हिस्ट्रीशीटर बनाने की कार्रवाई को डॉक्टर कफील खान ने बताया योगी सरकार का चुनावी स्टंट
गोरखपुर पुलिस की ओर से हिस्ट्रीशीट खोले जाने के बाद डॉक्टर कफील खान ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार चुनाव में फायदा उठाने के लिए उनके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई कर रही है.
गोरखपुर पुलिस ने जिले के हिस्ट्रीशीटरों की एक नई लिस्ट जारी की है. इसमें 81 अपराधियों के नाम शामिल हैं. इस लिस्ट के टॉप 10 में शामिल एक नाम काफी चौंकाने वाला है. यह नाम है डॉक्टर कफील खान का. डॉक्टर खान का नाम अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के अभाव में हुई 50 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में सामने आया था. इस मामले में डॉक्टर खान को सरकार ने निलंबित कर दिया था. वो अभी भी निलंबित हैं.

डॉक्टर कफील खान की हिस्ट्रीशीट संख्या 50 A गोरखपुर के राजघाट थानाक्षेत्र में खोली गई है. हिस्ट्रीशीट खोलने की खबर सामने आने के बाद डॉक्टर कफील खान ने तंज कसते हुए एक वीडियो बयान जारी किया. उन्होंने उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इसी वजह से अपराध अधिक हैं और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. अपराधियों पर कोई करवाई नहीं और राजनीतिक द्वेष में निर्दोष और बेगुनाह लोगों पर कार्रवाई की जा रही है. डॉक्टर खान ने कहा है, ''मैं तो चाहता हूं की पुलिस मेरे ऊपर नजर रखे लेकिन केवल कागज में नहीं. बल्कि दो पुलिस वालों की ड्यूटी मेरे साथ लगा दी जाए, जो 24 घंटे मेरे ऊपर नजर रखें, इससे कम से कम मैं फर्जी मुकदमों से तो बच जाऊंगा.''
विधानसभा चुनाव पर नजर
'एशियाविल हिंदी' से हुई बातचीत में डॉक्टर खान ने अपने आगे की रणनीति बताई. उन्होंने कहा कि इस मामले के सामने आने के बाद अब उनकी कोशिश अपने खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द कराने की है. उन्होंने बताया कि उनके वकील इस दिशा में काम कर रहे हैं.
डॉक्टर खान कहते हैं कि पुलिस ने यह हिस्ट्रीशीट 16 जून, 2020 को ही खोल दी थी. लेकिन इसे मीडिया में 30 जनवरी को जारी किया गया है. वो बताते हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत की गई कार्रवाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इस दौरान भी पुलिस ने इस सूची को अदालत में पेश किया था. लेकिन अदालत ने उसे बहुत तवज्जो न देते हुए एनएसए की कार्रवाई को अवैध बताते तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था. इस बात को सुप्रीम कोर्ट ने भी कायम रखा.
डॉक्टर कफील खान कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस सूची को उजागर किया. वो कहते हैं कि पुलिस की ओर से करीब 8 महीने बाद इस सूची को जारी करने का मकसद राजनीतिक रूप से फायदा उठाना है. वो कहते हैं कि इस तरह की कार्रवाई बीजेपी के एक वोटर वर्ग को अच्छी लगती है. वह वर्ग बीजेपी को वोट देता है.

डॉक्टर कफील खान को 2016 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में नियुक्त किया गया था. लेकिन ऑक्सीजन कांड के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था. उसके बाद से ही वो निलंबित ही चल रहे हैं. वो बताते हैं कि इस समय वो कोरोना वायरस को लेकर शोध के काम में लगे हुए हैं. लेकिन इस तरह से कार्रवाई कर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यानाथ सरकार भड़काने की कोशिश कर रही है.
निलंबन की कार्रवाई
डॉक्टर कफील खान के खिलाफ दो मामले गोरखपुर, एक बहराइच और एक मामला अलीगढ़ में दर्ज है. इन सभी मामलों में उन्हें जमानत मिली हुई है. वो बताते हैं कि ये जमानतें उन्हें निचली अदालत से नहीं बल्कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने दी हैं. इसके बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनकी हिस्ट्रीशीट खोल दी है. वो कहते हैं कि सरकार की इस तरह की कार्रवाई से जनता के पैसे की बरबादी भी हो रही है. उदाहरण देते हुए वो बताते हैं कि एनएसए की कार्रवाई रद्द करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. अदालत में सरकार की पैरवी 11 वरिष्ठ वकीलों और सॉलिसीटर जनरल ने किया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को ही सही ठहराया.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10-11 अगस्त 2017 के बीच ऑक्सीजन के अभाव में हुई 50 से अधिक बच्चों की मौत के बाद कई कदम उठाए थे. इसमें मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव मिश्र और एनस्थीसिया के डॉक्टर और ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए जिम्मेदार डॉक्टर सतीश कुमार और इंसेफलाइटिस वार्ड के प्रभारी डॉक्टर कफील खान को निलंबित कर दिया था. इस मामले की जांच के लिए सरकार ने एक 4 सदस्यीय कमेटी बनाई थी. इस कमेटी की सिफारिश पर 23 अगस्त 2017 को लखनऊ में उपरोक्त तीनों डॉक्टरों समेत 9 लोगों पर मामला दर्ज हुआ था.

इसके बाद राज्यपाल के आदेश पर डॉक्टर राजीव मिश्र और डॉक्टर सतीश कुमार की सेवाएं बहाल कर दी गई थीं. इन दोनों डॉक्टरों ने 5 मार्च 2020 को फिर से अपना कामकाज संभाल भी लिया. इसके बाद से डॉक्टर मिश्र रिटायर हो गए और डॉक्टर सतीश प्रमोशन पाकर विभागाध्यक्ष भी बन गए हैं. लेकिन डॉक्टर कफील खान अभी भी निलंबित चल रहे हैं.

डॉक्टर कफील कहते हैं कि एक ही तरह के आरोप लगने और एक ही जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद दो डॉक्टरों का निलंबन खत्म करने उन्हें दोबारा ज्वाइन करा दिया गया. लेकिन मुझे आजतक ज्वाइन नहीं कराया गया है. यह परेशान करने वाली बात है. वो कहते हैं कि वो अपनी ज्वाइनिंग को लेकर हर महीने एक चिट्ठी सरकार को लिखते हैं. डॉक्टर कफील इस तरह की करीब 25 चिट्ठियां लिख चुके हैं. लेकिन अधिकारी उनकी चिट्ठियों का जवाब भी नहीं देते हैं.