डॉ कफील खान पर लगाया NSA, जमानत दिए जाने के बाद भी जेल से नहीं किया रिहा
सीएए के खिलाफ भाषण देने के कथित आरोप में डॉ कफील खान को कोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन साजिश के तहत जेल प्रशासन ने उन्हें रिहा नहीं किया और आज उनके ऊपर रासुका लगा दिया गया.
12 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उनके कथित एंटी-सीएए भाषण पर डॉक्टर कफील खान पर शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया.
डॉ कफील खान पर शुक्रवार को एनएसए लगा दिया गया. कथित भड़काऊ भाषण के आरोप में सोमवार को कोर्ट से जमानत दिए जाने के बाद डॉ खान जेल से रिहा होने का इंतजार कर रहे थे. अब उनके ऊपर रासुका (एनएसए) लगा दिया गया है.
एसपी क्राइम डॉ. अरविंद ने कहा कि एनएसए के तहत डॉक्टर को बुक करने के लिए पर्याप्त आधार था.
निलंबित बाल रोग विशेषज्ञ, कफील खान को कथित रूप से 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय या एएमयू में एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान एक विवादास्पद भाषण देने के लिए गिरफ्तार किया गया था. जबकि उन्हें सोमवार को जमानत दी गई थी, उनके परिवार के सदस्यों ने गुरुवार को बताया कि जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा किया जाना बाकी था.

डॉ कफील खान के भाई अदील अहमद खान ने एक बयान जारी कर कहा था कि जमानत दिए जाने के बावजूद मथुरा जेल अधिकारियों ने अदालत के आदेश का सम्मान नहीं किया था.
डॉ. कफील खान को एएमयू में एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए 29 जनवरी को मुंबई से यूपी स्पेशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार किया था. अलग-अलग धर्मों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने के आरोप में सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
मुंबई में गिरफ्तारी के बाद, डॉ. खान को अलीगढ़ लाया गया, जहां से उन्हें पड़ोसी मथुरा की जिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया.
पुलिस के अनुसार, एएमयू परिसर और पुराने शहर के ईदगाह मैदान में सीएए के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर एहतियात के तौर पर ऐसा किया गया था. पुलिस ने कहा था कि अलीगढ़ जेल में डॉ. खान की मौजूदगी से शहर की कानून व्यवस्था बिगड़ सकती थी.
डॉक्टर को इससे पहले अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक सप्ताह में 60 से अधिक बच्चों की मौत में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था. उस समय बच्चों की वार्ड में ऑक्सीजन की कम आपूर्ति को मौतों के लिए दोषी ठहराया गया था.
लगभग दो साल बाद, राज्य सरकार की जांच ने खान को सभी प्रमुख आरोपों से मुक्त कर दिया गया था.