फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट : 9 महीने में ईसाई समुदाय पर हुए 300 से अधिक हमले
सरकार भले ही समाज के हर वर्ग को सुरक्षा और साफ वातावरण देने की बात करती हो लेकिन देश में हर रोज अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की खबरें आती रहती हैं.
पिछले कुछ दिनों में ईसाई समुदाय और उनके धार्मिक स्थलों पर हो रहे लगातार हमलों को लेकर एपीसीआर यानि एसोसिएशन फॉर प्रॉटक्शन ऑफ सिविल राइटस व अन्य मानवाधिकार संगठनों ने नई दिल्ली के प्रेस क्लब में फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की. जिसमें ईसाई समुदाय पर देशभर में हो रहे हमलों की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है. रिपोर्ट बताती है कि इस समुदाय पर हमलों में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है. जिस पर यहां चिंता जताई गई. रिपोर्ट जारी करने वालों में यूनाइटेड क्रिश्चियन फॉर्म के नेशनल प्रेसिडेंट डॉक्टर माइकल विलियम्स, यूनाइटेड अगेंस्ट हेंट के नदीम खान सीनियर जर्नलिस्ट प्रशांत टंडन, यूनिटी इन कंप्रेशन की जनरल सेक्रेटरी मीनाक्षी सिंह तथा अन्य लोग शामिल थे.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 9 महीनों में ईसाई समुदाय को निशाना बनाते हुए 300 से ज्यादा हमले हुए हैं. जिससे ईसाई समुदाय भयभीत है. पिछले दिनों भी उत्तराखंड के रुड़की में भी चर्च में प्रार्थना कर रहे लोगों पर कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से हमला बोल दिया. हमले की सूचना मिलते ही भारी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक हमलावर भाग निकले थे. आरोप है कि मारपीट के दौरान चर्च में तोड़फोड़ और लूटपाट भी की गई. हमलावरों ने कुर्सी, खिड़की, बाइक और फर्नीचर में तोड़फोड़ कर दी. साथ ही सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए और डीबीआर चोरी कर ले गए. बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों से भी मारपीट की गई. आरोप है कि हमलावरों ने महिलाओं से पर्स, मोबाइल और अन्य सामान लूट लिया. मारपीट के बाद घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन अभी तक उनकी भी गिरफ्तारी नहीं की गई है. प्रेस कॉन्फेंस में रुड़की हमले की पीड़िताओं ने भी हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि इन घटनाओं पर प्रशासन का रवैया और कार्यवाही बिल्कुल लचर रही. इन हमलों का आरोप बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद के लोगों पर आरोप व अन्य संघटनों के लोगों पर लगा है.
एशियाविल ने चर्च पर हुए हमले के कुछ चश्मदीदों से बातचीत की.
3 अक्टूबर को रुड़की चर्च पर हुए हमले में पर्ल भी प्रत्यक्षदर्शी थे जो वहां मौजूद थे. पर्ल से मेरी मुलाकात दिल्ली के प्रेस क्लब में हुई. पर्ल ने उस दिन की घटना के बारे में विस्तार से बताया.

पर्ल बताती हैं, “हम चर्च में 12 लोग थे जिन पर दो से ढाई सौ लोगों ने अचानक से हमला कर दिया. और वह सिर्फ भीड़ नहीं थी बल्कि उसमें पढ़े लिखे लोग भी थे. आदमियों ने औरतों को भी मारा. मेरे को पकड़ा फोन छीना पर्स छीना. वे जय श्रीराम के नारे भी लगा रहे थे. उन्होंने आते ही हमारे फोन छीने, पैसे छीने औऱ हमारे ऊपर हमला कर दिया. एक लड़के रजत को इतना मारा गया है कि वह जिंदगी और मौत के बीच में झूल रहा है. उसका सिर फोड़ दिया एक रास्ते चलती आंटी ने उसे बचाया. हमने प्रार्थना शुरू ही की थी, मैं थोड़ा लेट पहुंची. और कुछ कॉलोनी की महिला जिन्हें मैं जानती हूं और वे एजुकेटिड हैं वे दीदी को मार रही थीं, जब मैंने बचाने की कोशिश की तो दो आदमियों ने मुझे पीछे से पकड़ा और एक लड़के ने मेरी चेस्ट पर मारा फिर फोन छानकर वे भाग गए.”
पर्ल आगे बताती हैं, “उनका आरोप था कि हम धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. मुझे नहीं पता कि यह धर्म परिवर्तन का लॉजिक कहां से आया. हम एक मिडिल क्लास फैमिली से हैं. ना ही हम किसी का माइंड पर मैनिपुलेट करने की पावर रखते हैं. और ऐसा कोई प्रूफ भी नहीं है हमारे सबके बैंक अकाउंट ओपन है. एक औरत है राखी प्रधान वह कहती है कि मैं हिंदुत्व के लिए तुझे मार भी डालूंगी. हम 1988 से उसका लोनी में रह रहे हैं. रिसर्च बिल्डिंग है वह ऑर्गेनाइजेशन की. पहले हम वहां क्वार्टर में रहते थे लेकिन फिर हमने वहां अपना घर बना लिया. हमने अपनी एजुकेशन वगैरा भी वही की है और पहले ऐसा कुछ नहीं था. मेरे भी खुद हिंदू मुस्लिम फ्रेंडस. उनसे मुझे कोई प्रॉब्लम आज तक नहीं हुआ.”
इस केस में पुलिस पर भी सवाल खड़े होते हैं. पर्ल बताती हैं, “पुलिस को सूचना दी गई थी एफआईआर दर्ज करा दी गई है. वहां के किसी भी वकील ने यह कहकर कि यह धार्मिक केस है, हमारा केस नहीं लिया,. 3 दिन बाद वापस हम पर ही काउंटर एफआईआर दर्ज कर दी गई. अभी तक पुलिस की तरफ से कोई एक्शन नहीं हुआ है ना ही अभी तक कोई अरेस्ट हुआ.”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल यूनिटी इन कंप्रेशन की जनरल सेक्रेटरी मीनाक्षी सिंह ने मुझे बताया कि पिछले कुछ सालों में माइनॉरिटी को जिस तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा है वह सबके सामने है. मुस्लिम के साथ-साथ ईसाइयों पर भी बहुत ज्यादा हमले बढ़ रहे हैं. ये ईसाईयों पर इल्जाम लगाते हैं कि हम धर्म परिवर्तन कराते हैं जबकि अगर आप देखें तो पूरे भारतवर्ष में ईसाई समाज के स्कूल, कॉलेज और अस्पताल हैं, जिसमें सब लोग पढ़ते हैं. और यह अत्याचार इस वजह से बढ़ रहा है कि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. जब सरकार शुरू में आई थी और यह घटनाएं बढ़ रही थी अगर सरकार शुरू में ही ध्यान देती तो देश का आज यह हाल नहीं होता.