उत्तर प्रदेश के पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर 50 घंटे से हाउस अरेस्ट,डीजीपी के नाम लिखी नई चिट्ठी
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने शनिवार को अपनी जान को खतरा होने का उल्लेख करते हुए दावा किया कि उन्हें पुलिस ने गोरखपुर जाने से रोका है.
अमिताभ ठाकुर को शनिवार सुबह गोमतीनगर पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया था. अमिताभ ठाकुर चुनाव के लिए जनसंपर्क करने गोरखपुर जा रहे थे. तभी उन्हें कानून-व्यवस्था का हवाला देकर पुलिस ने रोक लिया था. एसीपी गोमतीनगर श्वेता श्रीवास्तव का कहना है कि दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह करने वाली रेप पीड़िता और उसके साथी ने अमिताभ ठाकुर पर गंभीर आरोप लगाए थे. कहा था कि वह रेप के आरोपी बसपा सांसद अतुल राय की मदद कर रहे हैं. रेप पीड़िता और आरोपी बसपा सांसद अतुल राय भी गोरखपुर के नजदीक के ही रहने वाले हैं, इस वजह से अमिताभ ठाकुर को गोरखपुर जाने से रोका गया है उन्हे गिरफ्तार नहीं किया गया है.वहीं, सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह का प्रयास करने वाली लड़की के आरोपों की जांच कर रही टीम आज अमिताभ ठाकुर से पूछताछ करने वाली थी. लेकिन अब उन्हें मंगलवार को तलब किया गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकेअमिताभ ठाकुर पिछले 50 घंटे से हाउस अरेस्ट हैं. उनके घर के सामने पुलिस का पहरा है.अमिताभ ठाकुर का कहना है कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की हत्या है. पुलिस जिन आरोपों का हवाला देकर उन्हें हाउस अरेस्ट में रखे हुए है, इस तरह नजरबंद करके रखना सरकार की तानाशाही का उदाहरण है.
Day 3 - हाउस अरेस्ट जारी @Uppolice @UPGovt pic.twitter.com/WyXoh5CXGj
— AmitabhThakur (@Amitabhthakur) August 23, 2021
ठाकुर ने सोमवार को एक और लेटर डीजीपी के नाम जारी किया है. जिसमें उन्होंने कहा किवे 28 अगस्त को अयोध्या और 29 अगस्त को गोरखपुर में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे और उसी दिन लौट आएंगे. अयोध्या में हनुमानगढ़ी और रामलला दर्शन का कार्यक्रम है. इसके अलावा कार्यकर्ता सम्मेलन भी है. जबकि गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर दर्शन और कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होंगे. पिछली बार जानबूझकर एक बहानेबाजी के आधार पर दौरे को रद्द करवा दिया था. इस बार पहले से सूचना दे रहा हूं.
सभी साथियों को कृ सूचनार्थ- 28 को अयोध्या, 29 को गोरखपुर @Uppolice @UPGovt @adgzonelucknow @igrangeayodhya @dmayodhya @adgzoneGKr @diggorakhpur @gorakhpurpolice @Dm_Gorakhpur को कृ आवश्यक पुलिस प्रबंध हेतु pic.twitter.com/g3fIp9hX2z
— AmitabhThakur (@Amitabhthakur) August 23, 2021
इससे पूर्व ठाकुर के परिवार ने घोषणा की थी कि वह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने इसे सिद्धातों की लड़ाई करार दिया था. उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री पद संभालने से पहले योगी संसद में गोरखपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते थे.
अमिताभ ठाकुर ने शनिवार को जारी एक वीडियो बयान में कहा था, "सुबह, जब मैं अपने एक दोस्त के साथ गोरखपुर के लिए रवाना होने वाला था, तभी पुलिस क्षेत्राधिकारी (गोमतीनगर) के साथ पुलिस का एक दल मेरे आवास पर पहुंचा, और कहा कि आप गोरखपुर नहीं जा सकते. जब मैंने उनसे इसका कारण पूछा तो मुझे बताया गया कि मेरी जान को खतरा है."
ठाकुर ने कहा, ‘‘इस तरह तो (उप्र के मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ को भी कहीं नहीं जाना चाहिए, क्योंकि उनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें आईएसआई और कई अन्य लोगों से जान का खतरा है. लेकिन वह सुरक्षा व्यवस्था के साथ जाते हैं. मुझे भी सुरक्षा दी जानी चाहिये और किसी धमकी के नाम पर मुझे कहीं जाने से नहीं रोका जाना चाहिए. बताया गया कि मुझे एक विशेष समुदाय की महिलाओं के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है.इससे पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ मेरे जैसे छोटे व्यक्ति से डरते हैं.’’
गोरखपुर तथा अयोध्या यात्रा को पुलिस द्वारा निरस्त किये जाने के पूरे घटनाक्रम पर मेरा वक्तव्य pic.twitter.com/V7uJ4OxBZf
— AmitabhThakur (@Amitabhthakur) August 21, 2021
अमिताभ ठाकुर के परिवार ने 14 अगस्त को कहा था कि वह योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आगामी राज्य विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. यहां जारी एक बयान में ठाकुर की पत्नी नूतन ने कहा था कि यह सिद्धातों की लड़ाई है.आदित्यनाथ ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में तमाम अलोकतांत्रिक, अराजक, दमनकारी, उत्पीड़नात्मक तथा विभेदकारी कार्य किये, वे इनके विरोध में आदित्यनाथ जहां से भी चुनाव लड़ेंगे, वहां से वह अवश्य ही चुनाव लड़ेंगे.
एशियाविल ने आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी डॉ नूतन ठाकुर से इस मामले पर बातचीत की.
डॉ. नूतन ने फोन पर मुझे बताया, “बिना कोईकारण बताए, पिछले 2 दिन से हमारे घर के बाहर लगातार पुलिस का पहरा है और हमें निकलने नहीं दे रही है. दरअसल कुछ दिन पहले इन्होंने एक घोषणा की थी कि ये गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे तो उसी क्रम में गोरखपुर और अयोध्या जाना था. तो पहले तो कहा कि नहीं जाना है. इन्होंने कहा ठीक है, अगर आदेश है तो हम नहीं जाएंगे. लेकिन उसके बाद बिना किसी डॉक्यूमेंटेशन हमारे घर के बाहर पुलिस लगी हुई है.जब हमने पूछा कि क्याबात है, तो इनका कहना कि हमें आदेश है कि इन्हें (हमें)बाहर नहीं निकलने देना है. और जो इनपुट दिया गया उसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के बाहर जो एक लड़क-लड़की ने आत्मदाह का प्रयास किया था. उसमें उसने आपका भी नाम लिया है, तो उसे लेकर कुछ वर्ग विशेष में और महिलाओं में आक्रोश है.इस पर हमने कहा कि अगर हमेंथ्रेट है तो हमें यहां सुरक्षा प्रदान करें, यह तो है नहीं कि आप हमारा घर से निकलना ही बंद कर दें. यहां तो सभी मंत्री के थ्रेट मिलता है. वह तो खूब बड़ी-बड़ी रैलीकरते हैं. बाकी उन्हें हमको रोकना था, तो यह रीजन बता कर रोक दिया.”

