“मैंने फैसला किया कि मैं शरीर पर घाव खा लूंगा, लेकिन अपने जमीर पर घाव नहीं खाऊंगा,” जबरदस्ती 'जय श्रीराम' के नारे लगवाने पर बोले पत्रकार अनमोल
दिल्ली के जंतर-मंतर पर पिछले दिनों जिस मार्च में मुसलिमों के ख़िलाफ नफरत उगली गई थी उसमें 'जय श्री राम' के नारे लगवाने के लिए एक पत्रकार को कथित तौर पर डराया-धमकाया भी गया और उनसे धक्का-मुक्की भी की गई थी.
पत्रकार उस मार्च की रिपोर्टिंग कर रहे थे तभी उसमें शामिल लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया.नेशनल दस्तक वेबसाइट से जुड़े पत्रकार अनमोल प्रीतम ने आरोप लगाया है कि इसके बाद उन्हें 'डरा धमकाकर जय श्री राम बुलवाने की कोशिश की गई' और जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया तो उनके साथ 'धक्का मुक्की भी की गई.' इतना ही नहीं जय श्रीराम नहीं बोलने पर उन्हें प्रदर्शन स्थल से भगा दिया गया.
इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर डाले जाने के बाद वायरल हो गए. पत्रकार का जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें उनसे भीड़ जबरन 'जय श्री राम' के नारे लगाने के लिए मजबूर करती हुई दिखाई दे रही है. अनमोल को धमकी दी गई. उन्हें बेइज्जत किया गया. ये सब उस जंतर-मंतर पर हुआ जो हाई सिक्योरिटी जोन है. जहां पुलिस का पूरा पहरा रहता है. लेकिन फिर ये भीड़ अनमोल को काफी देर तक प्रताड़ित करती रही. इस मामले में पत्रकार की प्रतिक्रिया की लोग जमकर तारीफ़ कर रहे हैं.
अनमोल प्रीतम ने एक वीडियो भी ट्विटर पर पोस्ट किया है, जिसमें वह भीड़ से बहस करते दिखाई दे रहे हैं. चारों तरफ़ से घेरे हुए लोग 'जय श्री राम' के नारे लगाने के लिए दबाव डालते दिखते हैं और इस बीच अनमोल कहते हैं- 'मेरा मन करेगा तो मैं बोल दूंगा लेकिन जबर्दस्ती नहीं.
अनमोल ने टवीट करते हुए लिखा, “मुझसे डरा धमकाकर "जय श्री राम" बुलवाने की कोशिश की गई. जब मैंने मना किया तो मेरे साथ धक्का मुक्की भी किया गया. आप लोग वीडियो में खुद ही देख लीजिए.”
मुझसे डरा धमकाकर "जय श्री राम"बुलवाने की कोशिश की गई. जब मैंने मना किया तो मेरे साथ धक्का मुक्की भी किया गया. आप लोग वीडियो में खुद ही देख लीजिए@NationalDastak @Profdilipmandal pic.twitter.com/iswtGbff72
— Reporter Anmol Pritam (@anmolpritamND) August 8, 2021
मौका-ए-वारदात पर कैसे और क्या हुआ इसे लेकर एशियाविल ने अनमोल से मिलकर बातचीत की.
जंतर-मंतर पर हुई हमारी बातचीत में अनमोल ने मुझे बताया, “ये ढाई बजे के आसपास की बात है. जब मैं वहां पहुंचा था तो मैंने देखा कि वहां नारेबाजी हो रही थी. उससे दस मिनट पहले मेरे कैमरा-मैन वहां पहुंच गए थे तो उन्होंने वह सारे विजुअल कैमरे में कैद कर लिए थे. मैंने जब वह विजुअल देखे तो उसमें एक खास समुदाय को टारगेट करते हुए बातें कही जा रही हैं. कि ...यह लोग काटे जाएंगे तो राम-राम चलाएंगे. इस तरह की बातें थी. मैंने सोचा कि यह कौन हैं और जंतर-मंतर, जो देश का सबसे ज्यादा हाई सिक्योरिटी वाला इलाका है, इस तरह यहां इस तरीके के नारे लगा रहे हैं. उनसे कुछ बातचीत की जाए और मैंने उनसे बातचीत होती है.”
अनमोल आगे बताते हैं, "इसी बातचीत के दौरान एक लड़का बीच से निकलकर आया और उसने मेरे चैनल को प्वाइंट आउट करते हुए कहा कि यह 'जिहादी चैनल' है. और यह लोग राम से नफरत करते हैं. उसके बाद, इस तरह से पूरा मामला उछला, और उसमें यही था कि अगर आपकी कोई माइक आईडी देखकर आप पर अटैकिंग हो रहा है तो इसका मतलब है कि उन्हें पहले से इसका पता है.”
