ग्राउंड रिपोर्ट : अदालत की "राम भरोसे" वाली फटकार के बाद कैसे हैं यूपी के गांव के हालात
पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैलते संक्रमण को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की थी. एक याचिका की सुनवाई के दौरान योगी सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा था कि राज्य के गांवों और छोटे शहरों में चिकित्सा व्यवस्था "राम भरोसे" है. चिकित्सा व्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा था, "जहां तक चिकित्सा के बुनियादी ढांचे का सवाल है, इन कुछ महीनों में हमने महसूस किया है कि आज जिस तरह से यह स्थिति है वह बहुत नाजुक और कमजोर है."
अदालत ने कहा था कि सरकार ने बड़े शहरों पर ही ज्यादा फोकस किया. वहीं ग्रामीण इलाके, कस्बे और छोटे शहरों में पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए.
हाईकोर्ट ने सरकार को ग्रामीण आबादी की जांच बढ़ाने और उसमें सुधार लाने का निर्देश दिया और साथ ही पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को भी कहा.
The entire medical system of the State pertaining to the smaller cities and villages can only be taken to be like a famous Hindi saying ‘Ram Bharose’.
— Bar & Bench (@barandbench) May 17, 2021
- Allahabad High Court#COVID19 #UttarPradesh pic.twitter.com/57UAzEnajL
दरअसल बीते कुछ हफ्तों से उत्तर प्रदेश के गांवों में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. जिस कारण कोर्ट को ये कड़ी टिप्पणी करनी पड़ी. पिछले महीने हुए पंचायत चुनावों के बाद गांवों में स्थिति ओर ज्यादा बिगड़ती नजर आई. और इसके बाद संक्रमण ने विकराल रूप धर लिया. चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से लेकर ड्यूटी में लगे कर्मचारियों सहित बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई है. बहुत से गांवों में एक दिन में कई-कई मौतें भी हुईं.
स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और कोरोना जांच केंद्रों की गैरमौजूदगी से गांव वालों को कई बार कोरोना पॉजिटिव या निगेटिव होने के बारे में भी पता नहीं चल पाया. तो दूसरी ओर हालत ये थी कि कुछ लोगों की रिपोर्ट भी उनके मरने के बाद आई.

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के गांवों में भी हालात काफी खराब हैं यहां कुछ गांवों में पंचायत चुनावों के दौरान कुछ दिनों में ही कहीं 15 तो कहीं 20 से ज्यादा मौतें हुईं हैं. साथ ही गांवों में जांच की व्यवस्था न होने के कारण कुछ की मौत का कारण ही पता नहीं चल पाया तो कुछ की कोरोना रिपोर्ट मौत हो जाने के बाद आई.
ऐसे ही सिकंद्राबाद क्षेत्र के एक गांव इस्माइलपुर का मैंने दौरा किया, जहां पिछले कुछ दिनों में काफी मौत की खबरें आईं हैं. यहां पंचायत चुनाव भले ही संपन्न हो गए हों लेकिन गांव में घुसते ही चारों तरफ चुनावी पोस्टर अभी भी लगे नजर आते हैं. शायद ही कोई घर ऐसा होगा, जिस पर पोस्टर न चिपके हों.
लगभग 4000 की आबादी वाले इस गांव में पंचायत चुनाव के द्वारा 20 दिनों में 14-15 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें युवा और बुजुर्ग सभी लोग शामिल हैं. कल भी जब मैं इस गांव के लोगों से बात कर वापस आया तो पता चला कि एक ओर बुजुर्ग की मौत तभी हो गई है.
इससे पहले इस गांव के मनोज यादव कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं. 40 साल के मनोज यूपी पुलिस में थे और वर्तमान में उनकी ड्यूटी मेरठ में थी.
गांव में मेरी मुलाकात मनोज के भाई राजीव से हुई. राजीव ने बताया कि उनके भाई की तबीयत खराब चल रही थी और डयूटी के दौरान ही वो संक्रमित हो गए थे उन्हें मेरठ में अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन 7 तारीख को उनकी मौत हो गई. मनोज अपने पीछे एक 14 साल का लड़का और पत्नी छोड़ गए हैं.
गांव में कोरोना से बचाव संबंधित कार्यों की जानकारी के लिए मैं नवनियुक्त प्रधान निरंजन प्रसाद से मिला. जब मैं उनसे मिलने उनके घर पहुंचा तो वहां 3-4 लोगों के साथ गांव में मरने वाले लोगों की लिस्ट तैयार की जा रही थी.
प्रधान जी ने मुझे बताया कि पहले तो काफी मौतें हुई हैं लेकिन अभी हमने पूरे गांव में घर-घर में सैनिटाइजेशन करा दिया है तो उसके बाद मौतों में कमी आई है और आगे भी हम गांव में सैनिटाइजेशन कराएंगे.

