केंद्रीय ‘नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना’ पर बोले अर्थशास्त्री डॉ. अरुण कुमार, “फिलहाल यह आम आदमी के हक में नहीं”
सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन प्लान लॉन्च किया.
वित्त मंत्रालाय ने एक बयान में कहा कि नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 से 2025 तक 6 लाख करोड़ रुपये के एसेट्स बेचे जा सकते हैं. इनमें सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन एवं नेचुरल गैस, सिविल एविएशन, शिपिंग पोर्ट्स एंड वॉटरवेज, टेलिकम्युनिकेशंस, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, माइनिंग, कोल और हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालयों को शामिल किया गया है. इस मौके पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा इसके जरिये 6 लाख करोड़ रुपये जुटाना का वित्त मंत्रालय का लक्ष्य है. और सरकार अंडर-यूटिलाइज्ड एसेट्स को ही सिर्फ बेचेगी. हालांकि उन्होंने संपत्ति का मालिकाना हक सरकार के पास रहने की बात कही.
मोदी सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस और विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं. और इसे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करार दिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “पिछले 70 सालों में इस देश ने जो कुछ बनाया है, वह दिया जा रहा है. उनके पास एक बहाना है कि हम इन्हें पट्टे पर दे रहे हैं.’ सरकार ने स्पष्ट रूप से अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभाला और नहीं जानती कि क्या करना है. उन्होंने (सरकार) मूल रूप से यूपीए (UPA) द्वारा बनाई गई चीजों को नष्ट कर दिया है और अब अंतिम उपाय के रूप में, वे वह सब कुछ बेच रहे हैं जो हमने बनाने में मदद की थी. मेरे लिए यह एक बहुत बड़ी त्रासदी है.”
साथ ही राहुल गांधी ने ट्वीट कर केंद्र पर भारत को बेचने के आरोप लगाया. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ”सबसे पहले ईमान बेचा और अब…#IndiaOnSale.”
सरकार की इस योजना पर हमने देश के मशहूर अर्थशास्त्री डॉ अरुण कुमार से बातचीत की.
प्रोफेसर अरुण कुमार एशियाविल से कहते हैं, “किसी भी चीज के नफे और नुकसान दोनों तो होते हैं. लेकिन सवाल है कि इसको पूरी तरीके से देखें कि इससे ज्यादा फायदा है या नुकसान. मेरे अनुसार, इसका पब्लिक को तो कम से कम नुकसान ही होगा. और जो कुछ प्राइवेट सेक्टर वाले लोग हैं उनके फायदे के लिए है. इस समय खासकर हमारे लिए इस तरह के की नीति सही नहीं है. अभी तो जो गरीब आदमी है उसी के हाथ में पैसा देना चाहिए.”
Modi in 2014: Won’t allow privatisation of #IndianRailways.
— Md Salim (@salimdotcomrade) August 23, 2021
Modi in 2021: Will allow privatisation in the name of #NationalMonetisationPipeline.
Privatisation और #Monetisation में उतना ही फ़र्क़ है जितना Pepsi और ThumpsUp में है। #StopSellingIndia pic.twitter.com/mE3fJmEj7w
लेकिन सरकार का कहना है कि वह तो कुछ दिन के लिए लीज पर दे रहे हैं इस पर डॉ अरुण कुमार कहते हैं, “लीज पर तो खैर है, लेकिन यह क्या उससे किसी गरीब आदमी को फायदा होगा, या आम जनता को फायदा होगा! और अगर आप किसी को दे रहे हैं तो वह दो चार साल के लिए तो लेगा नहीं, वह भी लंबा प्लान और सोच के साथ लेगा. वह यही सोच कर लेगा ना कि उसे उसमें कुछ लाभ होगा अगर लाभ नहीं होगा तो फिर थोड़ी लेगा. और दूसरी बात यह कि वह भी औने-पौने दाम में ही लेगा. क्योंकि अगर वह अभी ठीक से नहीं चल पा रहा है तो उसे औने-पौने दाम पर ही बेचना पड़ेगा. कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि यह कदम पब्लिक इंटरेस्ट में तो नहीं है खासकर मिडिल क्लास के इंटरेस्ट में तो बिल्कुल नहीं है. इसमें हमें यह करना चाहिए कि अगर यह सब चीजें ढंग से नहीं चल रही हैं तो उसे सही से चलाने के लिए जो भी कुछ हो सकता है वह करना चाहिए और इसे ढंग से चलाना चाहिए.”