क्रेडिट सुइस्से द्वारा प्रकाशित ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2021 के अनुसार, वर्ष 2020 में कोविड महामारी के दौरान दुनिया में आर्थिक असमानता बढ़ गई है.
एक तरफ जहां मध्यम वर्ग पूरी दुनिया में गरीबी, भूखमरी और बेरोजगारी से जूझ रहा है, वहीं दुनिया में दस लाख डॉलर या इससे अधिक सम्पत्ति वाले लोगों की संख्या इतिहास में पहली बार पूरी वयस्क आबादी का 1 प्रतिशत से भी अधिक तक पहुंच गयी है. पिछले वर्ष दस लाख डॉलर या इससे अधिक संपत्ति वाले लोगों की संख्या में 52 लाख नए लोग जुड़े और अब यह संख्या 5.61 करोड़ तक पहुंच गयी है. यानि दुनियाभर में कोविड ने आर्थिक असमानता को ऐतिहासिक स्तर तक पहुंच दिया है. एक तथ्य यह भी है कि महामारी में जहां एक तरफ लोगों की कमर टूट गई, करोड़ों बेरोजगार हुए वहीं अमीर आबादी में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है.
लेकिन महामारी के बावजूद अमीरों की संपत्ति पर कोई असर नहीं पड़ा है. भारत समेत अमेरिका, चीन और ब्राजील के सबसे अमीर लोगों की संपत्ति में इस दौरान इजाफा देखने को मिला है. दुनिया के सबसे गरीब लोगों के पास, जिनकी संख्या कुल आबादी का 55 प्रतिशत है, कुल संपत्ति महज 1.3 प्रतिशत है. जबकि शेष 45 प्रतिशत आबादी, जिसमें मध्यम वर्ग, अमीर और अरबपति शामिल हैं के पास दुनिया की कुल संपत्ति में से 98.7 प्रतिशत पर मालिकाना हक़ है.
भारत के भी हालात कुछ जुदा नहीं हैं. सदी की सबसे भयावह महामारी में जहां लोगों की कमर टूट गई, करोड़ों बेरोजगार हुए. वहीं भारत के सर्वाधिक अमीर लोगों की दौलत में 45 फीसदी इजाफा हुआ जो चीन, अमेरिका और ब्रिटेन से भी ज्यादा है. देश में 4,320 अल्ट्रा हाई नेटवर्थ वाले यानी अमीरों में अमीर लोग हैं. इनमें से प्रत्येक की नेटवर्थ 3 अरब 70 करोड़ रुपये से ज्यादा है. फोर्ब्स ने साल 2021 के लिए भारत के 10 सबसे अमीर अरबपतियों की सूची जारी की है. फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तीन सबसे अमीर भारतीयों की संपत्ति में आश्चर्यजनक रूप से कुल मिलाकर 100 अरब डॉलर से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. मुकेश अंबानी ने एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति का स्थान दोबारा हासिल किया है. जबकि गौतम अडाणी सूची में दूसरे स्थान पर हैं. अडाणी की नेट वर्थ 50.5 अरब डॉलर है. कोरोना के बावजूद 2020 से उनकी संपत्ति पांच गुना बढ़ी है. सूची में तीसरे स्थान पर शिव नाडर हैं, जिनकी नेटवर्थ 23.5 अरब डॉलर है.
सदी की सबसे भयावह महामारी में जहां लोगों की कमर टूट गई,करोड़ों बेरोजगार हुए…वहीं भारत के सर्वाधिक अमीर लोगों की दौलत में 45 फीसदी इजाफा हुआ जो चीन, अमेरिका और ब्रिटेन से भी ज्यादा है।
— Deepak Sharma (@DeepakSEditor) June 23, 2021
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा अच्छे दिन साहेब के सबसे करीबी दौलतमंदों के आये।अब आंकड़े ????गवाह है। pic.twitter.com/BN2t8IkzSQ
इस रिपोर्ट से ये तो बिलकुल स्पष्ट है कि कोरोना से एक तरफ जहां, भारत का मध्यम वर्ग आर्थिक तौर पर टूट चुका है, और अपना गुजारा अपनी वर्षों की बचत से करने को मजबूर है. तो वहीं दूसरी तरफ इस स्थिति में भी देश का उच्च वर्ग और अरबपतियों की खूब बल्ले-बल्ले हो रही है.
देश में बढ़ रही इस आर्थिक असमानता पर एशियाविल ने मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. अरुण कुमार बातचीत की.
अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने फोन पर मुझे बताया, “इसका एक कारण तो यह है कि
स्टॉक मार्किट रिकॉर्ड हाई पहुंच गया है, जहां अमीरों का निवेश होता है. इसलिए इनकी संपत्ति बहुत तेजी से बढ़ गई. इसके अलावा कुछ सेक्टर जैसे- ई-कॉमर्स, टेलीकॉम आदि ये आवश्यक वस्तुएं हैं जो अच्छा करते ही करते हैं. इसके अलावा विदेश से भी स्टॉक मार्किट में बहुत पैसा आया है. तो दूसरी तरफ मिडिल क्लास के साथ क्या हुआ कि बीमारी में काफी पैसा खर्च हो गया, बहुत लोगों की नौकरी चली गई या तनख्वाह कट गई. तो यहां आमदनी और काम की गिरावट हो गई, जिस कारण यहां मुश्किल आ गई.
क्या इसके लिए सरकारी पॉलिसियां भी जिम्मेदार हैं! इस सवाल के जवाब में डॉ. अरुण कहते हैं, “सरकार की पॉलिसी तो बिजनेस के अनुकूल रही हैं, उन्हें इन्सेंटिव देने की बात हो रही है. और जिन लोगों पर संकट आया, सरकार को जैसा उन्हें सपोर्ट करना चाहिए था, वैसे सरकार ने मदद नहीं की. जो सपोर्ट किया वह पर्याप्त नहीं है. और पेट्रोलियम के दाम बढ़ा दिए तो उनकी आमदनी ओर कम हो जाएगी. तो बिजनेस वाले को सपोर्ट है जबकि गरीब आदमी को जिस तरह से सपोर्ट मिलना चाहिए उसे ऐसा नहीं मिला.”
भविष्य में इसका भारत में क्या फर्क पड़ सकता है, इस पर डॉ. अरुण कहते हैं, “पहले ही नोटबंदी, जीएसटी के बाद से असमानता बढ़ रही थी, सरकार बिजनेस के अनुकूल पॉलिसी पर चल रही थी, जैसे 2019 में कॉरपोरेट टैक्स काट दिया था. तो इससे ग्रोथ नहीं बढ़ता क्योंकि जब लोगों के पास खरीदने की शक्ति नहीं होगी तो खपत कम होगी. इससे हमारी रिकवरी भी ठीक से नहीं हो पाएगी. तो अगर ये गैरबराबरी इसी तरह से बढ़ती रही तो अर्थव्यवस्था उभर नहीं पाएगी.”
क्रेडिट सुइस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में भारत की टोटल वेल्थ में 4.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि कोरोना महामारी के बावजूद इस दौरान अमीरों की संपत्ति पर कोई असर नहीं पड़ा है.
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