कोरोना से बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित : रिपोर्ट
कोरोना के बाद हुए लॉकडाउन की वजह से बच्चों और उनकी शिक्षा पर काफी असर हुआ है.
तालाबंदी के डेढ़ साल के दौर में करोड़ों बच्चे स्कूल और पढ़ाई से दूर हो गए. और इसमें भी गांव, कस्बों में ज्यादा बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है. अनगिनत बच्चे परिवार की गरीबी का सहारा बनने के लिए स्कूल छोड़ गए. क्योंकि उनके मां-बाप की कमाई बंद हो गई. साथ ही लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लास का ठीक से न चल पाना, इंटरनेट और मोबाइल जैसी सुविधाओं का न होना और पढ़ाई के प्रति अरुचि ने बच्चों को शिक्षा के लिहाज से पीछे धकेल दिया है.
इससे पहले भी खबरें आई थीं कि लॉकडाउन में बंद पड़े स्कूलों के चलते शुरू की गई ऑनलाइन पढ़ाई में छात्र ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. यही कारण है कि इन कक्षाओं से करीब आधे छात्र ही जुड़ पाए हैं. इसके अलावा कहीं नेट की रफ्तार तो कहीं संसाधनों की कमी ऑनलाइन पढ़ाई को प्रभावित कर रही है. अभिभावक बच्चों के असाइनमेंट तैयार करने में जुटे हैं तो अधिकतर शिक्षक भी इसे कई कारणों से ज्यादा प्रभावी नहीं मान रहे
लॉकडाउन की वजह से बच्चों की शिक्षा से जुड़े नुकसान का आंकलन करने के लिए अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की एक फील्ड स्टडी की. इस स्टडी में पाया गया कि कोरोना के बीच स्कूल बंद होने से बच्चों ने पिछली कक्षाओं में जो सीखा था वो उसे भी भूलने लगे हैं. इस स्टडी के लिए पांच राज्यों छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड को चुना था. इन राज्यों के 44 जिलों के 1,137 सरकारी स्कूलों के कक्षा 2 से कक्षा 6 तक के 16,067 छात्रों को सर्वे में शामिल किया गया था.

बच्चों की इस शैक्षिक स्थिति के बारे में हमने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ डीके लॉबियाल से बातचीत की.
डॉ लॉबियाल कहते हैं, “वह तो भूल ही जाएंगे क्योंकि लर्निंग जो है ना जो हम क्लास में छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं वह बहुत मिसिंग हो रहा है. क्योंकि बच्चे कम उम्र में अपने साथ के ग्रुप से ज्यादा सीखते हैं बजाय क्लास के. जो क्लास में पढ़ाया जाता है वह आपस में उसको दोहराते है तो उससे ज्यादा सीखते हैं. दूसरा क्लास में बच्चों को जो टीचर विजुअली करके दिखाता है, ऑनलाइन में वह नहीं मिल पा रहा है. यह भी एक कारण है. इसी वजह से बच्चे भूल रहे हैं क्योंकि जब क्लास होती है तो बच्चे को टीचर देखता है और अगर वह भूलता है तो टीचर उसे रिवाइज कराता है. अब तो कोर्स खत्म किया जा रहा है. बच्चे का रिवीजन या साइकोलॉजी इसका तो कोई पता ही नहीं है, टीचर कोर्स खत्म करते हैं. इस वजह से बच्चे भूल रहे हैं.”
तो इस को किस तरीके से सही किया जा सकता है इस सवाल के जवाब में डॉ लॉबियाल कहते हैं, “आगे इसकी रिकवरी के लिए यह है कि जब बच्चे स्कूल जाएं तो मुझे ऐसा लगता है कि अभी सिलेबस कम करके जो पीछे का सिलेबस है उसको रिकवर किया जाए, भले ही आप कम पढ़ाएं. क्योंकि जब तक पीछे रिकवर नहीं होगा, आगे जाने का कोई फायदा नहीं है. तो जो करंट है उसको कम करके पीछे वाले पर भी ध्यान दिया जाए. और आज ऑनलाइन की रिक्वायरमेंट है कि जो कंटेंट वो बता रहे हैं वह इस तरीके से बनाया जाए जो बच्चे उसे देखते ही समझ जाए. लेकिन ऑनलाइन में भी हम उसी को पढ़ा देते हैं जो ऑफलाइन में पढ़ाते हैं.”
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