तीन हज़ार साल से सो रहे मिस्र के राजा तूतेनखामेन की कब्र का रहस्य, जिसने खुदाई करने वालों की जान ले ली
इजिप्ट में साल 2018 से चल रही खुदाई में लगातार प्राचीन ताबूत मिल रहे हैं लेकिन पुरातत्वविद इन्हें खोलने की हिम्मत नहीं कर रहे. वजह है मिस्र के राजा तूतेनखामेन (Tutankhamun) का ताबूत, जिसे खोलने पर उन सबकी जानें रहस्यमयी ढंग से चली गईं, जिन्होंने ताबूत से छेड़खानी की थी.
प्राचीन मिस्र के रहस्यमय राजा तूतनखामुन के 'शापित' ताबूत को पहली बार दूसरी जगह ले जाने को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रशासन को चेतावनी दी है. इस ताबूत को काहिरा के म्यूजियम में दिखाया जाना है जिसका निर्माण कार्य पूरा हो गया है. राजा तूतनखामुन प्राचीन मिस्र के सबसे चर्चित फेरो थे और जब उनके कब्र की खोज हुई थी तब दुनिया स्तब्ध रह गई थी. सबसे आश्चर्यजनक यह रहा कि बेबी किंग कहे जाने वाले राजा तूतनखामुन की इस कब्र को खोलने के कुछ महीने के अंदर ही 6 पुरातत्वविदों की मौत हो गई थी.
मारे गए लोगों में खुदाई के लिए पैसा देने वाले लॉर्ड कार्नरवन (Lord Carnarvon) भी शामिल थे. लॉर्ड कार्नरवन को शेविंग के दौरान एक मच्छर ने काट लिया, जिससे वे जख्मी हो गए और तेज बुखार में अनाप-शनाप बड़बड़ाते हुए 2 ही दिनों में उनकी मौत हो गई. राजा के शरीर पर कथित तौर पर एक्सरे करने वाले रेडियोलॉजिस्ट Sir Archibald Douglas Reid की एकाएक बिना किसी वजह मौत हो गई.
एक शोधकर्ता आर्सनिक पॉइजनिंग से मारा गया. इनमें से एक Prince Ali Kamel Fahmy भी थे, जिन्हें उसी साल उनकी पत्नी ने गोली मार दी. विजिट करने वालों में से एक सूडान के गर्वनर जनरल Sir Lee Stack को 1924 में उनके विरोधियों ने मार दिया. यहां तक कि ताबूत की खुदाई पर पैसे लगाने वाले तमाम लोग एक के बाद एक मरते चले गए. खुदाई के एक दशक के भीतर ही 26 में से सिर्फ 6 लोग बाकी रहे.

उस समय कहा गया था कि इन सभी लोगों को राजा तूतनखामुन का शाप लगा है. राजा तूत का खजाना पूरी दुनिया में फैलता रहा लेकिन उनके ताबूत को वहीं पर ही रखा गया. अब बेबी किंग का यह ताबूत भी मिस्र के ग्रैंड म्यूजियम में ले जाया जाने वाला है. इस म्यूजियम का 97 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो गया है. मिस्र की सरकार का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद भी इस म्यूजियम को इसी साल खोला जाएगा.
एक ही जगह पर रखी जाएंगी 50 हजार कलाकृतियां
जब म्यूजियम खुल जाएगा तो उसके अंदर 50 हजार कलाकृतियां एक ही जगह पर रखी जाएंगी. इसमें राजा तूत के सामान भी शामिल हैं. लक्जर (Luxor) शहर के स्थानीय पुरातत्वविद अहमद रबी मोहम्मद (Ahmed Rabie Mohamed) ने कहा कि अगर तूतनखामुन लक्सर छोड़ते हैं तो यहां का हर एक आदमी निराश हो जाएगा क्योंकि बेबी किंग साल 1922 में पहली बार दुनिया के सामने आने के बाद हमेशा से यहीं पर अपने मकबरे में रहे हैं.
अहमद ने कहा, "जब ममी का परीक्षण हुआ था तो वह भी यही राजाओं की घाटी में हुआ था. वो लोग अपनी एक्सरे मशीन लेकर आए थे और राजा तूत कभी यहां से नहीं गए थे. लोग सोशल मीडिया में राजा तूत के ग्रैंड म्यूजियम में ले जाए जाने की चर्चा कर रहे हैं." एक अन्य टूर गाइड मोहम्मद ने कहा कि राजा तूत के यहां से जाने पर पर्यटकों के आने पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि प्राचीन राजा को न छेड़ा जाए.

उधर, मिस्र के पुरातत्व मामलों के निदेशक डॉक्टर अलतैयब अब्बास ने इस पर असहमति जताई और कहा कि आज अगर तूतनखामुन जिंदा होते तो वह खुद ही काहिरा जाना चाहते. ममी के शापित होने के बारे में अब्बास ने कहा कि वह इसके बारे में जानते हैं और इसका सम्मान करते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पाप बुरी तरह से गल चुके शव को लेकर था जिसका अगर कोई भी हिस्सा अगर इंसान के खुले घाव को छू जाए तो संक्रमण फैल सकता है. इसीलिए अब पुरातत्वविद मास्क पहनकर ऐसी जगह पर जाते हैं.
कौन थे तूतनखामुन
इतिहासकारों के मुताबिक तूतनखामुन प्रचीन मिस्र के 18वें राजवंश के 11वें राजा थे. साल 1922 में इनका ताबूत खोलने पर बिल्कुल साबुत और बेहद कीमती आभूषणों से भरा हुआ था. माना गया कि मौत के वक्त राजा की उम्र 17 साल से अधिक नहीं रही होगी. उनकी मौत की सही वजह कोई बता नहीं सका.

कैसी रही होगी दफनाने की प्रक्रिया
मिस्र, रोम और ग्रीस में राजाओं और राजसी खानदान या बड़े पदों पर काम करने वालों की मौत पर उन्हें सामान्य लकड़ी के ताबूत में नहीं दफनाया जाता था, बल्कि लकड़ी के ताबूत को भी एक डिब्बे में बंद किया जाता था. पत्थर से बना यही डिब्बा सार्कोफेगस कहलाता है. पत्थर का ये ताबूत जमीन से कुछ ऊपर रखा जाता था. मिस्र में इसकी शुरुआत 2686 BCE की मानी जाती है.
माना जाता था कि मौत के बाद दूसरे संसार में व्यक्ति साबुत पहुंचे, इसके लिए सार्कोफेगस जरूरी है. लकड़ी पर नक्काशी के साथ ताबूत के भीतर कीमती रत्न और गहने भी रखे जाते थे, साथ ही मृतक का नाम खुदवाया जाता था ताकि मरने के बाद उसे कोई मुश्किल न हो. साथ ही साथ सार्कोफेगस लकड़ी के चौकोर ताबूत से अलग मृतक के शरीर के बनावट और कद के आधार पर बने होते थे. पुर्नजन्म पर यकीन करने वाली मिस्र की सभ्यता में मरने वाले के शरीर पर खास लेप किया जाता और फिर उसे दफनाया जाता, जिससे शरीर खराब न हो.