एक्टिविस्ट, वकील, शिक्षाविद, पत्रकार सहित सैंकड़ो कार्यकर्ताओं ने हर्ष मंदर के घर पर ईडी के छापे की आलोचना की
मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के कार्यालय और आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों की तमाम एक्टिविस्ट, शिक्षाविदों और अधिवक्ताओं ने कड़ी निंदा की है.
मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के कार्यालय और आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों की तमाम एक्टिविस्ट, शिक्षाविदों और अधिवक्ताओं ने कड़ी निंदा की है. ईडी की कार्रवाई की निंदा करते हुए कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के एक समूह ने कहा कि सरकार के ‘हर आलोचक को धमकाने, डराने और चुप कराने की लगातार कोशिश का यह हिस्सा’ है. साथ ही छापों को मौजूदा सरकार की तरफ से सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग बताया.
पिछले दिनों ईडी ने मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर से जुड़े कई परिसरों- वसंत कुंज में उनके घर, अधचीनी में उनके कार्यालय और महरौली में एक बाल गृह- पर छापेमारी की थी. मंदर मोदी सरकार के क़ड़े आलोचक माने जाते हैं. उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं और सामाजिक कार्यों के अलावा वह सामाजिक न्याय और मानवाधिकार जैसे विषयों पर समाचार पत्रों में संपादकीय भी लिखते हैं. ये छापे उनके रॉबर्ट बॉश अकादमी में छह माह के फेलोशिप प्रोग्राम के लिए अपनी पत्नी के साथ जर्मनी रवाना होने के कुछ ही घंटों के बाद मारे गए थे. हर्ष मंदर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कलेक्टर भी रह चुके हैं.
One day after the International Day of Democracy, Modi Sarkar continues with its FDI obsession—Fear, Deception, Intimidation, by harassing a renowned activist and intellectual, Harsh Mander. And He gives lectures to others on inclusiveness and democracy!https://t.co/HRpwNeYcP9
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 16, 2021
600 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने एक संयुक्त बयान जारी करके कहा कि मंदर को कई सरकारी एजेंसियों की तरफ से लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है और ये छापे हर आलोचक को डराने-धमकाने और उसका मुंह बंद कराने के लिए मौजूदा सरकार की तरफ से सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग की ही अगली कड़ी हैं.
बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में योजना आयोग की पूर्व सदस्य डॉक्टर सईदा हमीद, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह, कविता कृष्णन, सिटिजन फ़ॉर जस्टिस एंड पीस की सचिव तीस्ता सीतलवाड़, इतिहासकार रोमिला थापर, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी जूलियो रिबेरो, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय और पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल राम दास आदि शामिल हैं.
संयुक्त बयान में मंदर के खिलाफ लगाए गए एनसीपीसीआर के आरोपों को भी झूठा और दुर्भावनापूर्ण बताया गया है. बयान में कहा गया है कि आरोपों का एक वैधानिक निकाय दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की तरफ से ही खुलकर प्रतिवाद किया गया, जिसने सीईएस के खिलाफ झूठे आरोपों को खारिज करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में एक मजबूत हलफनामा दायर किया है.
बयान में आगे कहा गया है कि हम हर्ष मंदर और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज से जुड़े हर व्यक्ति के साथ खड़े हैं. भारत के संविधान और देश के कानून का इस्तेमाल हमारे अधिकारों के हनन के लिए सरकारी संस्थाओं के दुरुपयोगी की कोशिश के बजाये डराने-धमकाने के इन प्रयासों को उजागर करने के लिए होना चाहिए, जिनके लिए वे बने हैं. और बदले की भावना से उठाए गए इन सभी कदमों से न तो मनी लॉन्ड्रिंग और न ही किसी तरह के कानून के उल्लंघन की बात सामने आई है.
दरअसल अक्टूबर 2020 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मंदर से जुड़े बालगृहों का निरीक्षण किया था, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और कहा कि बाल गृहों में बच्चों का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा है और उनके साथ क्रूरता हो रही है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के रजिस्ट्रार की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 83 (2) के तहत एक मामला दर्ज किया गया था.
ईडी का मामला दिल्ली पुलिस की तरफ से इसी साल फरवरी में दो बाल गृहों, दक्षिणी दिल्ली स्थित उम्मीद अमन घर और खुशी रेनबो होम और उनकी मूल संस्था सीईएस, जिसमें मंदर एक निदेशक हैं, के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की शिकायत पर दर्ज एफआईआर पर आधारित है.
संयुक्त बयान जारी करने वालों में शामिल योजना आयोग की पूर्व सदस्या डॉक्टर सईदा हमीद से एशियाविल ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि आप मेरा कोट उस बयान से ही ले लीजिए उसी में हमने सब बातें कह दी हैं. साथ ही उन्होंने बिजी बताकर फोन रख दिया.
वरिष्ठ वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने छापे को दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक करार देते हुए टविटर पर लिखा-
“दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक! हम जनहित कार्यकर्ताओं और संगठनों को टारगेट और अक्षम करने के लिए ईडी जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करने का एक व्यवस्थित प्रयास देख रहे हैं.”
Malafide & Outrageous! We are seeing a systematic attempt to abuse agencies like ED to target & disable public interest activists & organizations https://t.co/0rHow1yUMk
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) September 16, 2021
बता दे कि हर्ष मंदर 1980 में IAS अफसर बने थे इस दौरान उन्हें मध्यप्रदेश और फिर छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग मिली थी. उन्होंने 2002 में गुजरात दंगों के बाद अपने पद से इस्तीफा देकर एनजीओ में काम करना शुरू कर दिया. फिलहाल वे नई दिल्ली के सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के डायरेक्टर हैं.
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