आखिरकार डॉनल्ड ट्रंप ने स्वीकारी हार, जो बाइडन को सत्ता सौंपने को राजी
डॉनल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि सत्ता हस्तांतरण की निगरानी करने वाली संघीय एजेंसी जीएसए प्रमुख एमिली मर्फी को वो चीजें करनी चाहिए जो जरूरी हैं.
अमेरिका के मिशिगन ने डेमोक्रेट प्रत्याशी के जीतने की आधिकारिक पुष्टि कर दी है. वहीं पेनसिल्वेनिया की एक अदालत ने ट्रंप के खिलाफ फैसला दिया है. इन दोनों घटनाक्रमों के बाद राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार अपनी हार स्वीकार कर ली है. उन्होंने यह मान लिया है कि राष्ट्रपति चुनाव में जीते जो बाइडन को सत्ता सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए.

मिशिगन में बाइडन के 1.54 लाख मतों से जीतने की प्रामाणिक पुष्टि होने और पेनसिल्वेनिया में अदालती फैसले के बाद ट्रंप के पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा था. ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि सत्ता हस्तांतरण की निगरानी करने वाली संघीय एजेंसी जीएसए (जनरल सर्विस एडमिनिस्ट्रेशन) प्रमुख एमिली मर्फी को वो चीजें करनी चाहिए जो जरूरी हैं.
20 जनवरी से नया राष्ट्रपति
जीएसए ने जो बाइडन को विजेता के तौर पर स्वीकार कर लिया है. बाइडन 20 जनवरी को अपना कार्यभार संभालेंगे.
हालांकि ट्रंप ने अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही है. ट्रंप ने न तो औपचारिक तौर पर हार स्वीकार की और न ही बाइडन को बधाई दी. लेकिन सत्ता हस्तांतरण के लिए तैयार होने का सीधा संकेत है कि ट्रंप को अब व्हाइट हाउस छोड़ना पड़ेगा. अमेरिकी खुफिया एजेंसी भी अब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को सीधे तौर पर संवेदनशील सूचनाएं दे सकेगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्वीट करके कहा, ''मैं जीएसए प्रमुख एमिली मर्फी और उनकी टीम को देश के लिए की गई कोशिशों व लगन के लिए बधाई देता हूं. उनके साथ गलत बर्ताव हुआ. मैं नहीं चाहता कि यह अब जारी रहे. मैंने अपनी टीम से भी यही कहा है कि वे जीएसए की मदद करें.''

इसके बाद मर्फी ने कहा, ''हम नियम जानते हैं और यह भी जानते हैं कि इनका पालन कैसे करना है. मुझ पर कोई दबाव नहीं आया है.''
सत्ता का हस्तांतरण
राष्ट्रपति ट्रंप ने सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के निर्देश अपने अधिकारियों को दे दिए हैं. लेकिन अपनी हार को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ''हम अपनी लड़ाई से पीछे हटने वाले नहीं हैं और इसे मजबूती से जारी रखेंगे. उम्मीद है कि एक दिन सच जरूर सामने आएगा और इसकी जीत होगी.''
अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने लंबे समय तक राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति विशेषज्ञ एंटनी ब्लिंकेन को अपना विदेश मंत्री नियुक्त किया है. वो भारत के बेहद करीबी रहे हैं. ब्लिंकेन का स्पष्ट तौर पर मानना है कि चीन की बढ़ती ताकत से मुकाबले के लिए अमेरिका के लिए भारत एक मुख्य साझेदार हो सकता है.
ब्लिंकेन ने 15 अगस्त को इसी साल भारतवंशियों के एक कार्यक्रम में ये टिप्पणी की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी गठबंधनों को कमजोर करके चीन के अग्रिम रणनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद की. उन्होंने कहा था कि हमारे सामने एलएसी पर भारत के प्रति आक्रामकता को लेकर चीन से निपटना बेहद जरूरी है.

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में जब पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था तब भारत-अमेरिकी रिश्ते बिगड़ गए थे. अमेरिका ने जब भारत पर प्रतिबंध लगाए तो अमेरिका के इस रुख से जो बाइडन दुखी हुए थे. उन्होंने कहा था कि आप लोगों ने भारत के रुख को गलत समझा है. भारत ऐसा देश नहीं है, जो परेशान करेगा. भारत एक शांतिप्रिय देश है. वह लीबिया और इराक नहीं है.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए बाइडन का वित्तमंत्री के रूप में फेडरल रिजर्व की पूर्व अध्यक्ष जैनेट येलेन को चुनना तय हो चुका है. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने सत्ता हस्तांतरण की योजना के जानकार एक अधिकारी के हवाले से बताया कि येलेन बाइडन की आर्थिक नीतियों को आकार और दिशा देंगी. येलेन वित्त मामलों की चर्चित हस्ती हैं और देश में वित्तमंत्री बनने वाली पहली महिला होंगी. वह बाइडन की अहम सलाहकार तथा उनके आर्थिक एजेंडे की प्रवक्ता भी होंगी.
पेरिस जलवायु समझौते के प्रमुख वास्तुकारों में से एक जॉन कैरी को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने का एक और मौका मिल रहा है. बाइडन ने उन्हें जलवायु दूत के तौर पर नामित किया है.
बाइडन की सत्ता हस्तांतरण टीम ने इस पर विस्तृत जानकारी नहीं दी है. लेकिन उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होने की बात कही है. कैरी जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पहले सदस्य होंगे.