प्रधान निरंजन ने आगे बताया कि कुछ दिन पहले स्वास्थ्य विभाग की टीम नोडल अधिकारी और प्रभारी ओमकार सिंह की अगुवाई में आकर गांव में कोरोना की जांच कर गई है. और जो लोग पॉजिटिव पाए गए हैं उन्हें घरों में क्वारंटीन कर दिया गया है. और उनके इलाकों को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है.
प्रधान के यहीं बैठे गांव के मुकेश यादव ने बताया कि अब गांवों में संक्रमण फैल चुका है और कहीं न कहीं राज्य सरकार इसकी जिम्मेदार है. क्योंकि उसने चुनाव होने दिए. अगर वह चाहती तो उन चुनावों को टाला जा सकता था या दूसरी वेव से पहले भी संपन्न कराया जा सकता था.
मुकेश यादव कहते हैं कि मैंने शिकायत की थी जिस पर स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां आकर जांच करके गई है.
इसी गांव की 40 साल की रजनी भी चुनावों के दौरान बीमार हुईं और इलाज के दौरान रजनी की मौत 2 मई को उसी दिन हुई जिस दिन गांव में चुनावों का रिजल्ट आया.
रजनी के पति गांव में परचून की दुकान चलाते है, इनका घर नवनियुक्त प्रधान के पास ही है. वह अपने पीछे दो लड़के और एक लड़की छोड़ गई है. उनके पुत्र बीएससी फाइनल ईयर के छात्र विकास गौतम ने मुझे बताया कि उनकी मम्मी को अचानक से बुखार आया और फिर लीवर में इंफेक्शन हो गया तीन-चार दिन इधर-उधर कई अस्पतालों के चक्कर काटे लेकिन आखिर मैं उन्हें बचाया नहीं जा सका. विकास ने बताया कि मरने के 2 दिन बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट आई थी, जो निगेटिव थी.
जब मैं प्रधान के यहां बैठा था तो एक आशा भी वहां आई थीं जो गांव में बीमार होने वाले लोगों की लिस्ट तैयार कर रही थीं. इसके बारे में पूछने पर प्रधान निरंजन ने बताया कि जो लोग खांसी- जुकाम या अन्य किसी रोग से पीड़ित हैं उनकी लिस्ट बनाई जा रही है इसके बाद इन्हें कुछ दवाइयां बांटी जाएंगी.
इस सबके बावजूद गांव में लोगों में कोरोना से बचाव संबंधी कोई खास जागरुकता नजर नहीं आई. जो लोग कोरोना से संक्रमित थे उनके इलाकों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया हुआ था और उनके घरों पर बोर्ड भी लगाया हुआ था लेकिन उन रास्तों पर किसी तरह की आने-जाने की कोई पाबंदी नहीं थी. लोग मास्क पहनने को लेकर भी खास जागरुक नहीं थे.
इलाके के नोडल अधिकारी ओमकार सिंह से भी हमने इस मामले में बात की. ओमकार सिंह ने हमें बताया कि हमारी टीम 18 मई को इस गांव में गई थी. जिसमें मेरे साथ विनोद कुमार, एलएनटी निशा कसाना, आशा कविता जी थे. 40 लोगों की टेस्टिंग हुई थी जिसमें पॉजिटिव चार थे. इसमें उन लोगों के टेस्ट कराए थे जिनमें कुछ कोरोना के लक्षण नजर आ रहे थे या जो आकर कह रहा था कि हमारे गले में दिक्कत है. और इस दौरान 54 लोगों को किट वितरित की गई थीं, जिनमें दवाइयां वगैरह आती हैं.
ओमकार सिंह ने आगे बताया कि इसके अलावा हमने प्रधान से कहा था कि जो 45 साल से ऊपर के लोग सिकंदराबाद जाकर कोरोना का टीका लगवा लें और अगर वे वहां नहीं जा सकते तो हमें बता दें हम यहीं टीम भेज कर लगवा देंगे.
लेकिन वहां तो इससे पहले 14-15 मौतें हो चुकी थी इस सवाल पर ओमकार सिंह कहते हैं, “हां उसके बाद मैंने डॉक्टर साहब से बोला और अगले दिन हम ने वहां जांच करा दी. बाकी अब 10 दिन बाद फिर वहां की सिचुएशन जो होगी उसी तरीके से आगे काम करेंगे. एक सैनिटेशन हो चुका है और दूसरा जो होगा वह भी बारिश की वजह से रुक गया है दो-तीन दिन से बारिश हो रही है वर्ना उसे भी करा देते बाकी पंचायत सचिव ने सैनिटाइजर और मास्क कुछ लोगों को वितरण करा दिया है. बाकी अभी कंट्रोल हो रहा है फिलहाल जो लोग हमारी किट से दवाई खा रहे हैं उन्हें भी काफी फायदा लग रहा है. इसके अलावा हम अन्य गांवों में भी लगातार जाकर लोगों की जांच कर रहे हैं.”