियो ट्विटर पर काफी शेयर हो रहा है. इस वीडियो में वह इलाज की ऐलोपैथी पद्धति को निशाना बनाते दिख रहे हैं. आज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कथित तौर पर बाबा रामदेव ने कहा था कि 'मॉडर्न एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है.'
डॉक्टरों की शीर्ष संस्था आईएमए ने इस पर बयान पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा है कि या तो वे इस आरोप को स्वीकार करें और आधुनिक चिकित्सा सुविधा को खत्म कर दें या फिर रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करते हुए महामारी रोग अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराएं. क्योंकि अशिक्षित बयान देश के शिक्षित समाज के लिए एक खतरा है और साथ ही गरीब लोग इसका शिकार हो रहे हैं.
AIIMS, IMA, DMA, Safderjung & all big hospitals of the country wrote a letter to @drharshvardhan to take strict action against the fraudulent Ramdev who is openly misleading public about Covid19 treatment. Media should also boycott him in public interest #ArrestQuackRamdev pic.twitter.com/OLG6Zm5qsE
— Harjit Singh Bhatti (@DrHarjitBhatti) May 22, 2021
एशियाविल ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का पक्ष जानने के लिए आईएमए के जनरल सेक्रेट्री डॉक्टर जायस लेले को फोन किया.
डॉक्टर जाएस लेले ने फोन पर मुझे बताया, “इनके बारे में क्या कह सकते हैं उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई किया क्या, जो बात करते हैं. उस इंसान की क्या समझ है, जो ये स्टेटमेंट दिया है. अंत में उस वीडियो को देख कर रोना आ रहा है, यह क्या स्टेटमेंट है उसकी कोई वैल्यू है क्या! 400 से ज्यादा तो हमारे डॉक्टर मर चुके, क्या वे झूठ में मरे हैं! पीपीई किट इंसान 2 घंटे नहीं पहन सकता. उसे पहनकर इंसान ना खाना खा सकता है ना चाय पी सकता. कैसे कैसे डॉक्टर जीवन निकाल रहे हैं, उन्हें क्या कोई पागल कुत्ते ने काटा है जो इतनी मेहनत करके बीमार होगा. और इस तरीके से वो झूठ बोल बोल कर अपनी कोरोनिल दवा बेचना चाहते हैं.”
डॉक्टर जायस आगे कहते हैं, “बाकि अभी इस बारे में हमने एक प्रेस रिलीज जारी किया है और फिर उनको (रामदेव) कानूनी नोटिस भेजेंगे. और हमने प्रधानमंत्री ऑफिस को पत्र लिखा है,देखते हैं आगे क्या होता है. बाकी मुझे लगता है कि सरकार कोई एक्शन वगैरह नहीं लेने वाली. सरकार का खुद उन्हें पूरा सपोर्ट है मिनिस्टर खुद उनकी दवा बेचना जाते हैं तो वह क्या करेंगे.”
दो पेज की बयान में आईएमए लिखता है, “बाबा रामदेव ने ये दावा किया है कि रेमडेसिविर, फेवीफ्लू और डीजीसीए से अप्रूव दूसरी ड्रग्स की वजह से लाखों लोगों की मौत हुई है. जिससे उन्होंने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और स्वास्थ्य मंत्री की साख को चुनौती दी है. इनकी साख पर सवाल उठाना क्या एंटीनेशनल नहीं है? कोरोना मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर के इस्तेमाल की मंजूरी केंद्र की संस्था सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने जून-जुलाई 2020 में दी थी. ये भ्रम फैलाने और लाखों लोगों की जान खतरे में डालने के लिए बाबा रामदेव पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. साथ ही रामदेव ने फेवीपिराविर को बुखार की दवा बताया था. इससे पता चलता है कि मेडिकल साइंस को लेकर उनका ज्ञान कितना कम है.”



आईएमए ने यह भी लिखा है कि कोरोना महामारी के चलते देश इस वक्त हेल्थ इमरजेंसी से गुजर रहा है. संक्रमण की वजह से अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है. डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ सरकार के साथ मिलकर इसे रोकने की कोशिश में लगे हुए हैं. जानलेवा वायरस के खिलाफ डॉक्टर देशभर में आगे आकर लड़ाई लड़ रहे हैं. कोरोना मरीजों को बचाते-बचाते हजारों डॉक्टर संक्रमित हुए हैं. इनमें से 1200 डॉक्टर्स की जान भी गई है." आईएमए ने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित योगगुरु होने के अलावा बाबा रामदेव एक फार्मास्युटिकल यूनिट के कॉर्पोरेट दिग्गज हैं. वह जनता को गुमराह करने के लिए अपनी कंपनी उत्पादों के बारे में कई बार झूठ बोलते देखे गए हैं. इससे पहले कोरोना के लिए बनाई गई अपनी दवा की लॉन्चिंग के दौरान भी रामदेव ने डॉक्टर्स को हत्यारा कहा था. कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री भी मौजूद थे. सभी इस बात को जानते हैं कि बाबा रामदेव और उनके साथी बालकृष्ण बीमार होने पर एलोपैथी इलाज लेते हैं. इसके बाद भी अपनी अवैध दवा को बेचने के लिए वे लगातार एलोपैथी के बारे में भ्रम फैला रहे हैं. इससे एक बड़ी आबादी पर असर पड़ रहा है.




इसके अलावा अन्य संगठन भी बाबा रामदेव के खिलाफ पूरी तरह मुखर हैं. रामदेव के बयान पर वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष डॉक्टर रवि वानखेडकर एशियाविल कहते हैं, “देश में लाखों लोग मंत्री से लेकर नेता, आरएसएस चीफ भी मॉडर्न दवाई लेते हैं और उससे बहुत लोग ठीक भी हुए हैं. ऐसे में बाबा रामदेव का यह बयान सरासर गलत है. इस कारण जो पेनडमिक एक्ट है इसके तहत बाबा रामदेव के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. दूसरा दर्द हमें यह है जो हमारे देश के स्वास्थ्य मंत्री हैं वह खुद मॉर्डन मेडिसन में पोस्ट ग्रेजुएट हैं, वह चुप हैं. वो रामदेव बाबा के इस बयान तो कुछ नहीं बोल रहे हैं. अब जब उनकी खुद की शिक्षा पर सवालिया निशान लग रहे हैं तो उनका दायित्व है कि इस पर वह सामने आकर कुछ बोलें. दरअसल जब बाबा कोरोनिल दवा लाए तो आईएमए ने इसका विरोध किया था इसके अलावा गाहे-बगाहे आईएमए बाबा को बताती रहती है कि साइंस क्या है इस कारण लगता है कि यह डॉक्टर के खिलाफ इस तरीके के बयान देते हैं. बाकि हम अगले 24 घंटे में उन्हें नोटिस भेजेंगे और एफआईआर भी जरूर करेंगे.”