देश में गरीबी के टॉप पांच राज्यों में चार बीजेपी शासित
नीति आयोग ने देश का बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट जारी किया है, जिसमें बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे गरीब राज्यों के रूप में सामने आए हैं.
सूचकांक के मुताबिक, बिहार की 51.91 फीसदी जनसंख्या गरीब है. हैरानी की बात ये है कि आयोग द्वारा जारी आंकड़े में गरीबी के मामले में जो पांच राज्य टॉप पर हैं, उनमें से चार बीजेपी शासित राज्य हैं. जिनमें कहीं बीजेपी की अकेली पूर्ण बहुमत की सरकार है तो कहीं डेढ़ दशक पुरानी गठबंधन की सरकार है. गरीबों की आबादी के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे टॉप पर है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा विकसित विश्व स्तर पर स्वीकृत और मजबूत पद्धति का इस्तेमाल कर तैयार किया जाता है. इसके एमपीआई में तीन समान आयामों- स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मूल्यांकन किया जाता है.
गरीबी पर 2011-12 तेंदुलकर कमेटी के आधार पर सरकारी रिपोर्ट आई।तब उत्तर प्रदेश में 29.4% गरीब थे।अब नीति आयोग की सरकारी रिपोर्ट कहती है अब 37.79% गरीब हैं।
— Abhinav Pandey (@Abhinav_Pan) November 27, 2021
शब्दों की जरूरत नहीं,आंकड़े खुद कह रहे हैं...यूपी में गरीबी बढ़ी है,परसेंट को संख्या में बदल दें तो यूपी गरीबी में नं.1 है।
नीति आयोग द्वारा जारी सूचकांक के अनुसार, बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है. यहां नीतीश कुमार की अगुवाई में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की डेढ़ दशक पुरानी सरकार है, जबकि कांग्रेस शासित झारखंड में 42.16 प्रतिशत आबादी गरीब है. यहा भी दिसंबर 2019 से पहले बीजेपी की सरकार थी. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत आबादी गरीबी में रह रही है. वहीं, झारखंड में 42.16 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 37.79 फीसदी आबादी गरीब है. सूचकांक में मध्य प्रदेश (36.65 फीसदी) चौथे स्थान पर है, जबकि मेघालय (32.67 प्रतिशत) पांचवें स्थान पर है.
सबसे कम गरीब राज्यों में एलडीएफ शासित केरल है, यहां गरीबी दर (0.71 प्रतिशत) है जबकि गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत) और पंजाब (5.59 प्रतिशत) पूरे देश में सबसे कम गरीब लोग वाले राज्य हैं और इस सूचकांक में सबसे नीचे हैं.
As per @NITIAayog's Multi Dimensional Poverty Index, Kerala has the lowest percentage of population who are poor, 0.71%. https://t.co/bgyWNT9hBb
— Kerala Government | കേരള സർക്കാർ (@iprdkerala) November 26, 2021
नीति आयोग की इस रिपोर्ट पर दिल्ली यूनिवर्सिटी की रिटायर्ड शिक्षिका डॉ. मधू प्रसाद एशियाविल से कहती हैं. "इन तीन राज्यों में ही नहीं सभी जगह गरीबी बढ़ रही है. और सरकार प्रोपगैंडा में ज्यादा समय ओर एनर्जी खर्च कर रही है. ओर मीडिया इनके साथ है. देश की आर्थिक हालत पूरी तरह कॉलेप्स कर गई है. लोगों की हालत खराब हो रही है, वह दिख रहा है. यह सिर्फ महामारी (कोविड) की वजह से नहीं है उसने तो बस इसे बढ़ा दिया है. इतने बुरे हालात तो मुझे लगता है कि पूरे 70 साल में भी नहीं हुए. इन्होंने तो अपनी एक बात बनाई हुई है कि हम ये भी कर रहे हैं, वो भी कर रहे है, आधा झूठ-आधा सच, धार्मिक पोलाराइजेशन वगैरह. और इसमें नीति आयोग का भी हाथ है क्योंकि सारी नीतियां कैपिटलिज्म के एक ग्रुप को बढ़ावा दे रही हैं और देश के लोग गरीब होते जा रहे हैं. देश में हर साल अमीरों की संख्या बढ़ रही है जबकि दूसरी ओर रोजगार घट रहे हैं, गरीबी बढ़ रही है, स्वास्थ्य सेवाएं खत्म हैं, शिक्षा व्यवस्था कोलेप्स हो चुकी है."