तो अभी आप आपका आगे क्या इरादा है. इस सवाल के जवाब में डॉ नूतन ठाकुर कहती हैं, “इरादा क्या अभी तो कोर्ट भी बंद है, बाकी अभी हम इस मामले को नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन प्रोफाइल करेंगे और जो अपने लीगल राइट होंगे उन्हें मागेंगे.”

सुप्रीम कोर्ट में आत्मदाह करने वाले लड़की के अमिताभ ठाकुर पर लगे आरोपों पर डॉक्टर नूतम कहती है, “क्योंकि यह पॉलिटिकल मामला है, आरोप लगाने को तो कोई कुछ भी आरोप लगा सकता है. यह मामला पहले ही कोर्ट में चल रहा है. अगर कोई आदमी किसी की लीगल तरीके से हेल्प कर रहा है तो वह उसके लिए जिम्मेदार तो नहीं हो सकता. इससे पहले उस लड़के ने एक वीडियो में कहा था कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह आत्मदाह कर लेंगे. तो इन्होंने वह वीडियो संबंधित अधिकारियों को भेजा था कि इस पर संज्ञान ले कहीं यह कोई कदम न उठा ले. उसके बाद कुछ और डॉक्यूमेंट भी सामने आए थे इसमें कुछ और बातें निकल के सामने आ रही थी.वह डॉक्यूमेंट भी उन्होंने अधिकारियों को भेजे थे कि उनकी जांच करें, और सही एक्शन ले.”

गौरतलब है कि ठाकुर को गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुपालन में गत 23 मार्च को अनिवार्य सेवानिवृति दी गयी थी.केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक आदेश में कहा गया था कि ठाकुर को "उनकी सेवा के शेष कार्यकाल के लिए बनाए रखने के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया.’’ इससे पहले वर्ष 2017 में ठाकुर ने केंद्र से आग्रह किया था कि उनका कैडर राज्य बदल दिया जाए. ठाकुर को 13 जुलाई 2015 को निलंबित कर दिया गया था. इससे कुछ दिन पहले उन्होंने समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पर धमकी देने का आरोप लगाया था. उनके खिलाफ विजिलेंस जांच भी शुरू की गई थी.हालांकि, केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण की लखनऊ पीठ ने अप्रैल 2016 में उनके निलंबन पर रोक लगा दी और 11 अक्टूबर 2015 से पूरे वेतन के साथ उनकी बहाली का आदेश दिया था.