लखनऊ में कोविड पीडितों और जरूरतमंदों के हाथ थामता ‘हेल्पिंग हैंड’ ग्रुप
कोरोना वायरस की दहशत ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. संक्रमित मरीजों की संख्या भले ही पिछले कुछ दिनों में कम हुई हो लेकिन मौतों की संख्या में कोई कमी नहीं आ पा रही है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का हाल भी ऐसा ही है है. यहां कोरोना वायरस ने खूब तबाही मचाई .उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के कारण राजधानी लखनऊ सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है. पिछले दो महीने में यहां तेजी से मौतों का आंकड़ा बढ़ा है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लखनऊ में एक मार्च से 17 मई तक 1042 लोगों की कोरोना से जान गई. लखनऊ में अकेले मई में अब तक 500 से ज्यादा लोगों की वायरस जान ले चुका है. इससे कोरोना की भायवहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. कोरोना की ये तबाही कब थमेगी अभी इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. हालात इतने खराब थे की यूपी में कई विधायक की जान कोरोना वायरस सो जा चुकी है. कोरोना की दूसरी वेब ने कहीं- तो पूरे पूरे घर को चपेट में ले लिया था. जिस कारण यहां के आमजन को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. बहुत से लोगों ने अपने करीबियों रिश्तेदारों को खोया.

लेकिन इस बेहद मुश्किल वक्त और परेशानियों के बीच बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो इंसानियत का फ़र्ज़ बखूबी निभा रहे हैं. और जितना हो सके लोगों की परेशानियों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं लखनऊ के इमरान चौधरी. इमरान अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर पूरे लखनऊ में कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों के परिवारों को निशुल्क खाने-पीने के पैकेट से लेकर दवाइयां और ऑक्सीजन मुहैया करा रहे हैं इसके लिए उन्होंने “हेल्पिंग हैंड” नाम से एक ग्रुप भी बनाया हुआ है. साथ ही जो मजदूर तबके के लोग हैं और इस लॉकडाउन की वजह से परेशानी में है उन्हें भी खाने पीने की चीजें मुहैया कराई जा रही हैं.

हमने इमरान चौधरी से इस बारे में बात की कि वे कैसे, क्यूं और कब से यह काम कर रहे हैं. इमरान चौधरी एशियाविल से बातचीत में कहते हैं, “जब पिछली बार लॉकडाउन हुआ था तब भी हमने जो मजदूर पैदल जा रहे थे उनमें खाने-पीने का सामान बांटा था. इस बार भी हमने ये शुरू किया था हालांकि मुझे खुद कोविड हो गया था तो चीजें रुक गई और थोड़ा लेट हो गया लेकिन हमने फिर शुरू कर दिया है. पहले इसकी शुरुआत हमने लोगों को ऑक्सीजन देने से की थी. लेकिन फिर यह खाने की थाली अभी हमने कोरोना से पीड़ित लोगों के परिवारों को देनी शुरू की. क्योंकि हर कोई ऐसा नहीं है जो बाहर से खाना मंगा सके तो ऐसे लोगों को हम आईडेंटिफाई करते हैं, इसमें हम यह करते हैं कि उनकी कोरोना रिपोर्ट ले लेते हैं या फिर कोई जेनुअन रेफरेंस हो क्योंकि बहुत से लोगों के पास कोरोना रिपोर्ट भी नहीं है तो ऐसे लोगों का रिफरेंस पता करके कि यह वाकई जरूरतमंद है उनके घर यह खाने की थालियां भिजवा देते हैं. और यह सब पूरी तरह फ्री ऑफ कॉस्ट है. इसके लिए हम अच्छे से रेस्टोरेंट्स से खाना ऑर्डर करते हैं. इसके अलावा जो दवाइयां नहीं खरीद सकते उनको दवाइयां और जिसे ऑक्सीजन की जरूरत हो उसको ऑक्सीजन पहुंचाते हैं.”

इसके अलावा मृत लोगों के शवों को श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए भी एक वेलफेयर सोसाइटी के साथ मिलकर एंबुलेंस की व्यवस्था की क्योंकि उसमें भी काफी खर्च आ रहा था.
इमरान चौधरी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के रहने वाले हैं और लखनऊ में पिछले 12 साल से रहते हैं और कंस्ट्रक्शन का बिजनेस करते हैं.
इमरान आगे बताते हैं, “अभी हमने एक वैन भी ले ली है जिससे हम जो डेड बॉडीज हैं उनको श्मशान घाट पहुंचाते हैं क्योंकि आपने देखा था कि पहले एंबुलेंस वालों ने खुली लूट मचाई हुई थी, हालांकि अब तो हालात ठीक हो रहे हैं तो बहुत से लोग उसे वहन नहीं कर पा रहे थे क्योंकि उसमें अच्छा खासा खर्च लग रहा था. तो इसका जिम्मा भी हम लोगों ने उठा रखा था.यह काम हम इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी के साथ मिलकर कर रहे हैं. अभी हमारे ग्रुप में लगभग 15 लोग हैं.”

इसके शुरुआत बारे में इमरान बताते हैं, “ये कोई अकेले का काम नहीं है बहुत से लोगों ने मेरा साथ दिया है. हम कुछ दोस्त आपस में मिले और “हेल्पिंग हैंड” के नाम से एक ग्रुप शुरू किया. पहले हमने इसे अप्रैल में शुरू किया था लेकिन फिर मुझे और वाइफ को कोविड-19 हो गया तो इस वजह से बीच में रुक गया. अभी हमने फिर 7 मई से दोबारा शुरू किया है. उसमें हम हर महीने थोड़ा बहुत जिसकी जो भी जेब इजाजत दे कंट्रीबयूट किया करते थे उसी पर यह बस चल गया बाकी लोग इधर-उधर से डोनेशन भेजते हैं उससे हो रहा है. हम मेन काम इंदिरा नगर में सेंटर से करते है बाकी पूरे लखनऊ में जहां भी जिस चीज की जरूरत है हम भेजते हैं. इसके अलावा हम पहले भी ब्लड डोनेशन कैंप लगाते रहते हैं.”

अंत में इमरान कहते हैं, “बाकी अभी रास्ते में जाने वाले जो रोज के मजदूर हैं उनके लिए डेढ़ हजार पैकेट भेज रहे हैं. कुछ पैकेट कोविड पीड़ित परिवार के लिए भी जा रहे हैं. और दवाइयों के डिलीवरी, ऑक्सीजन किसी भी टाइम किसी को भी जरूरत हो वह हम पहुंचा रहे हैं. बस यही कोशिश है कि अगर हम किसी के कुछ काम आ सकते हैं तो जरूर आएं”