वहां से आप कैसे बचकर निकले इस सवाल के जवाब में अनमोल कहते हैं, “पहले तो वहां सिचुएशन ठीक थी. आठ-दस लोग ही ऐसा कह रहे थे. उन्हें तो मैंने मैनेज कर लिया, वहां मेरा थोड़ा फील्ड का एक्सपीरियंस काम आया. लेकिन उसके बाद, जो 100-150 लोग एक साथ बोलने लगे, तो सिचुएशन गड़बड़ हुई थी. और उस वक्त एक सिचुएशन ऐसी थी कि जब एक आदमी आया और उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला 'तुम्हारे मुंह में दही जमा है क्या तुम जय श्री राम क्यों नहीं बोल सकते.' यही वह पल था कि जब मुझे डिसाइड करना था कि मुझे यहां कंप्रोमाइज करना है या अपनी उस बात पर अड़े रहना है कि मैं एक पत्रकार होने के नाते मैं यहां नारे लगाने नहीं बल्कि इसे खबर करने आया हूं. और मैं चाहता हूं कि कोई किसी धर्म से हो अगर वह काम करने आया है तो उसे उसके काम से देखा जाए ना कि उससे नारे लगवाए जाएं. और मेरा यह था कि मैं एक पत्रकार हूं और मेरा काम लोगों को रिपोर्ट करना है. लेकिन जब जय श्री राम मुझसे जबरदस्ती बुलाया जाने लगा तो मैंने विरोध किया कि नहीं ये गलत है, मैं नहीं बोलूंगा क्योंकि अगर कोई प्रेम से कहें या आए मेरे पास तो वह कुछ भी बोलेगा मैं उसका समर्थन करता हूं. लेकिन अगर जोर देकर, मिलकर मुझसे कहे कि तुमको यह बोलना है तो फिर मैं वहां नहीं बोलूंगा.
अंत में अनमोल बताते हैं, "क्योंकि मुझे वहां चुनना था कि मुझे क्या करना है, और अपने चुनने के अधिकार को बचाने के लिए ही मैंने यह फैसला किया. तो चाहे यह लोग मुझे मार ले पीटने, मेरे शरीर पर कितने ही घाव आ जाएं, वह सब रिकवर हो जाएगा, लेकिन अगर आज मैंने समझौता कर लिया तो जो भाव मेरी आत्मा और मेरे जमीर पर लगेगा वह शायद कभी ना भर पाए. इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं शरीर पर घाव खा लूंगा लेकिन अपने जमीर पर घाव नहीं खाऊंगा.
अनमोल के चैनल 'नेशनल दस्तक' ने भी इस घटना का एक वीडियो डालते हुए टवीट किया, “तथाकथित नक़ली हिंदू संगठनों ने बहुजन पत्रकार @anmolpritamND को धमकाने की कोशिश की. इस घटना से यही प्रतीत होता है कि यह तथाकथित हिंदू संगठन दलित, ओबीसी समाज से आने वाले लोगों को हिंदू नही मानते हैं. नेशनल दस्तक टीम इस घटना की निंदा करती हैं.”
इसी वीडियो को अतर्राष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर विदाउट बॉर्डर ने भी रिटवीट करते हुए इस घटना की कड़ी आलोचना की थी.
[1/2] #Inde ???????? : @RSF_inter condamne les actes d'intimidation choquants qui ont récemment visé le reporter @anmolpritamND, de la chaîne télé en ligne @NationalDastak, alors qu'il couvrait un rassemblement d’extrémistes hindous à New Delhi.
— RSF (@RSF_inter) August 10, 2021
Voir la vidéo???? https://t.co/W2YJ65XMFJ
दरअसल बीते आठ अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ नामक संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रत्यक्ष तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया गया था. सोशल मीडिया पर वायरल कार्यक्रम के एक कथित वीडियो में मुस्लिमों की हत्या का आह्वान किया गया था. इस रैली का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के वकील और दिल्ली प्रदेश बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने किया था. अश्विनी उपाध्याय के आह्वान पर कई हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता और समर्थक जंतर मंतर पहुंचे थे. कार्यक्रम के आयोजकों की पांच मुख्य मांगें थी- समान शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, घुसपैठ नियंत्रण, धर्मान्तरण नियंत्रण और समान नागरिक संहिता. फिलहाल इस घटना में दिल्ली पुलिस ने एफ़आईआर भी दर्ज की है. और छह लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील और दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय भी हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय, विनोद शर्मा, दीपक सिंह, विनीत क्रांति, प्रीत सिंह और दीपक को भड़काऊ नारे लगाने के केस में गिरफ़्तार किया गया है. ध्यान रहे कि इससे पहले इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अज्ञात लोगों के ख़िलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसकी कड़ी आलोचना हुई थी. इस तरह के मामले जनता में बेवजह का आक्रोश पैदा करते हैं, साथ ही शांति भंग करते हैं.